मेधा सोमैया मानहानि मामला: अदालत ने शिवसेना सांसद संजय राउत के खिलाफ जारी किया जमानती वारंट

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मुंबई: भाजपा नेता किरीट सोमैया की पत्नी मेधा सोमैया द्वारा दायर मानहानि याचिका के संबंध में मुंबई की एक अदालत ने शिवसेना सांसद संजय राउत के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. इसके पहले मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज पीआई मोखाशी ने 10 जून को मेधा सोमैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए संजय राउत को सीआरपीसी की धारा 204 (ए) के तहत समन जारी करके 4 जुलाई, 2022 तक अदालत में पेश होना का आदेश दिया था.

उन्होंने अपने आदेश में कहा था, ‘रिकॉर्ड पर प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों और वीडियो क्लिप को देखकर प्रथम दृष्टया पता चलता है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के खिलाफ 15/04/2022 और 16/04/2022 को अपमानजनक बयान दिया है, ताकि इसे बड़े पैमाने पर जनता देख सके और इसे अखबारों में जनता द्वारा पढ़ा जा सके. मानहानि की सामग्री देखते हुए प्रथम दृष्टया इस्तेमाल किए गए शब्दों से मेधा सोमैया की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है.’

आपको बता दें कि शिवसेना नेता ने मेधा सोमैया पर मीरा-भयंदर इलाके में ‘100 करोड़ रुपये के शौचालय घोटाले’ का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि मीरा-भयंदर नगर निगम द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में शौचालयों के निर्माण के लिए आवंटित धन का कथित तौर पर मेधा ने अपने गैर-सरकारी संगठन ‘युवा प्रतिष्ठान’ के माध्यम से दुरुपयोग किया गया. इन आरोपों के जवाब में मेधा ने संजय राउत से अपना बयान वापस लेने और सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए कहा था.

संजय राउत के खिलाफ 100 करोड़ रुपए की मानहानि का केस
शिवसेना नेता द्वारा माफी नहीं मांगने की स्थिति में मेधा सोमैया ने उनके खिलाफ 100 करोड़ रुपए की मानहानि का केस करने की चेतावनी दी थी. संजय राउत ने न अपना बयान वापस लिया और न ही माफी मांगी, जिसके बाद मेधा ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया. अदालत में दायर अपनी याचिका में मेधा ने कहा था कि वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), रायगढ़ से जुड़े रुइया कॉलेज में 20 से अधिक वर्षों से ऑर्गेनिक केमिस्ट्री की प्रोफेसर हैं और ‘युवा प्रतिष्ठान’ नाम से एनजीओ भी चलाती हैं. आरोपी द्वारा मीडिया में दिए गए बयान नितांत मानहानि कारक हैं. आम जनता के बीच उनकी छवि खराब करने के लिए ये बयान जानबूझकर दिए गए.

कोर्ट ने राउत को 4 जुलाई तक पेश होने के लिए समय भेजा था
मेधा सोमैया ने यूट्यूब चैनलों पर उपलब्ध कथित मानहानिकारक कॉन्टेंट के लिंक अदालत को मुहैया कराए. उन्होंने एक पेनड्राइव में वीडियो भी उपलब्ध करवाए जो भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 बी के तहत एक प्रमाण पत्र द्वारा समर्थित थे. अदालत ने मेधा द्वारा दायर एक हलफनामे पर भी भरोसा किया. जज पीआई मोखाशी ने अपने आदेश में कहा, ‘आईपीसी की धारा 500 की सामग्री प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ साबित होती है.’ फिर कोर्ट ने संजय राउत को सीआरपीसी की धारा 204 (ए) के तहत समन जारी कर 4 जुलाई तक पेश होने का आदेश दिया था. उनके उपस्थित नहीं होने पर अदालत ने जमानती वारंट जारी किया.