कोरोना पीड़ित परिवार हुआ अस्पताल में दाखिल , पत्नी और दो बच्चे स्वस्थ होकर लौटे लेकिन कोरोना पीड़ित पति लापता ? महिला के बवाल मचाने के बाद पता पड़ा कि कोविड19 से मौत के बाद दाह संस्कार भी हो चुका है , पीड़ित महिला ने कायदे कानूनों को लेकर अस्पताल पुलिस और सरकार को किया कटघरे में खड़ा 

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हैदराबाद वेब डेस्क / हैदराबाद से एक बड़ा ही अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक कोरोना ग्रसित परिवार के चार सदस्यों को अस्पताल में दाखिल कराया गया था | इसमें पति-पत्नी और उनके दो बच्चे शामिल थे | संक्रमण मुक्त होने के बाद पत्नी और दो बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई | लेकिन पति के बारे में इस परिवार को कोई जानकारी नहीं मिली | जब महिला को उसका पति और बच्चों को उनके पिता नहीं मिले तो उन्होंने अस्पताल में उनकी काफी खोजबीन की | कई लोगों से पूछा भी | लेकिन निराशा हाथ लगने के बाद उन्होंने मामले की शिकायत पुलिस से की और जमकर बवाल मचाया |

जानकारी के मुताबिक पीड़ित मरीज महिला और उसकी दो बेटियों को संक्रमण मुक्त होने की रिपोर्ट आने के बाद 16 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज कर किया गया था । महिला का कहना है कि उसका 42 वर्षीय पति भी कोरोना से संक्रमित थे, जो अब तक लापता हैं। उधर उस महिला के बवाल मचाने के बाद आज गांधी अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि उसके पति की मौत 1 मई को ही हो गई थी | डॉक्टरों के मुताबिक अगले दिन ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के अधिकारियों द्वारा पीड़ित परिवार के सदस्यों को सूचित करने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। उधर महिला की दलील है कि जब उसका पूरा परिवार ही अस्पताल में दाखिल था तो अधिकारियों ने किसे सूचना दे दी ?

हैदराबाद की वनस्थलीपुरम कॉलोनी में रहने वाली आलमपल्ली माधवी के ट्वीट के साथ ही इस विवाद की शुरूआत हुई है | उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि उनके 42 वर्षीय पति ए मधुसूदन जो एक राइस मिल में काम करते थे | वे भी परिवार सहित अस्पताल में भर्ती हुए थे |16 मई को इस परिवार को छुट्टी मिलने के बाद उनके साथ जब मधुसूदन घर नहीं आए तो उन्हें शक हुआ | उन्होंने उनकी खोजबीन की | पीड़ित महिला ने अपने इस ट्वीट को तेलंगाना सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री केटी रामाराव को भी टैग किया था ।

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उन्होंने मंत्री से शिकायत की कि उनके पति को 27 अप्रैल कोकिंग कोठी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 30 अप्रैल को गांधी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पति का एक मई को देहांत हो गया था और 2 मई को उनके दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई थी। माधवी ने आरोप लगाया कि अस्पताल के अधिकारियों ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए उनकी अनुमति नहीं ली थी | यही नहीं , अधिकारियों ने ना ही उनके पति के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन कराए। इतना ही नहीं अस्पताल ने उनके श्मशान में अंतिम संस्कार का कोई वीडियो, फोटो या उनके किसी सामान का कोई सबूत उन्हें नहीं दिखाया। पीड़ित महिला ने बताया कि 16 मई को जब अस्पताल से उन्हें छुट्टी मिली तो हमने अस्पताल के अधिकारियों से मेरे पति के बारे में फिर से पूछताछ की | लेकिन अस्पताल से उन्हें कोई सही जवाब नहीं मिला |

पीड़ित महिला ने बताया कि डॉक्टरों ने पहले कहा कि वह अभी भी वेंटिलेटर पर हैं | लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वह मर चुके हैं। पीड़ित महिला ने मंत्री से मांग है कि उसके पति के लापता होने के मामले की जांच की जाए | उधर गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ एम राजा राव ने एक बयान जारी कर कहा है कि महिला के पति जो कोरोना के साथ सांस लेने की बीमारी और निमोनिया से पीड़ित थे। अस्पताल में भर्ती कराने के एक दिन बाद ही एक मई की शाम को उनका देहांत हो गया था । उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के अनुसार, परिवार के सदस्यों को सूचित किया गया था | उन्होंने यह भी कहा कि प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शव को पुलिस को सौंप दिया गया था | उन्होंने परिजनों की मंजूरी की भी बात कही |
 

डॉ एम राजा राव ने कहा कि जीएचएमसी द्वारा शव का अंतिम संस्कार किया गया था और सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। उन्होंने पीड़ित माधवी के परिवार के साथ सहानुभूति जताई | डॉ राव ने कहा कि अस्पताल के डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को बदनाम करना गलत है | वे अपने जीवन को खतरे में डालकर सैकड़ों कोरोना पीड़ितों का इलाज कर रहे है |

उधर माधवी ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनके पति जीवित हैं। वे गांधी अस्पताल अधीक्षक के उस दावे से सहमत नहीं है , कि परिवार को इसकी जानकारी दी गई थी | उनके मुताबिक पूरा परिवार अस्पताल में ही था | ऐसे में परिवार के सदस्यों के आगे नहीं आने पर उनके पति के शव को पुलिस को सौंप दिए जाने की बात बेमानी है | उन्होंने मांग की कि अस्पताल सबूत दिखाए कि उन्होंने किसे सूचित किया था? किस परिजन से उन्होंने सहमति ली थी वो पत्र उन्हें दिखाया जाये । माधवी की इस मांग के बाद अस्पताल प्रशासन सकते में है |