रिपोर्टर – मनोज सिंह चंदेल
राजनांदगांव / छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार एक ओर जमीनी स्तर की नित नई योजनाओं के माध्यम से ‘छत्तीसगढिय़ा सरकार’ होने का एहसास कराने की दिशा लगातर काम रही है वहीं दूूसरी ओर कतिपय सरकारी नुमाईंदा और दलाल योजनाओं की आड़ में अपना उल्लू सीधा करने की कार्ययोजना में लगे हुए हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण सामने आया है खेल गढिय़ा योजना में । पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा संचालित होने वाली इस योजना की मंशा राजनांदगांव जिले में विभागीय दलालों और सप्लायरों की काली करतूतों के चलते फेल होते नजर आ रही है।
कमीशनखोरी के चक्कर में अपने चहेते फर्मों, दुकानों से खेलगढिय़ा योजना के खेल सामानों की खरीदी के लिए विभागीय अफसरों के जबरदस्त दबाव ने मिडिल स्तर से लेकर हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के कर्ता-धर्ताओं को पशोपेश में डाल दिया है। इसके चलते कई स्कूलों में खेल सामानों की खरीदी हुई है वहीं अधिकांश स्कूलों में खेल सामानों की खरीदी का मामला उलझकर रह गया हैं। प्रदेश के दंतेवाड़ा, कांकेर, सरगुजा, अंबिकापुर, बलौदाबाजार, महासंमुद, मैनपुर में खेलगढिय़ा योजना में कमीशन का खेल की शिकायतों के बीच जब योजना के जमीनी क्रियान्वयन पर नजर डाली गई तो एक बड़ा तथ्य उभरकर सामने आया।
जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 के दिसंबर महीने में पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों के लिए करीब 39 करोड़, 23 लाख, 90 हजार रूपए का आबंटन आया था, जिसमें अकेले राजनांदगांव जिले को करीब ढाई करोड़ रूपए का आंबटन प्राप्त हुआ है। यह आंबटन भारत सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा समग्र शिक्षा के तहत छत्तीसगढ़ सरकार के माध्यम से प्रदेश के प्रत्येक जिलों को खेल गतिविधियों को बढावा देने के लिए पसंदीदा खेल सामग्रियों की खरीदी हेतु प्रदान किया गया है। योजना तहत प्राथमिक स्तर को पांच हजार, मिडिल स्तर को दस हजार और हाईस्कूल तथा हायर सेकेंड्री स्कूलों को 25 हजार रूपए की राशि दी जानी है।
इस योजना की राशि को नोच खाने राजनांदगांव जिले में विभागीय अधिकारियों अलावा खेल सामग्रियों के सप्लायरों, दलालों, माफियाओं की गिद्द नजर है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खेलगढिय़ा योजना के तहत स्कूलों में खेल सामानों की सप्लाई करने राजनांदगांव जिले के कुछ इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के लोगों ने भी संकुल दफ्तरों से लेकर बीईओ और डीईओ दफ्तर के चक्कर लगाए हैं, और अभी भी चक्कर लगा रहे हैं। जिला शिक्षा विभाग के एक जिम्मेदार अफसर का एक फर्म को सीधा लाभ पहुंचाने हाई और हायर सेकेंडरी के कई प्राचार्यों को सीधे फोन किए जाने की खबर सामने आई है। कई प्राचार्यों के पास इसकी आडियों रिकार्डिंग उपलब्ध है।
कुछ प्राचार्यों के पास उस फर्म की भी रिकार्डिंग है जिन्होने अपने फर्म से सामान खरीदने का आग्रह किया है। डोंगरगांव, मोहला, मानपुर और चौकी में इसकी सर्वाधिक पुष्टि हुई है जहां मीडिया कर्मी खेल सामानो की सप्लाई को लेकर सतत संपर्क बनाए हुए थे। जानकारी के अनुसार राजनांदगांव जिले के नौ विकासखंडों में 128 हाई स्कूल और 202 हायर सेकेंडरी स्कूलें है। दोनों स्तर के स्कूलों केे लिए प्रत्येक को 25 हजार रूपए के मान से करीब 82 लाख 50 हजार रूपए के आबंटन की जानकारी है। इसी प्रकार जिले 1837 प्राईमरी स्कूलें हैं जिन्हे खेलगढिय़ा योजना के तहत पांच हजार रूपए का आबंटन मिला है। यह राशि 91 लाख, 85 हजार के आसपास है। इसी प्रकार मिडिल स्तर के 787 स्कूलें है जिन्हे प्रत्येक स्कूलों को दस हजार रूपए का आबंटन मिला हुआ है यह राशि 78 लाख 70 हजार के आसपास है।
माना जा रहा है कि योजना के तहत हो चुकी खेल सामानों की खरीदी का सत्यापन किया गया तो बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी की सांठगांठ का मामला खुलकर सामने आएगा। वहीं योजना के तहत अब होने वाली खेल सामानों की खरीदी में यदि कड़ी निगरानी नहीं बरती गई तो यह योजना पूरी तरह से कमीशनखोरी की भेंट चढ़ जाएगी? खेल गढिय़ा योजना के बारे में जब समग्र शिक्षा अभियान के राजनांदगांव जिला मिशन समन्वयक भूपेश साहू से संपर्क किया गया तो उन्होने कहा कि अभी कहां-कहां, किन-किन स्कूलों में खेल सामग्रियों की खरीदी हुई है इसकी रिपोर्ट नहीं आई है।
मार्च के बाद से लॉकडाउन की स्थिति के चलते जानकारी नहीं ली गई है। डीएमसी के ऐसे जवाब से इस बात की पुष्टि होती है कि योजना के क्रिन्यान्वयन को लेकर वे भी गंभीर नहीं है जबकि योजना की समीक्षा को लेकर 14 फरवरी 2020 को वृहद बैठक हो चुकी है। इधर नांदगांव के बीईओ एनके पंचभावे का कहना है कि जिन-जिन स्कूलों में खरीदी हो चुकी है उसकी रिपोर्ट डीएमसी को सौंप दी गई है।