15 हज़ार करोड़ से ज्यादा के महादेव ऐप घोटाले को लेकर सीबीआई अलर्ट, इंटरपोल के जरिये आरोपी सौरभ चंद्राकर को दुबई से मुंबई और रायपुर लाने की कवायत जोरो पर, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री समेत दागी आईपीएस अफसरों की नींद हराम……

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दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में भय-भ्रष्टाचार और आतंक का पर्याय बन चुके पूर्व मुख्यमंत्री और उसके गिरोह पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का शिकंजा कसने लगा है। आरोपी सौरभ चंद्राकर को इसी हफ्ते प्रत्यार्पण पर भारत लाने की तैयारी अंतिम चरणों में बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि सीबीआई की एक टीम आरोपी चंद्राकर से पूछताछ के लिए गठित कर दी गई है। इसमें दिल्ली-भोपाल और मुंबई के कुछ अफसरों को बुलावा भी भेजा गया है। सूत्रों के मुताबिक सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी से भारत में इस अवैध कारोबार से जुड़े कई सटोरिये जांच एजेंसियों के हत्थे चढ़ सकते है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में अंजाम दिए गए लगभग 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सत्ता घोटाले के मुख्य कर्ता-धर्ता को दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया है, अकेले छत्तीसगढ़ में इस गिरोह ने सट्टेबाजी कर 6 हज़ार करोड़ से ज्यादा की रकम का वारा-न्यारा किया था।

देश में अवैध सट्टेबाजी के प्रमुख सरगना को इंटरपोल की मदद से गिरफ्तार किया गया है। बताया जाता है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों ने आरोपी को अपने कब्जे में ले लिया है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि सौरभ चंद्राकर को पहले मुंबई और फिर रायपुर लाया जा सकता है। दरअसल, महाराष्ट्र के 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप घोटाले में फरार घोषित सौरभ चंद्राकर, महाराष्ट्र ATS में वांटेट बताया जाता है। यही नहीं छत्तीसगढ़ में भी महादेव ऐप घोटालेबाजों के खिलाफ प्रदेश के अलग-अलग थानों में आधा सैकड़ा से ज्यादा FIR दर्ज है। हालांकि राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के लिए महादेव ऐप सत्ता घोटाले का मामला सीबीआई को सौंप दिया है।

महादेव ऐप के सरगना सौरभ चंद्राकर की दुबई में गिरफ्तारी की खबर लगते ही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके गिरोह में गहमागहमी देखी जा रही है। दरअसल, इस घोटाले को लेकर दर्ज नामजद FIR में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का नाम अव्वल नंबर पर है। जबकि आधा दर्जन से ज्यादा आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ नामजद FIR ना दर्ज करते हुए, EOW ने अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इस विवाद को देखते हुए राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने प्रदेश में घटित लगभग 6000 करोड़ के अवैध सट्टेबाजी के इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

महादेव ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म बताया जाता है। इसका संचालन दुबई से सौरभ चंद्राकर और उसके साथी कर रहे थे। यह ऐप भारत सहित कई अन्य देशों में अवैध रूप से सट्टेबाजी और जुआ संचालित करने के कारोबार से जुड़ा बताया जाता है। भारत में छत्तीसगढ़ का भिलाई इलाका इसका प्रमुख अड्डा बताया जाता है। देश में इस कारोबार के संचालन में आईपीएस अधिकारियों की भूमिका भी सामने आई थी। ये सभी आईपीएस अधिकारी छत्तीसगढ़ कैडर के बताये जाते है, इन्हे महादेव ऐप सट्टा कारोबार को संचालित करने के लिए हर माह 20 से 60 लाख तक की रकम नगदी में सौंपी जाती थी।

प्रवर्तन निर्देशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ कैडर के आधा दर्जन आईपीएस अधिकारियों और ASP और थानेदारों को सट्टोरियों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही, रकम का ब्यौरा प्रदेश के EOW को दस्तावेजी प्रमाणों सहित भेजा था। सूत्र तस्दीक करते है कि तत्कालीन प्रभावशील वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री बघेल समेत उनके अन्य साथियों के खिलाफ EOW में नामजद FIR दर्ज की गई थी। जबकि आईपीएस अधिकारियों को गैर-क़ानूनी संरक्षण देते हुए, EOW के हाथ बांध दिए गए थे।

बताया जाता है कि अपराध से बचाव के मद्देनजर आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ नामजद के बजाय अज्ञात में FIR दर्ज कर सिर्फ खानापूर्ति की गई थी। इस विवादित FIR के तूल पकड़ने के बाद राज्य की बीजेपी सरकार ने जांच का जिम्मा सीबीआई के हवाले कर दिया था। महादेव ऐप सट्टा घोटाले में लिप्त रहने के चलते ED ने जिन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ EOW को प्रारंभिक साक्ष्य उपलब्ध कराये थे, उनमे 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा, 2004 बैच के अजय यादव, 2005 बैच के शेख आरिफ और 2007 बैच के प्रशांत अग्रवाल का नाम शामिल है।

सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि पूर्व मुख्यमंत्री के खासमखास इन अफसरों ने अपने नाते-रिश्तेदारों और चिर-परिचित कंपनियों में बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी निवेश की है। ये सभी अफसर दोहरे चार्ज के चलते सट्टोरियों से अपने विभिन्न पदों के अनुरूप बतौर प्रोटेक्शन मनी दोहरी रकम लिया करते थे। यही नहीं महादेव ऐप सट्टा घोटाले के उजागर होने के बाद रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव के विभिन्न थानों में महज खानापूर्ति के लिए सट्टोरियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

इस दौरान सामान्य सट्टा-जुआ एक्ट में प्रतिबंधात्मक कार्यवाही कर महादेव ऐप के कई स्थानीय प्रमुख कारोबारियों को बगैर पूछताछ थाने से ही जमानत दे दी गई थी। इस कारोबार को संरक्षण देने और व्यापार बढ़ोत्तरी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके कई करीबी नाते-रिश्तेदारों को भी प्रोटेक्शन मनी प्राप्त होती थी। यह घोटाला न केवल सट्टेबाजी से संबंधित है, बल्कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला जैसे वित्तीय अपराध भी जुड़े हुए हैं। भारतीय जांच एजेंसियां इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच कर रही हैं, और सौरभ चंद्राकर से पूछताछ के बाद कई और खुलासे होने की संभावना है। यह भी बताया जाता है कि सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी की खबर लगते ही पूर्व मुख्यमंत्री और उनके गिरोह में खलबली मच गई है।