दिल्ली/ रायपुर: छत्तीसगढ़ के सुपर सीएम अनिल टुटेजा के अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अब खूब सुर्खियां बटोर रहें है। देश की लगभग एक तिहाई राष्ट्रीय जांच एजेंसियां छत्तीसगढ़ की ख़ाक छान रही है,जबकि दूसरी ओर कांग्रेस के पालनहार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल IT-ED,CBI, DRI,NIA और कई आयोगों के लिए खुद ब खुद सबसे बड़े सवाल के रूप में खड़े हो गए है।
छत्तीसगढ़ सरकार के दागियों के आगे आत्मसमर्पण करने के बाद केंद्र सरकार की कई एजेंसियां छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाको में दबिश दे रही है। उनके हाथ कभी भी खाली नहीं जा रहे है। लाखो-करोडो के गहने निवेश,चल-अचल नामी-बेनामी सम्पत्तियाँ उजागर हो रही है। एजेंसियों की दबिश में विभिन्न सराफा कारोबारियों से लेकर कांग्रेस के राजघरानो तक से जनता की तिजोरी पर मारे गए हाथ की बानगी देखने को मिल रही है। ताजा मामला अनिल टुटेजा की पत्नी मीनाक्षी टुटेजा और बहु-बेटो समेत पूरे फैमिली पैक का है।
ED सूत्रों पर भरोसा करें तो पिछले 48 घंटो से मीनाक्षी टुटेजा से गहन पूछताछ जारी है। इस बीच अलग-अलग मौको पर श्रीमती टुटेजा लगातार बेखौफ और तनाव रहित होकर ED दफ्तर से अपने अलग-अलग ठिकानो तक आवाजाही तय कर रही है। उनकी स्वतंत्रता बाधित करने में अभी तक ED की कोई भूमिका नजर नहीं आई है।
संदेही मीनाक्षी टुटेजा की ओर से भी ED की कार्यप्रणाली को लेकर अभी कोई लांछन नहीं लगाए गए है। लिहाजा समाचार लिखे जाने तक संदेही मीनाक्षी टुटेजा ने एजेंसियों पर कोई लांछन नहीं लगाए है। मसलन,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सुपर सीएम अनिल टुटेजा समेत गिरोह के अन्य सदस्यों की तर्ज पर अदालत में पेश दस्तावेजी आरोपों की तरह संदेही मीनाक्षी टुटेजा ने ED की कार्यप्रणाली पर समाचार लिखे जाने तक ऐसे कोई आरोप और शिकायत नहीं बयां की है,जैसे की उनके पति और पुत्र सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगा रहे है। माना जा रहा है, कि एजेंसियां पहले की तर्ज पर अपनी राह में है,जबकि बे’पटरी हो चुके संदेही-आरोपी धीरे-धीरे देश की मुख्यधारा में शामिल हो रहे है।
संदेही मीनाक्षी टुटेजा पति अनिल टुटेजा IAS,सुपर सीएम छत्तीसगढ़ शासन से एजेंसियां उनकी आकूत धन-दौलत का हिसाब-किताब पूछ रही है। बताते है कि मीनाक्षी की ढेरो शिकायतों के बावजूद राज्य सरकार की किसी भी वैधानिक एजेंसी ने कोई कार्यवाही नहीं की थी। नतीजतन केंद्र सरकार की एजेंसी IT और ED ने छापेमारी कर धनशोधन के कई छेद ढूंढ निकाले थे। सूत्रों का दावा है कि प्रदेशभर में कुकरमुत्तों की तरह उग आए मीनाक्षी ब्यूटी पार्लर मनी लॉन्ड्रिंग के सेंटर बन गए थे।
संदेही मीनाक्षी टुटेजा के कई ठिकानो पर हुई छापेमारी में एजेंसियों को काले धन के निवेश संबंधी कई ऐसे दस्तावेज हाथ लगे थे,जिसमे सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ जाने के तथ्य सामने आए हैं, टुटेजा की तिजोरी में जनता के धन की महक आ रही थी। बताते है कि 2018 के बाद से मीनाक्षी मैडम की धन-दौलत भी आसमान छू रही थी। प्रदेशभर की कई गगनचुंबी इमारतों में अनिल टुटेजा लटकते नजर आ रहे थे। ऐसी इमारतों में जरूरतमंद युवा युवतियों को हुनरमंद बनाने के नाम पर रोजाना ब्लैक एंड वाइट किया जा रहा था। मतलब प्रदेश की गरीब जनता के असली बेबस चेहरे पर कृत्रिम रंग रोगन-लेपन कर उन्हें चमकदार बनाया जा रहा था।
मीनाक्षी, मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर में जरूरतमंद बेरोजगारों की चमकदार मेहनत का वाजिब दाम भी कामगारों को नहीं मिल पा रहा था। जबकि उनकी रंग ला रही मेहनत की आड़ में टुटेजा दंपत्ति “वन टू का फोर” और “फोर टू का वन” कर रहे थे। राज्य की गरीब जनता की दिनभर की गाढ़ी कमाई एक तरफ और मीनाक्षी मैडम की एक मिनट की कमाई एक तरफ,नजर आती थी। मैडम की कमाई का लेखा-जोखा अब सुर्खियां बटोर रहा है।
बताते है कि टुटेजा दंपत्ति के पुत्र-पुत्री,बहू-बेटियों की भी आकूत धन-दौलत में इजाफा भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद ही हुआ है। इसकी तस्दीक करने वालो की कोई कमी नहीं,बताई जा रही है। जबकि सूत्र बताते है कि टुटेजा एंड कंपनी भी छत्तीसगढ़ शासन के अमले के साथ अपनी दिन दूनी रात चौगुनी कमाई के नुस्खों से एजेंसियो को संतुष्ट कराने में जी-जान से जुटी है। इस जोर अजमाइश के बीच राज-पूतो में से एक युवा ह्रदय सम्राट यश टुटेजा की गुमशुदगी चर्चा का विषय बनी हुई है।
यश टुटेजा को अपने पिता अनिल टुटेजा की तर्ज पर शीर्ष अदालत से “नो कोरोसिव एक्शन” का संरक्षण प्राप्त है। इसके बावजूद भी वे ED के दफ्तर से दूरियां बनाते नजर आ रहे है। सूत्र बताते है कि सुप्रीम कोर्ट से संरक्षण प्राप्त करने के उपरांत टुटेजा पिता-पुत्र एक बार फिर ED की पूछताछ से कन्नी काट रहे है, जबकि बाप-बेटे दोनों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए जांच में सहयोग की विशेष शर्त का पालन सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया है।
सूत्र बताते है कि भिलाई में किसी ADG का विवेकानन्द आश्रम इन दिनों ED के संदेहियों और आरोपियों के ठिकाने के रूप में तब्दील हो चुका है। नौकरशाहो के ऐसे ठिकाने केंद्र और राज्य सरकार के बीच “बफर जोन” साबित हो रहे है। बताते है कि भिलाई में कई नौकरशाहों ने BSP के बंगलो में अवैध कब्ज़ा बरक़रार रखा है,जबकि ऐसे अफसरों ने राज्य सरकार के पुल से भी राजधानी रायपुर के पॉश इलाको में खुद के नाम पर सरकारी बंगले भी आवंटित कराए है।
BSP के बंगलो में जोर जबरदस्ती कब्जा कर कई नौकरशाह उस भवन का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए कर रहे है। मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर और IT-ED और CBI के आरोपियों को संरक्षण देने के ठिकानो के रूप में BSP के कई ऐसे बंगले सुर्खियां बटोर रहे है। केंद्रीय एजेंसियों को भ्रष्टाचार की जड़ें खोदने के लिए दोहरे ठिकानो की ओर रुख करना पड़ रहा है।
सूत्र बताते है कि वर्ष 2019 में भिलाई स्थित सूर्या विहार में भी IT-ED की छापेमारी के दौरान छत्तीसगढ़ की सुपर सीएम सौम्या चौरसिया देखते ही देखते भिलाई स्थित अपने आवास से एजेंसियों की नजरो से ओझल हो गई थी। इस दौरान अंदेशा जाहिर किया जा रहा था कि वे रायपुर में अपने गोपनीय सरकारी ठिकाने में भागी है,लेकिन बाद में पता पड़ा था कि वे बुर्का ओढ़कर EOW के तत्कालीन IG के सरकारी आवास में दाखिल हुई थी। ये अफसर दंपत्ति इन दिनों अपनी कार्यप्रणाली की सरकारी चैट को लेकर सुर्ख़ियों में है।
छापेमारी के दौरान उनका दूर-दूर तक पता-ठिकाना तो दूर एजेंसियों को सुराग तक नहीं लग पाया था। लेकिन काफी देर बाद पता चला कि सौम्या मैडम बुर्का ओढ़कर ओझल हुई थी। बताते है कि जिस वक्त एजेंसियां उनकी खोजबीन में जुटी थी,उस वक्त रायपुर के ऑफिसर कॉलोनी स्थित सरकारी बंगले में सुस्ता रहीं थी। 2005 बैच के एक अनधिकृत जूनियर DGP के सरकारी आवास में भ्रष्टाचार की सरकारी मूर्ति को स्थापित किया गया था।
छत्तीसगढ़ के कोल खनन परिवहन,CSEB,PSC,आबकारी घोटालो के अलावा साल दर साल पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाने के प्रकरणों में टुटेजा एंड कंपनी सुर्खियों में है। बहुमुखी कारोबारी होरा बंधुओ समेत अन्य की नामी बेनामी सम्पत्तियो के मूल स्वामी टुटेजा एंड संस ही बताए जाते है।
यह भी जानकारी सामने आ रही है कि सरकारी तिजोरी में हाथ साफ़ करने वाले हितग्राहियो में टुटेजा परिवार के कई अन्य सदस्यों के नाम भी शामिल है। इसमें पुत्र-वधुओ की गिनती भी की जा रही है।
टुटेजा पिता-पुत्र समेत किसी अन्य नए पुराने परिजनों को अभी तक कानूनी संरक्षण प्राप्त नहीं है। ऐसे में ED की पूछताछ किस मोड़ पर ख़त्म होगी ? सिर्फ कयास लगाए जा रहे है। इस बीच अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि सुपर सीएम अनिल टुटेजा की तर्ज पर उनके परिजन भी ED को गच्चा दे सकते है। ऐसी परिस्थियों में दोबारा ED नई चुनौती का सामना करेगी या फिर जांच को प्रभावित होने से बचाने के लिए समय रहते कोई कारगर कदम उठाएगी ? यह देखना भी गौरतलब होगा।