रायपुर: छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार गौरव दिवस जोर शोर से मना रही है।सरकारी माध्यमों और प्रेस मीडिया में करोडो के विज्ञापन नजर आ रहे है। इसमें मुख्यमंत्री बघेल के 4 सालो के कार्यकाल का गुणगान किया गया है। सरकारी जश्न के बीच सुपर सीएम सौम्या चौरसिया का जेल की हवा खाना कई लोगो को बेचैन किए हुए है। प्रदेश में भारी भरकम भ्रष्टाचार की आरोपी सौम्या चौरसिया की सोमवार को 5 दिनों की ज्यूडिशियल रिमांड ख़त्म हो रही है। उसे सोमवार को केंद्रीय जेल रायपुर से अदालत में पेशी में लिए लाए जाने के आसार है।
इस बीच छत्तीसगढ़ पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव पर दबाव बनाने के लिए नया पैतरा खेला है।ताकि इस दिन कुख्यात आरोपी सौम्या का न्यूज़ कवरेज रोका जा सके। इसके लिए पुलिस ने “ना सूत ना कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा” की तर्ज पर एक ऐसा नोटिस तैयार किया ताकि सुनील नामदेव को फिर घेरा जा सके। पुलिस ने किस प्रावधान और धारा के तहत बगैर तथ्यों वाला यह कागजी घोडा दौड़ाया है ? चर्चा में है…
पुलिस ने पत्रकार को जो नोटिस भेजा है, वो किसी अखबार में छपी खबर की तर्ज पर सामने आया है। नोटिस की इबारत पढ़कर आप भी दांतो तले उंगली दबा लेंगे। कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया का न्यूज़ कवरेज रोकने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी टीम किस तरह से प्रशासन और पुलिस तंत्र का दुरूपयोग कर रही है,इस नोटिस पर गौर कर समझा जा सकता है। पुलिस द्वारा जारी इस नोटिस में ना तो शिकायतकर्ता का नाम दर्ज है,और ना ही घटना का कोई ब्यौरा यही नहीं इस नोटिस को किस धारा के तहत जारी किया गया है,यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है।
दिलचस्प बात यह है कि नोटिस में विधान सभा इलाके के जिस सीएसपी का पदनाम और मुहर है,वो पत्रकार नामदेव की अदालत परिसर में ही गैरकानूनी घेराबंदी और नजरबंद किए जाने की घटना में शामिल है। यह भी गौरतलब है कि आरोपी सौम्या के न्यूज़ कवरेज को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस का गैरकानूनी कदम न्याय पसंद जनता को ना’गवार’ गुजर रहा है।
पीड़ित पत्रकार ने भी दोषी पुलिस अधिकारियों की जवाबदारी तय करने और उनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने के लिए अदालत का दरवाजा खट-खटाया है। इस मामले में 9 जनवरी 2023 को बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है।
लेकिन सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि सुनवाई से पूर्व छत्तीसगढ़ पुलिस फिर एक नया गैरकानूनी कदम उठाने की फिराक में है। इसका मकसद उनके खिलाफ हाईकोर्ट में लंबित याचिका की वापसी के लिए जमीन तैयार करना है। बताते है कि अदालत में गैरकानूनी घेराबंदी करने वाले छत्तीसगढ़ पुलिस के कारनामो से वरिष्ठ अधिकारी दो-चार हो रहे है।उन्हें हलफ़नामा के साथ अपना जवाब देना है।
जबकि अदालत में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ने पत्रकार सुनील नामदेव की नजरबंदी और घेराबंदी से इंकार किया है। वही,पीड़ित पत्रकार ने घटना का पूरा वीडियो कवरेज साक्ष्यों के साथ अदालत को सौंपा है।यह पहला मौका है जब पुलिस के सीनियर अधिकारियों को अपने जूनियर अधिकारियो की गैर जिम्मेदाराना हरकतों के कारण शर्मसार होना पड़ रहा है।
जबकि कई आईएएस अधिकारियों ने बघेल और उसकी टोली के गैरकानूनी निर्देशों के पालन से इंकार कर दिया है। सूत्र बताते है कि ED में फंसने के बाद आरोपी अधिकारियों को साफ़ कर दिया गया है कि वे अपने कर्मो की मार झेल रहे है। सरकार या सौम्या चौरसिया की ओर से गलत कार्य करने के निर्देश उन्हें कभी भी उन्हें नहीं दिए गए थे।
फिलहाल यह देखना गौरतलब होगा कि अदालत में पेश करते वक्त वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव सौम्या चौरसिया के हाल-चाल से आम पाठको और दर्शको को रूबरू करा पाते है या नहीं ? इस ओर जनता की नजरे लगी हुई है।