कांग्रेस में चर्चित महिलाओं की एंट्री का नया मामला सामने आया है,इस योजना को पार्टी ने भरपूर तरीके से दबाने-छिपाने का उपक्रम भी किया। लेकिन पार्टी के ही बड़े-बुजुर्ग बता गए है कि खैर खून खांसी ख़ुशी,छिपाए नहीं छिपती। उनका तजुर्बा बताता है कि इश्क़ और मुश्क़ भी ज्यादा दिनों तक छिपाए नहीं छिपता है।
राजनीति में फिल्म और कला जगत के लोगो की आवाजाही कोई नई बात नहीं है,लेकिन बंद कमरों में उनकी एंट्री की पटकथा,जरूर सुर्खियां बटोरती है। ऐसी ही उस चर्चित युवा नेत्री की दास्तान है,जिसकी पार्टी में एंट्री छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और पार्टी के स्टार प्रचारक ने बंद कमरे में करवाई थी। उसे टिकट दिया और पालन-पोषण तक की जवाबदारी अपने कंधो पर उठाई। मुख्यमंत्री का हाथ लगते ही “सोन चिरैया” ऊँचे आसमान में उड़ान भरने लगी, देखते ही देखते दिल्ली मुंबई समेत कई इलाको में उसके ताजमहल खड़े हो गए।
महानगरों के इन महलों में प्रजातंत्र के एक राजा की बे-खटके एंट्री होने लगी। राजा को भेष बदलकर,तो कभी रंग महल में.रंक का चोला ओढ़ आवाजाही करते देखा गया था। राजा पसोपेश में है,रंग महल के चर्चे पार्टी दफ्तरों में होने लगे है,रूप की कई रानियों के ठिकानो पर IT-ED और CBI जैसी एजेंसियों ने निगाहें करम फ़रमाया है,नतीजतन,दिल्ली से पैगाम लेकर कोई आया है।
दिल्ली/लखनऊ/रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का सिर्फ हाथ ही नहीं बल्कि शरीर भी फौलाद का है। मुख्यमंत्री खेती किसानी का हुनर भी जानते है,किसके खेत में कब और कैसे बुआई-रोपाई करनी है ? बघेल बखूबी जानते है,यूं ही राजनीति में उनके बाल सफ़ेद नहीं हुए है,घाट-घाट का पानी पीने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज बघेल की अपनी बानगी है।
यूं तो राजनीति के इस “Heman” ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ अपने पैतरों से दिन-रात एक कर दिया था,आखिरकार कांग्रेस में एक दौर में हुकूमत चलाने वाले राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी और पार्टी आलाकमान के बीच ऐसी रार छिड़ी की जोगी की कांग्रेस से विदाई और खुद के दम-ख़म पर राजनीति का नया दौर शुरू हुआ।
आमतौर पर कोई भी राजनीतिक दल और उसके नेता बंद कमरा बैठक पर अक्सर जोर देते है,ताकि किसी को कानो-कान खबर ना हो,बातचीत और आपसी विचार-विमर्श की गोपनीयता कायम रहे। इसके लिए होटलों,भवनों और सरकारी इमारतों के कमरों में गोपनीय बैठक सुर्खियों में रहती है। यहां तक की आया-राम,गया-राम की राजनीति हो या फिर किसी नेता का पार्टी प्रवेश, इसका सार्वजनिक रूप से ढिंढोरा पीटा जाता है।
किसी भी चर्चित नेता की पार्टी से विदाई की शुरुआत भले ही बंद कमरे से होती हो,लेकिन उसका किसी भी पार्टी में प्रवेश हर्षोल्लास के साथ होता है। कमोवेश ऐसे नेताओं के साथ समर्थकों, मैनेजरों,चमचो और पार्टी के अन्य कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी भी दर्ज होती है।
राजनीति के नए “He Man” ने भारतीय समाजशास्त्र और महिलाओ से जुड़े मुद्दों और उनकी समस्याओ को सुलझाने की विलक्षण शक्ति भी पाई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उन संवेदनशील नेताओ में शामिल हो गए है,जो महिलाओ को स्वालंबी बनाने और उनके सुनहरे भविष्य को गढ़ने के लिए भी जमकर हाथ-पैर मारते है।
बताते है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद संवैधानिक शक्तियों में इजाफे की बात तो समझ में आती है। लेकिन शारीरिक बल में “Horsepower” का आना,शोधकर्ताओं के लिए माथापच्ची का विषय हो सकता है।
जानकारी के मुताबिक 23 अगस्त 1961 को जन्मे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, रंग-बिरंगे वसंत का 61 बरस पार कर चुके है। मुख्यमंत्री के इंतज़ाम अली बताते है कि साहब,शारीरिक कला कौशल और आयुर्वेद के भी अच्छे जानकार है। उन्होंने दुर्ग में अपने बाग़-बगीचों में आम फसलों के अलावा सफ़ेद मूसली समेत कई शक्तिवर्धक औषधियों की खेती-किसानी भी की है। मुख्यमंत्री बनने से पूर्व बघेल कई पत्रकारों को अपने खेत खलियानों की सैर भी करा चुके है। उन्होंने अपनी उर्वरा शक्ति का प्रदर्शन कई मौकों पर किया है।
राजनीति के जानकार यह भी तस्दीक करते है कि भूपेश बघेल प्रयोगधर्मी भी है,महात्मा गांधी के अनन्य अनुयायी है,मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहले गाड़ी भरकर कांग्रेस की पार्टी को उन्होंने महाराष्ट्र के सेवाग्राम की सैर करवाई थी। राज्य के कई नेता मुख्यमंत्री के साथ महात्मा गांधी की नगरी सेवाग्राम पहुंचकर फुले नहीं समाई थी।
इंतज़ाम अली बताते है कि वर्धा स्थित सेवाग्राम की प्रतिकृति,हूबहू जस का तस राजधानी रायपुर के नवा रायपुर में बनवाइ गई है। इस पर करोडो का खर्च आया है,दरअसल “गांधी दर्शन” से प्रभावित मुख्यमंत्री चाहते है कि उनके राज्य में भी एक सेवाग्राम हो। भले ही लोग महात्मा गांधी के नक़्शे कदम पर दो-चार कदम ना चल पाए, लेकिन उसकी प्रतिकृति देखकर प्रेरणा तो प्राप्त कर सकते है,इसके लिए राज्य की जनता को मोटी रकम खर्च कर वर्धा स्थित सेवाग्राम जाने की जरुरत नहीं है। गांधी जी को स्वयं मुख्यमंत्री जी ने सहज और सरल तरीके से मंत्रालय के करीब ही स्थापित कर दिया है।
“महात्मा गांधी” के दर्शन जल्द-आसानी से अधिकारियों,विधायकों और नेताओं को हो सके इसका भी पुख्ता प्रबंध किया गया है। नौकरशाही और नेता नगरी के लिए नई बसाहट की गई है,विधान सभा,मुख्यमंत्री निवास और चमचमाती गाड़ियों में फर्राटा भरने वाले गुर्गो के लिए भी मुफिद जगह पर रैन-बसेरा बनाया गया है।
जनता की सरकारी तिजोरी तमाम विलासिता की वस्तुओ पर खर्च करने के लिए झोंक दी गई है।भले ही मोहनदास करमचंद गांधी का विलासिता से दूर-दूर तक का नाता ना रहा हो,लेकिन उनके नए-नवेले अनुयायी की बानगी अलग है।
मुख्यमंत्री बघेल के “गांधी” सरकारी तिजोरी से धड़ाधड़ पार हो रहे है,मनी लॉन्ड्रिंग,काला बाजारी,हवाला समेत कई गोरखधंधो में गांधी जी की तस्वीरों का समुचित आदर-भाव के साथ मुख्यमंत्री की टोली स्वागत-सत्कार में जुटी है। कोल खनन परिवहन,आबकारी घोटाला,PSC में धांधली दर्जनों सरकारी दफ्तरों में आर्थिक अपराधों के साथ संगीन वारदाते सुर्खियां बटोर रही है। लेकिन गांधी के महात्मा मुख्यमंत्री बघेल मौन है ?
महिला सशक्तिकरण की दिशा में हालिया नहीं,बल्कि मुख्यमंत्री बघेल संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर से चर्चित है। उनके करीबी बताते है कि पार्षद के रूप में अपनी राजनीतिक शुरुआत करने वाले भूपेश बघेल,पाटन से बतौर विधायक तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल विस्तार के आखिरी सत्र में कुछ माह के लिए परिवहन राज्य मंत्री बनाए गए थे। उसके बाद बघेल ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ से अजीत जोगी के मंत्री मंडल में भी अपना स्थान बनाया था।
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी,अपने होनहार मंत्री के तमाम पैंतरों से वाकिफ थे,लिहाजा उन पर विशेष दृष्टि रखी जाती थी। बताते है कि वर्ष 2003 में सत्ता गवाने के बाद अचानक भूपेश बघेल और जोगी के बीच इतनी रार छिड़ी की दोनों यदाकदा ही एक मंच पर नजर आए।
सूत्र बताते है कि भूपेश बघेल के कुछ मामलों में अतिसंवेदनशील रवैये से दिग्विजय सिंह की तर्ज पर पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी तिरछी नजर रखते थे। उन्हें यही नागवार गुजरता था।
अब जोगी इस लोक में नहीं है,जबकि दूसरे राजनीतिक गुरु परलोक में है,मतलब पराए प्रदेश में है,पडोसी राज्य मध्य प्रदेश में है,जबकि छत्तीसगढ़ का “heman” देश-प्रदेश में सुर्खियां बटोर रहा है। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी कोई दबी हुई हसरत को किसी होटल के बंद कमरे में पूरी की थी। इसका कतई गलत अर्थ मत लगाइए,दरअसल सीएम साहब अपनी राजनीतिक सूझबूझ को भांजने के लिए बंद कमरा बैठकों को कुछ ज्यादा तरजीह देते है,क्योंकि दीवारों के भी कान होते है,गोपनीयता के साथ मानसिक सुकून भी तो जरुरी होता है।
छत्तीसगढ़ में अर्चना गौतम अब जाना-पहचाना चेहरा ही नहीं नाम भी हो गया है।बताना काफी है कि साहब की ख़ास है, अर्चना गौतम से मुख्यमंत्री की नजदीकियां इतनी नजदीक है कि उन्हें कांग्रेस में प्रवेश दिलाने के लिए होटल के बंद कमरे में मुख्यमंत्री को घंटो कसरत करनी पड़ी,वक्त गुजारना पड़ा,इसके बाद होटल की चारदीवारी में उस बंद कमरे के भीतर ही इस युवा नेत्री का पार्टी प्रवेश हुआ था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में यह पहला मौका है,जब लखनऊ की सितारा होटल के एक कमरे के भीतर इस युवा नेत्री का पार्टी प्रवेश हुआ था। इस पार्टी प्रवेश की तस्दीक करने वाला शख्स न्यूज़ टुडे नेटवर्क के संपर्क में है। बताते है कि अर्चना गौतम ने दर्जनों पत्रकारो और पार्टी कार्यकर्ताओ के बीच 26 नवंबर 2021 को संविधान दिवस के दिन भारी भीड़ के बीच कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। इस दौरान कांग्रेस पार्टी में एक करोड़ कार्यकर्ताओं को जोड़ने का अभियान शुरु किया गया था।
जानकारी के मुताबिक अर्चना गौतम के अलावा उत्तर प्रदेश के अन्य सैकड़ो कार्यकर्ताओ ने लखनऊ स्थित कार्यालय में कांग्रेस प्रवेश किया था। यहां मंच पर अर्चना गौतम ने भूपेश बघेल और कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी मौजूदगी में पार्टी प्रवेश किया था। इसके बाद नए सिरे से होटल के बंद कमरे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा अर्चना को दोबारा,वीरानी में Exclusive Event के तहत पार्टी पुनर्प्रवेश का मामला सुर्खियों में है।
उधर,छत्तीसगढ़ में कोल खनन परिवहन घोटाले और आबकारी घोटाले में अफसर पत्नियों और महिला गैंग के कारनामो के पन्ने पलटते ही कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी का रायपुर दौरा भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है। रायपुर में कई घंटे गुजारने के दौरान प्रमोद तिवारी ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर एक के बाद एक कई राजनीतिक हमले किए और देखते ही देखते दिल्ली फुर्र भी हो गए।
बताते है कि प्रवर्तन निदेशालय उन स्वावलंबी महिलाओ की 2018 से पूर्व की माली हालत से वाकिफ हुआ था,जो इन दिनों कभी रुपहले परदे पर धूम मचा रही है, तो कहीं कलेक्टर और मुख्यमंत्री कार्यालय में उपसचिव बनकर जनता की सेवा में जुटी है। कोई महिला तो सशक्तिकरण का बोझ अकेले ही उठा रही है, उनकी अकूत धन-दौलत का हिसाब-किताब करने के लिए भारत सरकार की सबसे बड़ी जांच एजेंसियों को दिल्ली से छत्तीसगढ़ का रुख करना पड़ रहा है।
मेरठ की इस बाला का जादू देखते ही देखते आखिर कैसे बिखर गया ? इस पर बगैर सोचे-विचारे कांग्रेस ने बड़ी चतुराई से अर्चना गौतम से किनारा कर लिया। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री बघेल ने कांग्रेस को मजबूती देने के लिए तन मन और धन,पूरा-पूरा झोंक दिया था। इस कड़ी में रायपुर से लखनऊ और दिल्ली तक उनके राजनीतिक सलाहकार शयन सैया की सेज सजा रहे थे।
उधर, कांग्रेस के महाअभियान के प्रणेता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल महिला कॉलेजों/महाविद्यालयों के सामने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ लिखे बैनर के नीचे सदस्यता अभियान की देखरेख कर रहे थे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी,अपने इस मुख्यमंत्री के तमाम संदेशो पर भरोसा कर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की खोई हुई ताकत का असर देख रही थी। लेकिन जब परिणाम सामने आया तो बिस्तर गुल था, होटल का कमरा खाली था, बिखरे बिस्तर के बीच, कांग्रेस का सपना लहू-लुहान हो चुका था।
बताते है कि छॉलीवुड के कई नेता बॉलीवुड के कलाकारों की सेज पर जमकर हवाला कर रहे है, उनकी ब्लैक मनी रुपहले परदे पर रंग दिखा रही है,वन टू का फोर और फोर टू का वन हो रही है,लेकिन ऐसे संघर्षरत कलाकारों की चल-अचल संपत्ति में मुख्यमंत्री का हाथ भी नजर आने लगा है। इस हाथ के पकड़ में आते ही साहब का घोड़ा भी पकड़ा गया है। पंडित ओम प्रकाश शर्मा आदित्य के मुताबिक घोड़ो को मिलती नहीं घास देखो,गधे खा रहे है,च्यवनप्राश देखो। शायद पंडित जी देश की राजनीति के पुतो को पालने में ही देख चुके थे।
पिछड़ों को समुचित प्रतिनिधित्व देने की मांग आधी की अधूरी रही,अर्चना ने मुँह खोला बवाल मच गया। रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान प्रियंका गांधी ने अर्चना गौतम से मिलने तक से परहेज किया था। उधर, अर्चना भी कहां अनुनय-विनय करने वाली थी। लिहाजा उन्होंने भी प्रियंका के निज सचिव संदीप सिंह पर सीधा हमला बोल दिया था। अर्चना और संदीप सिंह के बीच विवाद थाने-कोर्ट कचहरी में भी चर्चा में है।
मुख्यमंत्री बघेल की खास समर्थक अर्चना गौतम की शिकायत पर प्रियंका गांधी के निज सचिव के खिलाफ उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक थाने में FIR दर्ज की गई है, मामले की जाँच अब यूपी पुलिस ने छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप दी है। संदीप सिंह के खिलाफ अर्चना गौतम के पिता श्री गौतम बुद्ध द्वारा मेरठ में दर्ज FIR को रायपुर भेज दिया गया है, चूंकि वाद-विवाद का घटना स्थल रायपुर है।
उधर लखनऊ की एक होटल में अर्चना गौतम का कांग्रेस प्रवेश,इधर रायपुर की एक होटल से ही प्रियंका गांधी और उनके निज सचिव संदीप सिंह पर सीधा हमले की रणनीति गौरतलब बताई जाती है। सूत्र बताते है कि अर्चना गौतम की रुपहले परदे पर एंट्री हो,या फिर राजनीतिक धमाके पर आने वाला व्यय,राजनीति का HeMan ही सबका रखवाला है।
हालांकि ED के दफ्तर में HeMan की एंट्री से पहले अचानक कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी का रायपुर दस्तक देना सुर्खियों में है। सूत्रों का दावा है कि बंद कमरे में नौजवान युवतियों को सत्ता का नशा चढाने वालो की अब खैर नहीं।