रायपुर : छत्तीसगढ़ में ED के अफसरों ने एक बार फिर मोर्चा संभाल लिया है। प्रदेश में सरकारी सिस्टम जाम कर रोजाना करोडो की कमाई कर रहे अफसरों के काले कारनामो के सबूतों के आधार पर अब कई नेताओं और राजपुत्रो की मुसीबत बढ़ सकती है। सूत्रो का दावा है कि आने वाले दिनों कुछ बड़ी वैधानिक कार्यवाही के आसार है। इसके लिए जाँच अधिकारियों ने पूछताछ की लम्बी फेहरिस्त तैयार कर ली है। सूत्रों का दावा है कि 2 फरवरी 2023 से पूर्व कुछ राजपुत्रो के बड़े कारनामे जनता के बीच आ सकते है। हालांकि सौम्या से सम्बद्ध कुछ नेताओं को भी पूछताछ का न्यौता मिल सकता है।
इसके लिए कई काले कारनामो की वैधानिक अनुमति चर्चा में है। सूत्र बता रहे है कि जाँच की जद में आए कुछ चर्चित अफसरों ने गैरकानूनी कृत्यों के लिए साहब की मौन सहमति वाले फरमानो का लेखा – जोखा ED को सौंप दिया है। सूत्र बताते है कि साहब से पूछताछ की रेखा तय की जा रही है। उनसे सरकारी मशीनरी जामकर अवैध उगाही करने के मामलो की रोकथाम के बजाय ऐसे अफसरों के साथ नजदीकी संबंधो को लेकर पूछताछ हो सकती है।
बताते है कि जाँच अधिकारी इस तथ्य को लेकर हैरान है कि कई मामलो के संज्ञान में आने के बावजूद साहब ने समय पर वैधानिक कदम क्यों नहीं उठाया ? सूत्र बताते है कि साहब की मौन सहमति से उत्पन्न आर्थिक अपराधों और प्रशासनिक घालमेल की पड़ताल भी शुरू हो गई है। इसके तहत कुछ खास संदेहियों के ठिकानो में छापेमारी के आसार है। उधर कोल परिवहन घोटाले में शामिल सुपर CM सौम्या चौरसिया की अभी भी कई बेनामी संपत्ति उजागर हो रही है। उसने ब्लैकमनी से खरीदी गई सम्पतियों में अपने पिता का नाम ओ. एम. चौरसिया के बजाय ओम चौरसिया भी दर्ज कराया है। यही हाल IAS समीर विश्नोई की कई बेनामी सम्पतियों का है। अब उन सम्पतियों के दस्तावेज उजागर हो रहे है।
छत्तीसगढ़ में सरकार के बैनर तले होने वाली अवैध उगाही के नित् – नए खुलासे हो रहे है। छत्तीसगढ़ की गरीब जनता और आदिवासियों के कल्याण में खर्च होने वाली रकम को डकारने वाले सरकार के दुश्मन रायपुर सेन्ट्रल जेल में हवा खा रहे है। वही उनकी काली कमाई का रोजाना नया खुलासा हो रहा है। ताजा मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया और IAS समीर विश्नोई की उस बेनामी संपत्ति का है जो अभी तक ED की नजर में नहीं आई है।
छत्तीसगढ़ महतारी के दोनों दुश्मनो ने यह बेस कीमती जमींन रायपुर से सटे जोरा इलाके में खरीदी है। दोनों ही कुख्यात अधिकारियो की यह जमींन पचासों करोड़ की बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि इन दोनों अधिकारियो की कई और ऐसे जमीने है जो ED की नजरो में अभी तक नहीं आई है। इन जमीनों का सौदा इन दिनों रियल स्टेट कारोबार से जुड़े कई निवेशकर्ताओं की टेबलों पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ को सौम्या चौरसिया और समीर विश्नोई के रोजाना वो काले चिट्टे प्राप्त हो रहे है जो ED की फहरिस्त में अब तक शामिल नहीं है। हालांकि ED कुख्यात आरोपियों से जनता की कमाई से खरीदी गई 152 करोड़ से ज्यादा की सम्पत्ति अटैच कर चुकी है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि फिर भी करोडो की ऐसी बेनामी संपत्तियां है जो जाँच एजेंसियों के संज्ञान में अब तक नहीं आई है।
रायपुर से सटे जोरा में कुख्यात आरोपी समीर विश्नोई का लगभग 50 हजार स्क्वेयर फीट का रकबा सौदे के लिए बाजार में घूम रहा है। यह जमींन बेनामी बताई जाती है। इसे रायपुर के ही विशाल नगर में निवासरत गिरीश कुमार पिता टोपन दास भागदेव और दीपक धर्मानी पिता रतन लाल कटोरा तालाब रायपुर के नाम पर ख़रीदा जाना बताया जाता है।
इस जमीन का रकबा 0 . 0 8 1 0 हेक्टेयर है। यह जमीन RI 19 रायपुर 18 कांदुल गांव – पिरदा में स्थित बताया गया है। जानकारी के मुताबिक समीर विश्नोई की अभी भी करोडो की बेनामी जमीने अटैच होना बाकी है। दरअसल ऐसी जमीनों का राजस्व रिकॉर्ड सरकारी दफ्तरों से नदारत कर दिया गया है। बताते है कि कम्प्यूटर रिकार्ड में भी हेर – फेर कर छेड़छाड़ की गई है।
बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार की इलेक्ट्रानिक और डिजिटल एजेंसी चिप्स का संचालन खुद IAS समीर विश्नोई के हाथो में था। उसने कई अधिकारियो की बेनामी संपत्ति का ब्यौरा डिजिटल रिकार्ड से ही हटाने में खूब हाथ – पांव मारे थे। सौम्या चौरसिया के गिरोह में शामिल यह कुख्यात आरोपी प्रदेश भर के ऑनलाइन डाटा को ऑफलाइन कर सरकारी सिस्टम को जाम करता था।
नतीजतन सरकारी दफ्तरों में अपने वैधानिक काम कराने वालो को लेव्ही चुकाने के बाद ही राहत मिलती थी। बताते है कि स्टेट GST ऑफिस में बगैर लिए दिए कोई काम नहीं होता था। कारोबारियों को कभी सरकारी कामकाज निपटाने के चक्कर में तो कभी नियम प्रक्रिया में हुई चूक को ठीक कराने के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती थी। कई जरुरतमंदो को वैधानिक कार्य के लिए बेवजह दफ्तरों के चक्कर भी लगाने पड़ते थे।
बताते है कि छत्तीसगढ़ की सरकारी मशीनरी को जामकर समीर विश्नोई भी रोजाना लाखों रूपए कमाता था। विश्नोई और उसकी पत्नी का ऑडियो क्लिप भी ED ने अदालत के संज्ञान में लाया है। बताया जाता है कि इस क्लिप में छापे के पूर्व करोडो के सोने के आभूषणों को ठिकाने लगाने की चर्चा हो रही थी। ED ने विश्नोई के ठिकानो से 45 लाख से ज्यादा की नगदी और लगभग 4 करोड़ ज़ेवरात जप्त किये है। यह भी तथ्य सामने आया है कि जमीनों की खरीद – फरोख्त में विश्नोई ने करोडो का भुगतान नगदी में किया था। ED ने ऐसी ही कई सम्पत्तियों को जाँच के दायरे में रखा है। हालांकि कोर्ट में उसके खिलाफ चालान प्रस्तुत होने के बाद भी ऐसी बेनामी संपत्ति को ठिकाने लगाने के मामले सामने आ रहे है।
उधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की करीबी और मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया की भी अवैध कमाई चर्चा में है। रायपुर कोर्ट में ED के द्वारा पेश चालान में उन औद्योगिक घरानों का जिक्र किया गया है जो कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी को हर महीने गब्बर सिंह टैक्स के रूप में करोडो का भुगतान करते थे। इसमें रायगढ़ का जिंदल स्टील, वेदांता और बजरंग पावर का नाम सुर्खियों में है। अकेले इन संस्थानों से अरबो रूपए मुख्यमंत्री बघेल की करीबी सौम्या चौरसिया के हाथो में जाता था।
इसके जरिये वो देश – विदेश में निवेश करने में पीछे नहीं रही। उसने अपनी बुजुर्ग माँ और कुनबे के कई सदस्यों के नाम पर करोडो की जमींन – जायजाद खरीदी | बताते है कि छापेमारी के दौरान मोबाईल के डिजिटल साक्ष्य नष्ट करने के लिए उसने सिंगापूर से अपनी मोबाईल चैट डिलीट कराइ थी। ED ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पेश चालान में इसका जिक्र कर सौम्या और उसके साथियो के खिलाफ सबूत नष्ट करने का मामला भी दर्ज किया है।
बताते है कि औद्योगिक घरानो और कारोबारियों से वसूली जाने वाली यह रकम कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी के जरिये मुख्यमंत्री के दफ्तर में तैनात सौम्या की तिजोरी में सुनियोजित रूप से जाती थी। यह भी बताया जाता है कि इस कार्य में पुलिस के कुछ दागी अफसर भी मददगार बने हुए थे। सूत्रों का दावा है कि अब इस तिजोरी के हिस्सेदारों के गिरेबान तक भी ED के हाथ पहुंचने के आसार बढ़ गए है। ED अब तक भ्रष्टाचार की कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया की 21 प्रॉपर्टी अटैच कर चुकी है। उसके परिजनों से पूछताछ का दौर जारी है। लेकिन न्यूज़ टुडे की संज्ञान में लाइ गई एक नई संपत्ति का सौदा चर्चा में है। बताया जाता है कि करोडो की यह संपत्ति कौड़ियों के दाम ठिकाने लगाने के लिए रियल स्टेट से जुड़े कई कारोबारी मैदान में डटे है।
न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ को प्राप्त जानकारी के अनुसार सौम्या चौरसिया ने रायपुर से सटे जोरा में यह संपत्ति शांति देवी चौरसिया के नाम पर खरीदी थी। इसमें खरीददार का पता कोसाबाड़ी कोरबा अंकित किया गया है। इसे कृषि भूमि में दर्शाया गया है। इसका रकबा 0 . 2 4 0 हेक्टेयर खसरा नंबर 1 1 4 / 4 अंकित है।
दस्तावेज बताते है कि इस जमीन का भू राजस्व 10 हजार रूपए मात्र पटाया गया है। जबकि सौदे में शहर के इस नए पॉश इलाके में यह जमीन करोडो की आंकी जा रही है। सौदा करने वाले लगभग 25 हजार स्क्वेयर फीट जमीन का बाजार मूल्य लगभग डेढ़ हजार रूपए प्रति स्क्वेयर फीट आँक रहे है। हालांकि ED की डर की वजह से कई कारोबारी जोखिम शामिल कर इस जमींन को औने – पौने दाम में ठिकाने लगाने में दिलचस्पी ले रहे है। उनकी दलील है कि यह जमींन कभी भी मुसीबत खड़ा कर सकती है।
बताते है कि सरकार और जाँच एजेंसियों के नजरो से बचने के लिए इस जमींन को खरीदते वक्त सौम्या चौरसिया ने अपनी माँ शांति देवी के पति और स्वयं के पिता का नाम बदल दिया था। वो कई जमीनों की खरीद फरोख्त में पिता के नाम कही, ओ. एम. चौरसिया तो कही ओम चौरसिया दर्ज कर अनुपातहीन संपत्ति अर्जित कर रही थी। यह जमींन इसी कड़ी से सम्बद्ध बताई जाती है। जानकारी के मुताबिक अब तक सौम्या की जो संपत्ति सामने आई है, उसमे उसने अपने पिता का नाम ओ. एम. चौरसिया और माँ शांतिदेवी का पति का नाम भी ओ. एम. चौरसिया ही दर्शाया है। लेकिन इस नई जमींन पर मालिकाना हक़ शांतिदेवी चौरसिया पति ओ. एम. चौरसिया न दर्ज करते हुए ओम चौरसिया दर्ज किया गया है।
सूत्र बताते है कि चिप्स के तत्कालीन प्रभारी समीर विश्नोई के जरिये रजिस्ट्री और राजस्व रिकॉर्ड में भी बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया है। ताकि बेनामी सम्पत्ती की खरीदी – बिक्री का कई रिकॉर्ड एजेंसियों को आसानी से उपलब्ध न हो पाए। इसके लिए डिजिटल सिस्टम को ठप कर उन कारोबारियों और अधिकारियो की बेनामी संपत्ति के ब्यौरे को हटाया गया जो अवैध वसूली में लिप्त थे। इसमें कई IAS और IPS अधिकारियो के साथ – साथ उनके करीबियों के नाम सुर्खियों में बताये जा रहे है।