ये बेचारे ED-CBI और इन्कम टैक्स के मारे,जांच एजेंसियो से प्रभावितो का रायपुर में जमावड़ा ,दोनो राज्यों के मुख्यमंत्री आखिर कोई नया गुल तो नहीं खिला रहे ? गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद तेज़ हुई राजनीति,आखिर क्यों बीजेपी नेताओ के गढ़ में बघेल की शरण में पहुंचे सोरेन ? नए समीकरण का अंदेशा….

0
6

रायपुर: रायपुर में इन दिनों दो राज्यों के मुख्यमंत्री एक दूसरे से मिलकर अपने दिल की बात शेयर कर रहे है | ये दोनों ही मुख्यमंत्री और उनके नजदीकी सहयोगी केंद्रीय जाँच एजेंसियों के घेरे में है | इसे संयोग ही कहा जाए कि मोठा भाई के चंद घंटो के रायपुर प्रवास के बाद दोनों ही राज्यों झारखण्ड-छत्तीसगढ़ में राजनीति तेज़ हो गई है | मोठा भाई के दिल्ली रवाना होने के चंद घंटो बाद ही झारखण्ड के मुख्यमंत्री की रायपुर यात्रा प्रस्तावित हो गई |जबकि सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि सोरेन को कोलकाता का रुख करना था | लेकिन सोरेन ने अचानक रायपुर में दल -बल सहित अपना डेरा डालना ही मुनासिब समझा | जबकि रायपुर ,राज्यपाल रमेश बैस का यह गृहनगर है |

ऐसे में दिलचस्प बात यह है कि राज्यपाल रमेश बैस को ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी का फैसला करना है | ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट के मामले में भारत निर्वाचन आयोग ने सोरेन की विधायकी रद्द कर दी है | उनकी कुर्सी बचेगी या जाएगी ? इस ओर सबकी निगाहें लगी हुई है | ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों सोरेन ने रायपुर में अपना ठिकाना बनाया ? मंगलवार रात मुख्यमंत्री बघेल और सोरेन के विधायकों के बीच एक रिसोर्ट में हुई मुलाकात चर्चा में है | हालाँकि दोनों ही पक्ष इसे शिष्टाचार भेंट बता रहे है | उधर दोनों ही नेताओ का एक दूसरे के करीब आना किसी नए समीकरणों की ओर भी इशारा कर रहा है |

बताया जाता है कि ED-आयकर और CBI का सामना कर रहे दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्री बेहतर भविष्य की तलाश में है | सूत्रों की माने तो बघेल को कांग्रेस के भीतर ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के फार्मूले से अभी भी दो चार होना पड़ रहा है | सरकार गठन के चार साल बाद भी कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव की चुनौती ख़त्म नहीं हुई है | वे आलाकमान पर वादा निभाने के लिए अभी भी दबाव बनाए हुए है | हालाँकि कमज़ोर हो चूका कांग्रेस आलाकमान इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है | सिंहदेव के अलावा राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू आज भी उसकी पसंद बताए जा रहे है | यह भी कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की सूरत में मुख्यमंत्री बघेल पाला बदल सकते है | राजनीति के जानकार बघेल की रणनीति पर नज़र रखें हुए है | उनका मानना है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बघेल की हाल ही में दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद एक बार फिर रायपुर में हुई मुलाकात किसी नए राजनैतिक समीकरण की ओर इशारा करती है | 

उधर हफ्ते भर से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बावजूद राज्यपाल रमेश बैस द्वारा सोरेन के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किया जाना भी गौरतलब बताया जा रहा है | इस मामले में राज्यपाल पर निशाना साधते हुए एक संयुक्त बयान में यूपीए विधायकों ने कहा, क्या राजभवन समय बढ़ाकर (निर्णय को सार्वजनिक करने में) खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देना चाहता है? … कानूनी सलाह क्या है जो वह लेने में सक्षम नहीं हैं? यह लोकतंत्र और लोगों का अपमान है। साफ़ है कि सोरेन को इतना लम्बा वक्त आखिर क्यों दिया जा रहा है | क्या इस मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी कोई भूमिका है | राजनीति में नए समीकरण का बनना बिगड़ना आम बात है | इसलिए कयास लगाया जा रहा है कि बघेल-सोरेन मेल मिलाप कोई नए समीकरण की नीव तो नहीं रख रहे | 

दरअसल झारखण्ड में अपनी सरकार बचाने के साथ-साथ ED-CBI और इन्कम टैक्स की मार झेल रहे राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी परेशानियों का हल निकालने के लिए जहाँ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की शरण में पहुंचे है | वही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनका राजनैतिक कुनबा भी इन्ही तीनों एजेंसियों की मार झेल रहा है |

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बेहद करीबी शराब कारोबारी प्रेम प्रकाश को ED ने दबोच लिया है,मामले की जाँच में CBI भी जुट गई है | ये दोनों एजेंसियां प्रेम प्रकाश के ठिकानो में इन्कम टैक्स रेड में ब्लैक मनी के अलावा दो AK-47 राइफल की जप्ती के बाद शामिल हुई है | उधर  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ CBI सेक्स सीडी काण्ड में FIR दर्ज़ कर मामले को साबित करने में जुटी है | इस मामले को लेकर कोर्ट में क़ानूनी दांव पेंचो का खेल जारी है | राज्य में सेक्स सीडी काण्ड में नामजद किए गए बघेल को लेकर राजनीति के जानकार मानते है कि सुको का फैसला बघेल का राजनैतिक भविष्य तय करेगा | दरअसल सुप्रीम कोर्ट में CBI सेक्स सीडी काण्ड की छत्तीसगढ़ से बाहर सुनवाई की मांग कर रही है | उसकी याचिका पर तारीख पर तारीख मिलती जा रही है | 

यही नहीं कुछ एक गंभीर आर्थिक मामलों को लेकर ED बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल से पूछताछ कर चुकी है | हाल ही में मुख्यमंत्री बघेल के करीबी सूर्यकांत तिवारी और उपसचिव सौम्या चौरसिया समेत अन्य के ठिकानो पर आयकर के छापे पड़े थे | इसमें सूर्यकांत तिवारी के ठिकानो से करोड़ो की ब्लैकमनी बरामद हुई थी | 

सौम्या चौरसिया,प्रमुख सचिव अनिल टुटेजा ,रेरा के चेयरमैन विवेक ढांड,वरिष्ठ आईएएस आलोक शुक्ला के ख़िलाफ़ ED-आयकर में मामला दर्ज़ है | टुटेजा और शुक्ला की नान घोटाले को लेकर विभिन्न एजेंसियां जाँच कर रही है | इन दोनों की अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग को लेकर ED सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा चुकी है | इस मामले में भी तारीख पर तारीख मिल रही है |

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कई और करीबियों पर आयकर-ED का साया मंडरा रहा है | पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड के खिलाफ समाज कल्याण विभाग में हुए करीब एक हजार करोड़ के घोटाले की जाँच को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट काफी पहले CBI जाँच के निर्देश दे चूका है | हालांकि लगभग ढाई साल से यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है | चर्चा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार ढांड के खिलाफ कोर्ट में लचीला रवैया अपना रही है | इसके चलते मामले की  CBI जाँच में रोड़ा अटका है | हालाँकि समाज कल्याण विभाग घोटाले के प्रकरण की सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट से तारीख पर तारीख मिल रही है |

सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कई और चर्चित करीबी ED-आयकर की राडार पर है | लिहाज़ा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का राजनैतिक कुनबा ED-CBI और आयकर से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है | लिहाज़ा इस समस्या से निज़ात पाने के लिए सोरेन-बघेल संग भगवा ब्रिगेड के कदम कही कोई नया गुल तो नहीं ख़िला रहे ,इसके कयास राजनैतिक गलियारों में लगाए जा रहे है | राजनीति के जानकार बताते है कि शतरंज की नई बिसात क्या रंग लाएगी , इसके लिए अगले चौबीस घंटे काफी महत्वपूर्ण है |