नई दिल्ली/रायपुर: सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ के कथित 36 हज़ार करोड़ के नान घोटाले में ED ने जो हलफनामा पेश किया है, उसमे चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हलफनामे में साफतौर पर कहा गया है कि घोटाले में आरोपी रिटायर्ड IAS अफसर अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला दोनों आरोपी जमानत देने वाले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक तत्कालीन जज के संपर्क में थे। ED का दावा है कि, दोनों आरोपी अग्रिम जमानत मामले में जज के भाई (अजय सिंह) पूर्व चीफ सेकेट्री छत्तीसगढ़ शासन के जरिए संपर्क में थे। दोनों आरोपियों को अक्टूबर 2019 को जमानत दी गई। तब जज के भाई को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया गया था।
छत्तीसगढ़ का नान घोटाला प्रदेश का सबसे बड़े घोटालों में से एक है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल की खासी भूमिका बताई जाती है। बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव 2018 में बघेल ने जनता को नान घोटाले की सीबीआई जांच कराने का भरोसा दिलाया था। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद बघेल ने घोटाले के आरोपियों से ही सांठगांठ कर ली थी। इस समझौते के तहत दागी आईएएस अनिल टुटेजा मुख्यमंत्री का खासम-खास बन गया था। उसे सुपर सीएम का दर्जा प्राप्त था। जबकि एक अन्य आरोपी आईएएस आलोक शुक्ला को उपकृत करते हुए रिटायर होने के बाद संविदा नियुक्ति दे दी गई थी।
उसके हाथों में शिक्षा विभाग जैसा बड़ा महकमा पुनः भ्रष्टाचार के लिए सौंप दिया गया था। आरोपियों में से एक अनिल टुटेजा शराब घोटाले में इन दिनों जेल में है, जबकि दागी आलोक शुक्ला बेल में। सुप्रीम कोर्ट में ED का हलफनामा चर्चा में है। इससे यह भी साफ़ हो रहा है कि भारी भरकम घोटाले में नागरिक आपूर्ति निगम की कार्यप्रणाली कतई विधि संगत नहीं थी। यही नहीं इसकी जांच में प्रदेश की एजेंसियां अयोग्य साबित हुई है। लिहाजा मामले की सीबीआई जांच के सिफारिश गौरतलब बताई जाती है।
इधर सुप्रीम कोर्ट में नागरिक आपूर्ति निगम के नान घोटाले में जारी सुनवाई के दौरान ED ने 1 अगस्त को हलफनामा दाखिल कर साफ़ किया है कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट के एक जज के भाई को आरोपियों को जमानत मिलने के बाद प्लानिंग कमीशन का उपाध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि हलफनामा में जज का नाम नहीं है, लेकिन वॉट्सऐप चैट डिटेल से उनका नाम पता चलता है। ED ने बताया कि 31 जुलाई 2019 और 11 अगस्त 2019 के कई वॉट्सऐप चैट मिले हैं।
इसे सुप्रीम कोर्ट से शेयर किया गया है। बताया गया है कि इन चैट से पता चला है कि सतीश चंद्र वर्मा के जरिए हाईकोर्ट जज की बेटी और दामाद का बायोडाटा तत्कालीन IAS अफसर अनिल कुमार टुटेजा को भेजा गया था। बताया जाता है कि ED करीब दो साल पहले से इस मामले को लेकर पसोपेश में थी। अदालत की गरिमा को देखते हुए उसने मामले का आधिकारिक रूप से खुलासा नहीं किया था।
हालांकि तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। जानकारी के मुताबिक करीब 2 साल पहले 2022 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए कहा था कि उनके एक कथित करीबी सहयोगी की वॉट्सऐप चैट से पता चला है कि नान घोटाला मामले के कुछ आरोपियों को जमानत मंजूर करने से दो दिन पहले मुख्यमंत्री एक न्यायाधीश से मिले थे। ये जज बिलासपुर हाईकोर्ट से संबंधित बताए जा रहे हैं।
इसके बाद अपनी प्रतिक्रिया में बघेल ने इसे अत्यंत दुर्भाग्यजनक बताया था। उन्होंने कहा था कि, सॉलिसिटर जनरल जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति राजनीतिक उद्देश्यों से झूठे और शरारत पूर्ण आरोप लगा रहा है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने कभी किसी जज से मिलकर किसी भी अभियुक्त के लिए किसी भी प्रकार का फेवर करने का अनुरोध नहीं किया। यह मेरी राजनीतिक छवि खराब करने एवं न्यायपालिका को दबाव में लाने का षड्यंत्र है।
फ़िलहाल पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपे सरकार की कलई एक बार फिर देश की सर्वोच्च अदालत के सामने तार – तार हुई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य की विष्णुदेव साय सरकार से भी उच्च स्तरीय जांच की अपेक्षा की जा रही है। भ्रष्टाचार के मोर्चे पर सख्ती की जरूरत आम नागरिक महसूस कर रहे है। ED के हलफनामे के बाद कहा जा रहा है कि मामला बीजेपी सरकार के पाले में है। वो चाहे तो अब इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश कर सकती है।