रायपुर/भिलाई – रायपुर से सटे भिलाई में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की तालपुरी परियोजना शुरू से ही चर्चित रही | लगभग दो हजार मकानों और फ्लेट वाली इस योजना में हजारों घर परिवारों ने अपना आशियाना सजाया हुआ है | लेकिन ज्यादातर परिवार गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य और उपयोग में लाई गई घटिया वस्तुओं से दो चार हो रहे है | बताया जाता है कि यहां निवासरत 260 ऐसे परिवार है जिन्होंने अदालत में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के खिलाफ याचिका दायर कर घटिया निर्माण कार्य को लेकर आपत्ति दर्ज की है | यही नहीं बारिश के मौसम इस इलाके में जल जमाव और आवाजाही के मार्गों की खस्ता हालत इस योजना की कामयाबी पर पलीता लगाती है |
जानकारी के मुताबिक इस योजना के जरिये जहाँ छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की साख पर बट्टा लगा , वही अफसरों की तिकड़ी ने करोड़ों रूपये अपनी झोली में डाले | इस ब्लैक मनी से इन अफसरों ने अपने परिजनों और नाते रिश्तेदारों के नाम से छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर चल अचल संपत्ति अर्जित की | भ्रष्ट्राचार की इस योजना की शासन स्तर पर जांच भी की गई | लेकिन प्रभावशील अफसरों की तिकड़ी ने इस जांच रिपोर्ट को ही आलमारी में कैद कर दिया | हालांकि न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ को यह जांच रिपोर्ट हाथ लगी है | इसमें दर्ज इबारते बताती है कि हाऊसिंग बोर्ड को काली कमाई का जरिया बनाने वाले दागी अफसरों को ना केवल जेल की सैर करानी होगी बल्कि उनकी चल अचल संपत्ति भी राजसात किये जाने की कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए |
भिलाई में तालपुरी प्रोजेक्ट योजना के लिए वर्ष 2007 में बीज विकास निगम से 57.50 एकड़ एवं भिलाई इस्पात संयंत्र से 7533 एकड़ कुल 132.83 एकड़ भूमि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने प्राप्त की थी | इस पर दो हजार से अधिक आवास निर्मित किये गए है | ये सभी आवास एक निर्धारित कीमत पर ग्राहकों को बेचे गए थे | अब ये ग्राहक घटिया निर्माण कार्य को लेकर दो चार हो रहे है | ग्राहकों की शिकायत और भ्रष्ट्राचार के मामले सामने आने के बाद पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने मामले की जांच कराई थी | लेकिन लगभग ढाई सालों से जांच रिपोर्ट को सरकारी आलमारी में कैद करके रख दिया गया | हजारों पीड़ितों को उम्मीद बंधी थी कि जांच रिपोर्ट के आधार पर मौजूदा कांग्रेस सरकार कड़े कदम उठाएगी | लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिरने लगा है | पूर्ववर्ती सरकार में जिस तरह से दागी अफसरों की तूती बोलती थी , ठीक वैसे ही मौजूदा कांग्रेस सरकार में सत्ताधारी दल के नेताओं ने उन्हें अपने सिर आँखों पर बैठा लिया है |
जांच रिपोर्ट में पाया गया कि अफसरों की तिकड़ी क्रमशः एच के वर्मा अपर आयुक्त, एच के जोशी अपर आयुक्त और एम डी पनारिया अपर आयुक्त ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रूपये का वारा-न्यारा किया | जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि बिना ऑफर , और EOI अर्थात EXPRESSION OF INTEREST आमंत्रित किये | द्वितीय चरण का वस्तुविदीय कार्य प्रथम चरण में अनुबंधित वास्तुविद को प्रदान किया गया | जांच रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया कि किस तरह से करोड़ों रूपये का अफसरों ने घोटाला किया | इस दौरान कार्यपालन अभियंता द्वारा पत्र क्रमांक 3713 , दिनांक – 03/03/2008 के माध्यम से पारिजात अपार्टमेंट एवं लेआउट प्लान का मॉडल प्रदाय करने हेतु पूर्व में HIG एवं MIG अपार्टमेंट के मॉडल हेतु स्वीकृत दर रूपये 1.50 लाख प्रति मॉडल की दर से पृथक से कार्यादेश जारी किया गया |
घोटाले को अंजाम देने के लिए अफसरों की इस तिकड़ी ने प्रोजेक्ट के ब्लॉक A एवं B हेतु निविदा राशि की गणना किस प्रकार से की इसका ब्यौरा ही गायब कर दिया | इस बारे में मुख्यालय में कोई भी दस्तावेज नहीं पाए गए | नियमानुसार सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति और NIT की कोई भी जानकारी मुख्यालय में उपलब्ध नहीं पाई गई | यही नहीं इस योजना के पुनरीक्षित भू-अभिन्यास की स्वीकृति भी नहीं प्राप्त हुई |
भ्रष्ट्राचार के लिए मशहूर इस तिड़की ने ब्लॉक A के अंतर्गत ठेकेदार को विभिन्न मदों में कुल रकम 38 करोड़ 68 लाख 83 हजार का अग्रिम भुगतान दिया | भ्रष्ट्राचार और काली कमाई के लिए इस तिकड़ी ने अग्रिम भुगतान का खेल ब्लॉक B के निर्माण कार्यों में भी किया | ब्लॉक B के ठेकेदार को विभिन्न मदों में कुल 54 करोड़ 78 लाख 76 हजार का अग्रिम भुगतान दिया गया | जांच रिपोर्ट में साफ़ किया गया कि इन तीनों अफसरों ने छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की तिजोरी में भी सेंधमारी की | जांच रिपोर्ट में साफतौर पर दर्ज किया गया है कि मंडल की निधि का दुरूपयोग करते हुए उक्त ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया | रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि दोषी अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने के साथ साथ ठेकेदार को किये गए अतिरिक्त भुगतान की ब्याज सहित वसूली भी की जाए |
भिलाई-दुर्ग की इस महत्वाकांक्षी योजना को NIT में धारा 3C में शामिल नहीं कराये जाने को लेकर भी हैरानी जताई गई | जांच रिपोर्ट में बताया गया कि 576 भवनों के निर्माण कार्य अफसरों की इस तिकड़ी ने बगैर सक्षम प्राधिकारी की अनुमति से किया | जानकारी के मुताबिक ट्विन सिटी तालपुरी , रुवाबांधा , दुर्ग-भिलाई के कई दस्तावेज अफसरों की इस तिकड़ी ने नष्ट कर दिए | ताकि भ्रष्ट्राचार और कालाबाजारी के सुराग किसी के हाथ ना लग पाए | फ़िलहाल छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की साख और निधि को दागी अफसर दीमक की तरह चाट रहे है | जबकि मौजूदा कांग्रेस सरकार के जिम्मेदार विभागीय मंत्री और आलाधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे है | आखिर क्यों ? अब यह देखना गौरतलब होगा कि तालपुरी प्रोजेक्ट की जांच रिपोर्ट से हटी धूल कितनी कारगर साबित होती है | “सरकार” मामले को रफा दफा करने में दिलचस्पी लेंगे या फिर भ्रष्ट्राचारियों को उनके असल ठिकाने में पहुंचाने के लिए कानून का डंडा चलाएंगे | लोगों की निगाहें इस ओर लगी हुई है |