अब तो मानसून ही छत्तीसगढ़ की एक बड़ी आबादी की प्यास बुझायेगा, इन्हे बीते वित्तीय वर्ष में ही जल जीवन मिशन के जरिये पेय जल मुहैया कराया जाना था। यह मिशन अपने मार्ग से भटक कर घोटालों के गुरु के चंगुल में फंस गया। अब गुरु भी चर्चा में है तो उसके चेले नुरू-पंडा भी। दोनों का एक ही मिशन, अवैध वसूली के चलते, न तो जनता को जल मिल पा रहा है और न ही उनके जीवन स्तर में कोई सुधार दर्ज हो पाया है। फ़िलहाल तो गुरु इस्तीफा देगा या फिर चेलों की छुट्टी होगी, इस ओर लोगों की निगाहें लगी हुई है।
दिल्ली/रायपुर: कोल खनन परिवहन और आबकारी घोटालो जैसे छुटभैया घोटालों से दो-चार हो रही ED को अब इनका बाप ” हाथ ” लगा है। इसका बाजार भाव लगभग 24 हजार करोड़ है, फाइलें पलटी जा रही है,हिसाब-किताब भुगतान के तौर-तरीके जांचे परखे जा रहे है,जारी पड़ताल के बीच राज्य में घोटालो ही घोटालो से एजेंसियां सकते में है। सूत्रों के मुताबिक जल जीवन मिशन नामक घोटालों का बाप भी जल्द ED की गिरफ्त में आने वाला है।
बताते है कि कई नौकरशाहों और राजनेताओं की अवैध आय का जरिया बन चुके जल-जीवन मिशन को पटरी पर लाने के लिए भारत सरकार भी मिशन मोड़ में आ गई है। उसकी नजर नुरू-पंडा के गुरु पर आ कर टिक गई है। बताते है कि दोनों ने “गुरू जी” की नई बाजार दर विभाग के कई अधिकारियो को पकड़ा दी है। नई दरों में पुराने वित्तीय वर्ष की तुलना में चढ़ौतरी का ग्राफ 15 फीसद से बढ़ाकर सीधा 18 फीसदी कर दिया है।
उधर,भारी-भरकम अवैध वसूली से कई अधिकारियो की जान पर बन आई है। सीएम की नाक के नीचे चल रही ED की कार्यवाही से भय खाकर कई अफसर और ठेकेदार गुरु घंटाल को मुँह मांगी रकम सौंपने से इंकार कर रहे है। उनके हाथ खड़ा करने से बिफरे गुरु ने जैसे ही सीएम का रुख किया,वैसे ही उसके सिर पर ओले पड़ने की खबर आ रही है।
राज्य की भूखी – प्यासी जनता को शुद्ध पेय जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने वाली महती योजना ” जल जीवन मिशन ” वर्ष 2019 में लागू की गई थी। वर्ष 2024 में आम चुनाव से पूर्व इस योजना को पूरा करने में लगभग 24 हजार करोड़ खर्च किये जा रहे है।साल दर साल केंद्र और राज्य सरकार इस योजना पर प्रतिमाह अरबो का भुगतान कर रही है। सरकार की आर्थिक मदद से संचालित इस योजना पर सालाना कई हजार करोड़ खर्च कर दिए गए है। लेकिन जनता को पानी मुहैया होना दूभर हो गया है। बताते है कि इस योजना की सरकारी रकम का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। सरकारी रकम की बंदरबाट को लेकर विभाग में खींचतान मची है।
सूत्र बताते है कि जल जीवन मिशन के पूर्व एमडी-वर्मा अरबों का चूना लगा कर चलते बने है,लेकिन अब मुसीबत उन नौकरशाहों के गले आन पड़ी है, जो विभाग में हालिया पदस्थ हुए है। मंत्री समेत उसके नुरू-पंडा विधान सभा चुनाव 2023 के खर्चो का बोझ-बेगार अभी से विभाग पर लाद रहे है। ठेकेदारों के संगठन और कई अधिकारियों की शिकायतों के बावजूद नुरू-पंडा की अवैध वसूली थमने का नाम नहीं ले रही है। नतीजतन, विभाग में गतिरोध कायम हो गया है।
एक ओर जल जीवन मिशन का मूल कार्य ही ठप्प करने वाला वर्ग सामने आ गया है, तो दूसरी ओर नियमानुसार कार्य कराए जाने को लेकर अधिकारियों का दूसरा वर्ग घोटालेबाजो को सबक सिखाने में जुटा है। लेनदेन को लेकर गुरु घंटाल सीएम से बिफरे हुए बताए जाते है। जानकारी के मुताबिक जल-जीवन मिशन योजना अगले साल ख़त्म हो जाएगी। उसके समापन से पूर्व राज्य की गरीब जनता को पानी मुहैया कराने पर जोर देने के बजाय गुरु घंटाल अधिकारियों को छत्तीसगढ़ में होने वाले विधान सभा चुनाव के खर्चो का बजट सौंप रहा है, इसे लेकर विभाग में हंगामा बरपा है।
सूत्र बताते है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना पर लगभग शेष बची 10 हजार करोड़ की रकम खर्च की जानी है।इसके टेंडर निविदा प्रक्रिया में है,जबकि विधान सभा चुनाव भी सिर पर चढ़ने लगा है। जल जीवन मिशन के कई अफसर और ठेकेदार चुनावी दौर में कई प्रभावशील नेताओं के लिए धन कुबेर साबित हो रहे है। इस योजना में घटिया सामग्री और गुणवत्ता विहीन कार्य घोटालो के गुरु के पसंदीदा कार्यक्रम बताए जाते है।
सरकारी शिकायतों का अंबार लग रहा है,लेकिन सख्त कार्यवाही की मनाही है,ऐसे में अफसर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच को लेकर भी संसय में है। इस मिशन के तहत अब तक खर्च की गई करीब 10 हजार करोड़ से ज्यादा की पाईप लाइन और अन्य मशीनरी ठप्प पड़ी है। राज्य के लगभग दो दर्जन से ज्यादा जिलों में यह योजना लक्ष्य से भटक चुकी है।
बस्तर और सरगुजा के आदिवासी इलाकों की एक बड़ी आबादी को चंद दिनों तक ही इस योजना का लाभ मिल पाया था, अब यहां ढेरों शिकायतों के अलावा कुछ नहीं है। पीड़ितों के मुताबिक वर्ष 2019 में योजना की शुरुआती दौर में जिन इलाकों में पाईप लाइन बिछाई गई थी, वो चंद महीनों में ही टूट-फूट गई, मशीनरी जाम हो गई, आखिरकर जलापूर्ति ठप्प है।
सूत्र बताते है कि भ्रष्टाचार के गुरु घंटाल मंत्री और सीएम के बीच अवैध वसूली को लेकर छिड़ी जंग इस्तीफे तक पहुंच गई है, सीएम के जवाब से गुरु घंटाल, सख्ते में बताया जा रहा है, उसे दो टूक इस्तीफा देने के लिए कह दिया गया है, वारदात के घंटों बीत चुके है, लेकिन सदमें में जा पंहुचा गुरु घंटाल इस्तीफा लेकर सीएम तक नहीं पंहुचा है। सरकार का घंटा बजाने का गुरु का दावा अब खोखला नजर आने लगा है। फटकार खाने के बाद अपने टेबल की घंटी बजा गुरु और उसके साथ घटित वारदात चर्चा में है।
बताते है कि मंत्री पसोपेश में और नुरू-पंडा के पैरों तले अब जमीन खिसक रही है। उन्हें जितना मिल रहा है, उतने में ही संतोष करना होगा, यह फरमान सुनाया गया है, वर्ना सौदा नहीं पटने पर फ़ौरन हाथों-हाथ इस्तीफा देने के लिए भी कह दिया गया है। प्रत्यक्षदर्शी सूत्र तस्दीक कर रहे है कि राजनीति के नये डॉक्टर ने गुलाबी चाहत को लेकर गुरु को मोह माया से दूर रहने की सलाह भी दी है, उसे इतना डांटा-फटकारा गया कि पूरे समय उसका चेहरा लगातार लाल-पीला होता रहा। लेकिन वो इस्तीफा देने के लिए कतई राजी नहीं हुआ। आखिरकार उसे विभाग में अवैध वसूली पर दबाव न बनाने की हिदायत दी गई है।
ताजा घटनाक्रम के बाद मिशन में घोटालों का दौर पुराने सूचकांक में ही लटके रहने के आसार बढ़ गए है। अब नई बढ़ोत्तरी और कोई नई चढ़ोत्तरी नहीं होगी। जो पुराने एमडी तय कर गए थे, उसी सूचकांक पर गुणवत्ता बर करार रखने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के ताजा फरमान जारी किये गए है। बताया जाता है कि जल जीवन मिशन में योजना के शुरुआती दौर में ही चढ़ोत्तरी का सूचकांक फिक्स कर दिया गया था। लेकिन बाजार को देखते हुए इसमें सालाना एक दो फीसदी की बढ़ोत्तरी हो रही थी। लेकिन इस बार गुरु जी ने नया मांग पत्र का पाठ शुरू कर दिया है।
बताते है कि अपने विश्वासपात्र अधिकारियों के साथ मिलकर गुरु घंटाल ने मिशन में जमकर हेरफेर किया है। उसकी कार्यप्रणाली में कोई सुधार दर्ज नहीं किया गया है। इससे उत्पन्न गतिरोध से योजना ही खटाई में पड़ गई है। मिशन के शुरुवाती दौर में ही भ्रष्टाचार की संगीन शिकायतों के बाद सीएम ने एक ही झटके में लगभग 12 हजार करोड़ के टेंडर-निविदा तक रद्द कर दिए थे। बताते है कि ऐसी ठोस कार्यवाही के बाद भी जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। कई निर्माण कार्यो में कारोबारियों और ठेकेदारों को बगैर कार्य किये ही हजारों करोड़ का भुगतान सुनिश्चित किये जाने की कई शिकायतें लंबित है।
सूत्र बताते है कि मिशन में ENC का 2 फीसदी, MD 3, विभागीय खर्च 2 फीसदी आंका जाता है, इसके बाद गुरु घंटाल को सीधे तौर पर 13 से 15 फीसदी फूल चढ़ाने होते थे, तभी गुरु कृपा बरसती है, 2 परसेंट चेलो नुरू-पंडा की कटौती के बाद धमतरी वाले बाल-गोपाल को पार्टी खर्च के लिए 5 फीसदी सौंपा जाता है, इसके अलावा आये दिन होने वाले राजनैतिक कार्यक्रमों में होने वाले व्यय का बड़ा हिस्सा कई अधिकारियों के सिर मढ़ दिया जाता है।
बताते है कि DMF फंड में हाथ साफ करने में माहिर एक प्रमोटी IAS को अचानक गुरु जी की NOC पर जल जीवन मिशन की कमान सौंप दी गई थी। वर्मा नामक भ्रष्टाचार में रंगे सियार को जल जीवन मिशन में नव जीवन तो मिल गया लेकिन गुणवत्ताविहीन कार्यो से जनता के सूखे कंठ भरी गर्मी में भी प्यासे की प्यासे रहे।उनके कार्यकाल में योजना की प्रगति और कार्यो की गुणवत्ता का मामला भारी भरकम घोटालों और वित्तीय अनियमितता से जुड़ा है। इसकी लगातार शिकायतें केंद्रीय जांच एजेन्सियो को भी सौंपी जा रही है।
राज्य में जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा कारखाना बताया जाता है। इसके असल मालिक की शिनाख्ती ” गुरु घंटाल ” के रूप में की जा रही है, ED समेत भारत सरकार की अन्य जांच एजेंसियो को जल्द ही भ्रष्टाचार के महागुरु के ठिकानो का रुख करना होगा, अन्यथा अधर में लटका जल जीवन मिशन, सिर्फ घोटालों का ठूंठ बन कर रहा जायेगा।
उपरोक्त समाचार एवं घटना का सीएम, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और PHE मंत्री रूद्र कुमार गुरु छत्तीसगढ़ शासन से दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है। News Today Chhattisgarh माननीय जन प्रतिनिधियों का सम्मान करता है। उनके नाम से मिलते-जुलते अन्य प्रचलित नाम के शख्स समाचार संकलन दौरान मौके पर पाए, इसमें सीएम से तात्पर्य ” चिंतामणि ” और गुरु तो घंटाल है ही, जल जीवन के नाले में निवासरत मिशन के ऐसे कई गुरु और उनके चेले पाइप लाइन के इर्द-गिर्द मंडराते पाए जा रहे है।