नई दिल्ली / दिल्ली में कोरोना संक्रमण अब भी जोरों पर है | ऐसा कोई इलाका सुरक्षित नहीं बचा जहां कोरोना ने दस्तक ना दी हो | पॉश कालोनी हो या फिर आम बस्तियां , हर इलाके में कोरोना संक्रमण से लोगो को अपनी जान जोखिम में नजर आ रही है | हालत यह है कि किस्मत वालों को ही अस्पताल में जगह मिल पा रही है | अस्पताल में मरीजों का तांता लगने के बाद सरकार भी साफ़ कर चुकी है कि संक्रमितों को अब अपने ही घरों में रहकर कोरोना को मात देना होगा | राज्य सरकार, संक्रमितों को उनके घरों में ही दवाइयां मुहैया करा रही है | इस बीच उन लोगो की हालत बद से बत्तर हो रही है , जिनकी आजीविका कोठो पर निर्भर है |
दिल्ली का जीबी रोड इलाका एक समय रातभर गुलजार रहता था | यहां ऐसी चहल-पहल नजर आती थी , जैसे मेला लगा हो | चाय पान के ठेलों में भारी भीड़ , सिगरेट का कश उड़ाते लोग , कोठो से घुंघरुओं की आवाज तो कही मुजरे का दौर | इस रोड में लोगों की आवाजाही देर रात तक नजर आती थी | लेकिन अब ये इलाका अपने कड़वे दौर से गुजर रहा है | यहां अब वीरानी छाई हुई है | कोठो की रौनक कोरोना के संक्रमण ने छीन ली है | उसकी जगह अब कई कोठो में लोगो की चीख सुनाई पड़ती है | कही कोई छींकते खासंते नजर आता है , तो कोई सर्दी जुकाम से परेशान दिखाई देता है |
इस इलाके में अब अजीब सा सन्नाटा पसरा है | इस इलाके में अब अजीब सा सन्नाटा पसरा है | हालांकि ज्यादातर सेक्स वर्कर पूरी तरह से स्वस्थ है | बावजूद इसके कोरोना खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है | इस इलाके में सामान्य सर्दी खांसी और जुकाम वाले लोगों को देखकर भी कई ग्राहक उल्टे पांव लौट रहे है |
लोगों के जज़्बात और तजुर्बों को समेटे हुए यहां एक हजार से ज्यादा सेक्स वर्कर अपनी रोजी रोटी को लेकर चिंता जाहिर कर रही है | अब यहां ना तो लोग अपनी हवस बुझाने आते है और ना ही मुजरे के शौक़ीन तवायफों का दीदार करने का शौक फरमाते है | लिहाजा ये इलाका सेक्स वर्करों पर भारी पड़ने लगा है | लॉकडाउन के चलते दुनिया के सबसे पुराने जिस्म फरोशी के धंधे की कमर टूट चुकी है | इसने अपने साथ मुजरे के कारोबार को भी चौपट कर दिया है |
कोठों में मास्क , सेनेटाइजर उपलब्ध कराने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के दावों के बावजूद कोई दस्तक देना तक मुनासिब नहीं समझ रहा है | लिहाजा जीबी रोड के कोठों पर कारोबार करने वाली औरतें इन दिनों भारी परेशानी के दौर से गुजर रही है | कोरोना महामारी के फैलने और लॉकडाउन के दौरान यहां रहने वाली हजारों लड़कियां अपने नए ठिकानों का रुख कर चुकी है | लेकिन सैकड़ों की तादाद में ऐसी भी सेक्स वर्कर है जिन्हे कही पनाह नहीं मिल पाई | वे आज भी यहां डटी है | कुछ मज़बूरी वश तो कुछ स्थाई तौर पर यही बस जाने के चलते | कारोबार नहीं होने से सेक्स वर्कर्स के पास इन दिनों दवाई और रोजी रोटी तक के लिए पैसे नहीं हैं | ऐसे में वे आर्थिक सहायता के लिए सरकार का मुंह ताक रही है |