छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे की हार सुनिश्चित, राजनांदगांव संसदीय सीट में भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा, पीड़ित आदिवासी महिलाएं, किसान और नौजवान लामबंद, भू-पे को नही मिल रही तवज्जो

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राजनांदगांव/दिल्ली। छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव लोकसभा सीट पर एक तरफा मुकाबले के आसार बढ़ गए हैं। इस संसदीय सीट में कांग्रेस के भू-पे बघेल और बीजेपी के संतोष पांडेय के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। दोनों ही पार्टियों के अलावा अभी कोई अन्य पार्टी का मजबूत प्रत्याशी मैदान में नही आया है, अलबत्ता कुछ उम्मीदवारों की चर्चाएं जरूर सुनाई दे रही है। हालाकि जब तक उनके नाम की अधिकृत घोषणा नही हो जाती तब तक कयासों का दौर जारी रहेगा। अभी तक बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबले के आसार बताए जाते हैं। इसमें बीजेपी एक बार फिर बढ़त की ओर दिखाई दे रही है। ज्यादातर शहरी और ग्रामीण इलाकों में मोदी गारंटी और बीजेपी का पलड़ा ही भारी दिखाई दे रहा है।

राजनांदगांव संसदीय सीट से कई दिग्गज अपना भाग्य आजमा चुके हैं। कई इलाकों में मतदाता आज भी दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों क्रमशः डॉ रमन सिंह और स्व. मोतीलाल वोरा का नाम लेकर उनकी प्रसंशा करना नही भूलते। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे को छत्तीसगढ़ का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री करार देने में, कारण गिनाते नही थकते। उनके मुताबिक भू-पे और उनकी सौम्या प्रदेश पर जितने भारी पड़े उतने यहां भी पड़ेंगे,इसलिए जुगल जोड़ी को अभी से प्रणाम। गाय ,गोबर, चारागान घोटाला कोल खनन परिवहन घोटाला, पीएससी घोटाला, महादेव ऐप घोटाला समेत भ्रष्टाचार के दर्जनों मामले का कर्ता-धर्ता राजनांदगांव भेज दिया गया। यह जनता का अपमान है।

राजनांदगांव संसदीय सीट को संयुक्त मध्यप्रदेश के कार्यकाल से संस्कारधानी के नाम से भी जाना पहचाना जाता है। यहां के लोग बतौर कलेक्टर पूर्व IAS सलीना सिंह और गणेशशंकर मिश्रा द्वारा कराए गए विकास कार्यों को आज भी याद करते हैं। उनके मुताबिक इस पावन धरा पर मां बम्लेश्वरी का वास है। भले ही विकास की गति यहां जोर नही पकड़ पाई है, लेकिन इसके चलते जो फायदा हुआ है, वो विकास और पूंजी से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बताया जाता है। इसी कारण कई मतदाता बताते हैं कि प्राकृतिक रूप से राजनांदगांव आज भी काफी समृद्ध है। यहां ना तो प्रदूषण है और ना ही महानगरों जैसा कोलाहल। लिहाजा सुकून से रहने के लिए यह संसदीय सीट काफी महत्त्वपूर्ण शरणस्थली बताई जाती है। लोग बताते हैं कि नागपुर, गोंदिया, बालाघाट, रायपुर, बस्तर, कोरबा और रायगढ़ से कई घर परिवार पलायन कर यहां स्थाई रूप से बसने में रुचि दिखा रहे हैं।

उनके मुताबिक महानगरों में जैसी सुविधाएं उपलब्ध होती है वह सब कुछ राजनांदगांव में भी है।आवागमन और स्वास्थ्य सुविधाएं भी तेजी से विकसित हो रही है। स्थानीय मतदाता बताते हैं कि औद्योगिककरण की चपेट में नही आने के चलते राजनांदगांव के लोगों का स्वास्थ्य का स्तर प्रदेश के अन्य जिलों से बेहतर आंका गया है।

वे बताते हैं कि इस बार मुद्दा विकास और सुविधाओं का नही है। बल्कि मोदी है तो गारंटी है, विकास तो सरकार की नीतियों से हो ही जायेगा। उनके मुताबिक मसला भ्रष्टाचार का है, जिससे प्रदेश का आमजन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।उनके मुताबिक भू-पे प्रदेश में भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुके हैं। इसके चलते वे खुद ब खुद भ्रष्टाचार के सबसे बड़े केन्द्र के रूप में देखे जाते हैं। मतदाता बताते हैं कि भू-पे का तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय ही घोटालो और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था। इसे कौन नही जानता? वे बताते हैं कि भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे नेता को मैदान में उतारने से जनता के बीच बेदाग छवि के संतोष पांडेय के प्रति विश्वास की लहर चल रही है। इस बार मुकाबले में भ्रष्टाचार के महारथी को चारों खाने चित करने का है। इसकी गारंटी प्रधानमंत्री काफी पहले दे चुके हैं। लिहाजा वे बीजेपी की जीत सुनिश्चित मानते हैं।

उधर कांग्रेसी खेमे में वीरानी नजर आ रही है। पार्टी दफ्तर में गिने चुने मात्र 8 लोग ही दिखाई दिए। यहां अभी राजनैतिक दलों का प्रचार-प्रसार धरातल पर नजर नही आ रहा है। नेताओं को आचार संहिता का इंतजार है।अलबत्ता शहरों से लेकर गांव तक ज्यादातर घरों और मार्गों पर बीजेपी के झंडे बैनर जरूर दिखाई दे रहे हैं। इसमें स्थानीय से लेकर राष्ट्रिय नेताओं की तस्वीरें झलक रही हैं।नाम ना जाहिर करने की शर्त पर कांग्रेस के कई स्थानीय नेता तस्दीक कर रहे हैं कि वे भू-पे के चुनाव प्रचार में कतई हिस्सा नही लेंगे। उनके मुताबिक बीते 5 सालों में भू-पे और उनकी सरकार ने कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं के लिए कुछ नही किया, जो किया वो खुद के लोगों के लिए किया।सिर्फ मंत्रियों और उनके परिजनों से लेकर कारोबारियों के दिन ठाट से गुजरे। वे तो कांग्रेस सरकार आने के बाद भुला दिए गए।

वे बताते हैं कि ईमानदारी से पार्टी की सेवा करने के एवज में उनके हाथ खाली रहे,जबकि मौकापरस्तों की तिजोरी भरते रही। ये कार्यकर्त्ता बताते हैं कि विधान सभा चुनाव के दौरान बाहरी उम्मीदवार गिरीश देवांगन को यहां थोप दिया गया था, इस बार भू-पे खुद आ गए हैं।ऐसे में स्थानीय नेटो का पत्ता ही साफ कर दिया गया है।उन्हें लगता है कि इतना भ्रष्टाचार करने के बावजूद जनता भू-पे का समर्थन करेगी? बिल्कुल नही? राजनांदगांव, मोहला-मानपुर , कवर्धा, खैरागढ़, छुईखदान में बीजेपी और मोदी गारंटी ही मतदाताओं को आकर्षित कर रही है। बीजेपी के विरोधी दलों की भी कई नेता मान कर चल रहे हैं कि संतोष पांडेय प्रचंड जीत की ओर बढ़ रहे हैं।