छत्तीसगढ़ हाऊसिंग या भ्रष्ट्राचार का बोर्ड, राज्य के इतिहास में एक अफसर के तीन ठिकाने, आरडीए एनआरडीए और CGHB में एक ही अफसर को “की पोस्ट” पर किया गया तैनात, संदेहजनक मकसद  के चलते नियुक्ति ? सरकार की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, मामला बेशकीमती सरकारी जमीन को मिट्टी मोल ठिकाने लगाने का  

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में रायपुर स्थित शांति नगर की बेशकीमती सरकारी जमीन को मिटटी के भाव बेचे जाने की कवायद के बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है | यह खुलासा भरष्ट्रचार की एक चाबी के आधारभूत सिद्धांत से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है | आमतौर पर तालों को लेकर “मास्टर की” जिस तर्ज पर काम करती है , ठीक इसी तरह सरकारी महकमों में इन दिनों “की पोस्ट” कारगर बताई जाती है | जानकारी के मुतबिक यह खुलासा उस आईएएस अफसर की तैनाती को लेकर है , जो राज्य के एक मंत्री जी का खासम खास बताया जा रहा है | जानकारी के मुताबिक रियल स्टेट कारोबार से कही ना कही जुडी तीन संस्थाओं में सरकारी कृपा से एक मात्र अफसर को “की पोस्ट” पर फिट किया गया है |

इसका मकसद तो उस अफसर को तैनात करने वाले प्रभावशील नेता ही बता सकते है , लेकिन राज्य गठन के बाद यह  पहला  मौका है जब  एक अफसर को तीन बड़े उस महकमे की जवाबदारी सौंपी गई है , जो जमीनों की खरीद-फरोख्त को लेकर सुर्खियों  में रहता है | मसलन रायपुर विकास प्राधिकरण , न्यू राजधानी डेवलपमेंट ऑथरिटी और छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड इसमें शामिल है | दिलचस्प बात ये है कि राज्य के इतिहास में इस महकमे के महत्वपूर्ण पदों पर कभी भी एक मात्र नौकरशाह की नियुक्ति नहीं की गई | इसका मकसद इन तीनों संस्थानों में पारदर्शिता और क़ानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए वैधानिक तथ्यों के आधार पर किसी भी योजना को अमलीजामा पहनाये जाने का मकसद होता था | लेकिन इन तथ्यों को दरकिनार कर राज्य शासन की ओर से डॉ. अयाज तम्बोली को छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में कमिश्नर और आरडीए और एनआरडीए में सीईओ के पद पर तैनाती दी गई है | 

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इस दिलचस्प तैनाती के चलते छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के कमिश्नर डॉ अयाज तंबोली किसी भी योजना को लेकर आरडीए  सीईओ डॉ अयाज तंबोली को “एनओसी” जारी करेंगे | मामला यही नहीं थमेगा , आरडीए के सीईओ डॉ अयाज तंबोली फिर एनआरडीए के सीईओ अयाज तंबोली के हितों को ध्यान में रखकर “एनओसी” जारी करेंगे | राज्य सरकार की इस खास कार्यप्रणाली की चर्चा प्रशासनिक हलकों से लेकर राजनैतिक गलियारों में होने लगी है | लोग हैरत में है , कि आखिर क्यों किसी खास अफसर को  एक साथ तीन महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती दी गई है | जानकारों का मानना है कि यह प्रक्रिया प्रशासनिक कामकाज में तेजी लाने के लिए नहीं बल्कि भ्रष्ट्राचार के सरलीकरण के मद्देनजर अपनाई जाती है | उनके मुताबिक इस तरह की प्रकिया अपनाने से निष्पक्षता और पारदर्शिता दोनों के खात्मे की संभावना बढ़ जाती है | इस मामले को लेकर न्यूज़ टुडे ने राज्य के आवास और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर से संपर्क किया | लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई प्रति उत्तर प्राप्त नहीं हुआ | 

उधर 15 सौ करोड़ से अधिक की शांति नगर की बेशकीमती सरकारी जमीन को कौड़ियों के दाम मात्र 168 करोड़ में ठिकाने लगाए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है | यही नहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस  इलाके में बगैर अनुमति 565  में से एक सैकड़ा से अधिक पेड़ काटे जाने के मामले को गंभीरता से लिया है | इस इलाके में मूर्त रूप ले रही छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की शांति नगर रिडवेल्पमेंट योजना सवालों के घेरे में है | रियल स्टेट कारोबार से जुड़े लोगों के मुताबिक इस इलाके में जमीनों का बाजार भाव 10 हजार रूपये प्रति स्केयर फीट  से कहीं अधिक है | वो बताते है कि 10 हजार रूपये के आधार पर एक एकड़ जमीन की ही कीमत लगभग 44 करोड़ के आसपास आंकी जाती है |

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ऐसे में 37.02 एकड़ सरकारी भूमि की कीमत 17 सौ करोड़ के आसपास बैठती है | उनके मुताबिक  इस जमीन को सरकारी नियमों के मुताबिक ही रोड-रास्ता और मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर कुल भूमि का 20 फीसदी हिस्सा अलग भी कर दे तो , सिर्फ प्लाटिंग से सरकार को 17 सौ करोड़ से ज्यादा की आमदनी होगी | वो बताते है कि यदि सरकार इस इलाके को नियमानुसार डेवलप कर कोई योजना संचालित करती है तो उसकी आमदनी दो हजार करोड़ से ज्यादा निर्धारित हो सकती है | उनका यह भी मानना है कि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड इस योजना के जरिये सरकार की तिजोरी में सेंधमारी कर रहा है |

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