रायपुर / राजनांदगाव – राजनीति का एड्स है भूपे’, ये लाइलाज बीमारी है , इससे बचाव ही इसका इलाज है , जैसे एड्स से बचाव सिर्फ सुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाना है , ठीक वैसे ही भ्रष्टाचार , घोटाले और गैरकानूनी गतिविधियों के जनक को कोंग्रेस से दूर रखना है , वरना राज्य में कोंग्रेस का अस्तित्व ही ख़त्म हो जाएगा । ऐसी ललकार नुक्क्ड़ सभाओं में सुनने मिल रही है , ऐसा उन कार्यकर्ताओं का मानना है जो राजनांदगाव लोकसभा सीट में भूपे के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं । राजनांदगाव के डोंडिलोहारा और छुईखदान इलाके में भूपे बघेल के खिलाफ कई कोंग्रेसियों का गुस्सा आग उगल रहा है । इस बीच निष्काषित कोंग्रेसी नेता अरुण सिंह सिसोदिया और पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के बीच कानूनी जंग छिड़ गई है ।
अरुण सिंह सिसोदिया ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल को जो कानूनी नोटिस भेजा था , उसे बघेल ने लेने से इंकार कर दिया है । मामला मानहानि का बताया जाता है । बताते हैं कि सिसोदिया फ़ौजी हैँ , सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की थी , वे पार्टी के अहम ओहदों मे रहे हैँ, स्लीपर सेल बताए जाने से वे नाराज हैँ । हाल ही में एक बयान में बघेल ने उनका विरोध करने वालों को बीजेपी का स्लीपर सेल बताया था । इससे बिफरे कई कार्यकर्ताओं ने बघेल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । सिसोदिया ने तो मानहानि का नोटिस तक भेजा है ।
कांग्रेस के निष्कासित नेता अरुण सिंह सिसोदिया ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के भिलाई स्थित ठिकाने पर जो कानूनी नोटिस भेजा था, पता ठिकाने पर जो कानूनी नोटिस भेजा था उसे लेने से इंकार कर दिया गया है । नोटिस वापसी के लिफाफे की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही है । इसे लेकर भूपे समर्थक और विरोधी अपनी अपनी राय भी जाहिर कर रहे हैं ।
राजनांदगांव के कई इलाकों में तो कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे के कई नेता ही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की कार्यप्रणाली को एड्स की बीमारी की तरह खतरनाक बता कर मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं । वे बताते हैं की एड्स का इलाज अब तक नही आया है , इससे सतर्कता ही इसका उपचार है । ऐसे ही कोंग्रेसियों से पार्ट को नुकसान हो रहा है । उनके मुताबिक भूपे के भ्रष्टाचारों का खामियाजा आम कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओं को उठाना पड़ रहा है । इस मामले को लेकर न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने कॉंग्रेसी नेता भूपे से सम्पर्क किया , लेकिन कोई प्रतिक्रिया नही प्राप्त हो पाई।