सुनील नामदेव दिल्ली /रायपुर : प्रधानमंत्री के एक फैसले से रातो-रात उन नेताओ की जेब कट गई है,जो दिन-रात सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ कर रहे थे। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव के पहले दो हजार का नोट राज्य में कहर बरपा सकता है।
इस वर्ष होने वाले विधान सभा की चुनावी बेला अचार संहिता के सितम्बर माह से ही प्रभावशील होने का कयास लगाया जा रहा है। ऐसे में नोटबंदी का असल मकसद इस राज्य में कैसे क्रियान्वित किया जाएगा,इस ओर देश की निगाहे लगी हुई है।
सूत्र दावा करते है कि छत्तीसगढ़ में ब्लैक मनी और मनी लॉन्ड्रिंग के कई सरकारी और गैर सरकारी कारखाने बड़े ही सुनियोजित ढंग से संचालित हो रहे है। ED की लगातार छापेमारी के बीच इस राज्य से कई सरकारी और गैरसरकारी एवं सहकारी बैंको में समायोजित होने वाले 2000 के नोटो की जमा स्वीकृति में पारदर्शिता दांव पर बताई जा रही है।
बताते है कि पिछली नोटबंदी के दौरान राज्य के कई बैंको में काला-पीला चर्चा का विषय बन गया था। करोडो का वारा-न्यारा कई चर्चित बैंक अफसरों,दलालो और कारोबारियों ने किया था। इस बार भी इसकी पुनरावर्ती की आशंका बढ़ गई है।हालाँकि एजेंसियां हालात से वाकिफ बताई जाती है।
बताते है कि 2000 की नोटेबंदी,छत्तीसगढ़ के राजा हरिशचंद्र पर भारी गुजर रही है। लम्बे अरसे से राज्य के कई ठिकानो में सहज कर रखे गए 2000 के नोटों की गड्डी सडको पर बिखरी नजर आ सकती है। नोटबंदी के दौर में नोटों के असली सौदागर अनिल टुटेजा,एजेंसियों की रडार पर है।
सूर्यकांत,सुनील अग्रवाल और सौम्या चौरसिया समेत तमाम चर्चित दिग्गज जेल की चार दीवारी के भीतर कैद है,ऐसे में इनके 2000 के नोटों का भगवान् ही मालिक बताया जा रहा है। एजेंसियों को अब ED के तमाम आरोपियों की जेल से संचालित गतिविधियों पर पैनी निगाह रखनी होगी। इस बीच कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है।
सूत्र दावा कर रहे है कि छत्तीसगढ़ में प्रजातंत्र का राजा,मोदी सरकार के फैसले से कंगाली की कगार पर आ गया है। इस बार तो सहकारी बैंको में भी सरकार ने कडा पहरा बैठा दिया है। IT-ED और CBI देश के सबसे बड़े ब्लैक मनी हब में मंडरा रही है।
घोटालो की रकम ठिकाने लगाने की होड़ के बीच नोट बंदी ने राजा और उसकी नौकरशाही के गले पर भी गुलाबी-गुलाबी नोटों को ठिकाने लगाने की मुसीबत डाल दी है। इस बीच कांग्रेसी नेताओ का बयान भी कम सुर्खियां नहीं बटोर रहा है। जयराम रमेश के तेवर तो सातवे आसमान पर बताए जाते है।
जयराम रमेश ने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि जब 2000 का नोट बैन करना था तो शुरू ही क्यों किया?’ कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए अपनी जमकर भड़ास निकाली है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि तथाकथित स्वयंसेवी विश्वगुरु, पहले करते हैं, फिर सोचते हैं। उन्होंने कहा कि 8 नवंबर 2016 को तुगलकी फरमान के बाद इतने शोर शराबे से पेश किए गए 2000 रुपये के नोट अब वापस लिए जा रहे हैं।
उधर,अलका लांबा ने कहा कि जांच हुई तो नोटबंदी सदी का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा। लांबा ने कहा कि कालेधन पर हमले के नाम पर 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 रुपया का नोट जारी कर प्रधानमंत्री मोदी ने मात्र अपने भगोड़े पूंजीपति मित्रों का ही काम आसान किया।
अलका लांबा ने कहा कि नोटबंदी से पहले देश का पैसा लेकर भागते तो मित्रों (भाइयों) को दोगुने बोरों में पैसा भर भागना पड़ता, परेशानी होती, नोट बंदी के बाद और 2000 रुपये का नोट जारी करने से मित्रों का काम हुआ आसान उससे आधे में ही काम हो गया. अब ना भगोड़े मित्र आए आयेंगे, ना ही कालाधन वापस आयेगा और अब तो 2000 रुपया का नोट भी बाजार से गायब होने जा रहा है.यह भी पढ़ें: फिर नोटबंदी! 2 हजार का नोट वापस लेगा RBI, 30 सितंबर तक बैंक में जमा करा
दरअसल,न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए वित्त विभाग एवं RBI के वरिष्ठ अफसरों ने कहा कि, भारतीय रिजर्व बैंक ने सबसे बड़ी करेंसी 2000 रुपये के नोट पर बड़ा फैसला जनहित में लिया है। रिजर्व बैंक के अनुसार, 2000 रुपये का नोट लीगल टेंडर तो रहेगा, लेकिन इसे सर्कुलेशन से बाहर कर दिया जाएगा. RBI के इस फैसले के बाद पॉलिटिकल रिएक्शन सबसे ज्यादा बीजेपी और NDA के धुर विरोधियो के ही सामने आ रहे हैं।
कर्नाटक के सीएम इन वेटिंग सिद्धारमैया ने कहा कि पीएम मोदी की एक और नोटबंदी. दुख की बात है। उनके मुताबिक भाजपा सरकार के पास अपनी नीतियों के बारे में स्पष्टता नहीं है,अगर वे इस पर रोक की योजना बना रहे थे, तो उन्होंने 2016 में 2000 के नोट बाजार में क्यों पेश किए ? मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ताजपोशी का इंतज़ार कर रहे सिद्धारमैया कहते है कि यह बीजेपी की नाकामी से ध्यान भटकाने की कोशिश है।
उधर,छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बायनो का इंतज़ार किया जा रहा है,समाचार लिखे जाने तक मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल और जनसम्पर्क विभाग द्वारा 2000 के नोटों पर पाबन्दी को लेकर कोई अधिकारी बयान अभी सामने नहीं आया है।
बताते है कि मुख्यमंत्री पसोपेश में है। साल दर साल उन पर लग रहे घोटालो के आरोपों में इन्ही 2000 के नोटों की भूमिका अहम् बताई जाती है। ऐसे में मुख्यमंत्री के दावों और वादों के प्यारे बोल सुनने के लिए लोग बेताब दिखाई दे रहे है।