रायपुर / दिल्ली : पुरानी कहावत है,रक्षक ही भक्षक हो जाये तो जनता की जान भगवान भरोसे ही होती है।ऐसे ही हालात भ्रष्टाचार से जूझते छत्तीसगढ़ के बन गए है। ED की लगातार छापेमारी से राज्य में राजनैतिक हलचल तेज है। इस बीच पुलिस के ऐसे अधिकारी सुर्खियां बटोर रहे है जो अपराधियों के साथ मिलकर कोल खनन परिवहन घोटाले के भी सबूतों और जाँच को प्रभावित करने में जुटे है। जनता और सरकारी तिजोरी की हिफाजत में जुटने वाली छत्तीसगढ़ पुलिस और उसके जिम्मेदार अधिकारियो की कार्यप्रणाली सुर्खियों में है।
प्रवर्तन निर्देशालय ने छत्तीसगढ़ पुलिस के रवैये से हैरानी जताते हुए अदालत को भी इससे अवगत कराया है। उसने क्राइम ब्रांच के कतिपय पुलिस अधिकारियो के नाम का जिक्र करते हुए बताया है कि उसके कार्यालय और अफसरों की रैकी की जा रही है।
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मामला कोल खनन परिवहन घोटाले से जुड़ा है। ED ने सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान बिलासपुर हाई कोर्ट को बताया है कि क्राइम ब्रांच में पदस्थ हैड कांस्टेबल प्रशांत शर्मा और इन्स्पेक्टर संतोष पाटकर इस कार्य में जुटे थे। बताते है कि ED ने उसके कार्यालय के हालात को लेकर चिंता जाहिर करते हुए हाई कोर्ट के अलावा ट्रायल कोर्ट रायपुर में भी एक अर्जी पेश कर मामले को न्यायालय के संज्ञान में लाया है।
बताते है कि छत्तीसगढ़ में पुलिस और प्रशासन में गैरकानूनी कार्यो से बचने के लिए कई बड़े अफसर, छुट्टी पर जाना ही मुनासिफ समझ रहे है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय और मैदानी इलाको में पदस्थ कई अफसरों को अंदेशा है कि मौजूदा प्रशासनिक हालात लगातार लचर हो रहे है, अपराधियों के इशारो पर पुलिस मुख्यालय से लेकर मंत्रालय तक मुश्किलों के दौर में है, सरकारी कामकाज बे’पटरी हो चूकी है। लिहाजा कई अफसर नई ट्रांसफर पोस्टिंग से किनारा करना शुरू कर दिया है। बताते है कि अपराधों से बचने के लिए कुछ ने तो लम्बी छुट्टी की अर्जी सरकार के टेबल पर पंहुचा दी है।
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बताते है कि राज्य के चीफ सेकेट्री और DGP कार्यालय भी छुट्टी पर जाने वाले अफसरों की अर्जी से दो चार हो रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में सरकार के कामकाज को लेकर विपक्ष विधान सभा से लेकर सड़को की लड़ाई कर रहा है। प्रदेश के कई जिलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोग लामबंद होने लगे है। सरकार की संवैधानिक शक्तियों के इस्तेमाल को लेकर भी ED ने कोर्ट में शीर्ष नेताओ के कामकाज पर सवाल उठाया है।
बताते है कि ED के गवाहों के अलावा माफियाओ का शिकंजा उन पत्रकारों पर भी कस रहा है, जो सरकारी भ्रष्टाचार का लगातार खुलासा कर रहे है। सरकार में अखिल भारतीय सेवाओं के उन अफसरों का बोल बाला है, जो मुख्यमंत्री कार्यालय के संदिग्धों के साथ कारोबारी रिश्तो और अपराधों से जुड़े हुए है। नतीजतन राज्य में ED के गवाहों, उद्योगपतियों और कारोबारियों को अपने जान माल की चिंता सताने लगी है। बताते है कि छत्तीसगढ़ की राजनैतिक परिस्थितियां तेजी से बदल रही है, इसका सीधा असर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है।
बताते है कि कोल खनन परिवहन घोटाले में कई प्रभावशील नेताओं और अधिकारियों की लिप्तता सामने आने के बाद आरोपियों गवाहों और संदिग्धों की जान जोखिम में है। आम लोगों के बीच उन लोगों के जानमाल की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जाने लगी है, जो सौम्या चौरसिया समेत मुख्यमंत्री कार्यालय के हितग्राहियों के काले कारनामों की तस्दीक कर रहे है। सूत्र बताते है कि ऐसे कई गवाहों की जान जोखिम में है। फ़िलहाल तो अवैध वसूली की तस्दीक करने वाले गवाहो को ED दफ्तर में अपनी जान जोखिम में नजर आने लगी है।
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