रायपुर / दिल्ली : देश भर में माता पिता अपनी जेब काट कर न केवल परिवार का भरण पोषण कर रहे है, बल्कि बच्चो को पढ़ा लिखा भी रहे है। ऐसे पालक और अभिभावक बड़े पैमाने पर है, जो अपने खून पैसे की कमाई से बच्चो को उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे है, ताकि बुढ़ापे की लाठी मजबूत हो सके। उनके बच्चे कॉलेजों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों की धुल छान रहे है, जबकि दूसरी ओर दारू बेचने वाले लोग अपने ही ठिकानो में बैठ कर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर रहे है, ऐसे अनेक होनहारो में छत्तीसगढ़ के एपी त्रिपाठी दंपत्ति का नाम शामिल बताया जा रहा है।
सूत्र बताते है कि कई प्राइवेट यूनिवर्सिटी मात्र 90 हजार से लेकर लगभग ढाई लाख में उच्च शिक्षा की ऐसी कई डिग्री परोस रहे है जिसमे अभिभावकों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। उन पर आने वाला व्यय कभी-कभी तो 25 से 30 लाख का आंकड़ा तक पार कर जाता है। बताते है कि इस कार्य में जरुरतमंदो के साथ सौदा पटाने वाले शख्स को सौदे की राशि का 20 फीसदी हिस्सा बतौर GST उपहार में मिलता है।
एपी त्रिपाठी वर्तमान में विशेष सचिव छत्तीसगढ़ शासन आबकारी विभाग तथा राज्य शासन के सार्वजनिक उपक्रम छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक हैं। देश के सबसे बड़े शराब घोटाले को लेकर ED त्रिपाठी और उसकी टोली से पूछताछ करने में जुटी है।
पति-पत्नी और PHD का मामला राज्य में खूब सुर्खियां बटोर रहा है, बताते है कि कई नामी गिरामी प्राइवेट यूनिवर्सिटी सरकारी कायदे कानूनों का उल्लंघन कर घर बैठे जरूरतमंदों को मन चाही डिग्री उपलब्ध करा रही है। बताते है कि वॉइस चांसलर जैसे पदों पर बैठे कई कुलपति शराब, शबाब और कबाब में इतने मस्त है कि धडल्ले से घर बैठे डिग्री डिप्लोमा और पीएचडी जैसी उपाधि हाथो-हाथ देने में कोई गुरेज नहीं कर रहे है।
सूत्र बताते है कि सीएसएमसीएल के एम.डी. एपी त्रिपाठी और उनकी पत्नी मंजुला त्रिपाठी को पीएचडी की डिग्री कांग्रेस के ही नेताओं की निजी यूनिवर्सिटी ने तस्तरी में रख कर पेश कर दी है। बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार के सत्ता में आने के बाद बघेलखंड के सौदागरों को सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में पिछले दरवाजे से काम धंधा और रोजगार मुहैया कराया जा रहा है।
यह भी बताते है कि प्रदेश के चर्चित कई RTI कार्यकर्ताओ ने थोक के भाव बेचीं जा रही विभिन्न डिग्रियों को लेकर पुलिस थानों में समय-समय पर शिकायत भी दर्ज कराई थी, लेकिन राजनीतिक दबाव में तमाम शिकायते दबा दी गई।
जानकारी के मुताबिक अरुण पति त्रिपाठी, विशेष सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, आबकारी विभाग तथा राज्य शासन के सार्वजनिक उपक्रम छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक को उनके द्वारा छत्तीसगढ़ के दूरसंचार उद्योग में ग्राहक प्रतिधारण से संबंधित विषय पर किए गये शोध पर डॉ. सी.वी. रमन यूनिवर्सिटी बिलासपुर के द्वारा पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है।
बताते है कि यह पीएचडी डॉ. विवेक बाजपेयी, प्रोफेसर डॉ. सी. वी. रमन यूनिवर्सिटी बिलासपुर तथा डॉ. मनोज शर्मा, प्राचार्य, श्री शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, रायपुर के मार्गदर्शन में पूरी कराई गई है, जबकि त्रिपाठी के द्वारा कभी भी मौके का रुख तक नहीं किया गया।
दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में दूरसंचार सेवाओं के प्रति ग्राहकों की धारणा, सार्वजनिक और निजी दूरसंचार सेवाओं के बीच ग्राहक की धारणा, दूरसंचार सेवाओं के प्रति ग्राहकों की संतुष्टि के कारक, सार्वजनिक और निजी दूरसंचार सेवाओं के बीच ग्राहकों की संतुष्टि, दूरसंचार सेवाओं के प्रति प्रतिधारण के कारक, सार्वजनिक और निजी दूरसंचार सेवाओं के बीच ग्राहक प्रतिधारण और दूरसंचार बाजार में कंपनियों को ग्राहकों को बनाए रखने के लिए सुझावात्मक उपाय सुझाने के बाद एपी त्रिपाठी को पीएचडी प्रदान की गई हैं।
जानकारी के मुताबिक भारी भरकम शैक्षणिक कार्य करते करते त्रिपाठी छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में शराब का कारोबार भी करता रहा। उसने थीसिस कार्य उस समय भी जारी रखे थे, जब कई मौको पर विधान सभा के भीतर आबकारी विभाग से जुड़े सवालों पर जवाब देने के लिए वो सदन में अधिकारी दीर्घा में उपस्थित था।
यही नहीं रायपुर से उड़ कर देश विदेश की सैर में व्यस्त रहा था। बताते है कि आबकारी और अन्य सरकारी कर्तव्यों को निभाते निभाते त्रिपाठी दंपत्ति को आखिर कब पीएचडी हासिल हो गई, किसी को कानो-कान खबर तक नहीं हुई।
उधर डिग्री दानवीरो ने श्रीमती मंजुला त्रिपाठी, पूर्व वरिष्ठ व्याख्याता, गणित, पॉलीटेक्निक दुर्ग, को उनके द्वारा “Study Of Fixed-Point Theorems With Applications To Complex Valued B-Metric Spaces” विषय पर किए गये शोध पर भी हाथो-हाथ डॉक्टर बना दिया। बताते है कि डॉ सी. वी. रमन यूनिवर्सिटी बिलासपुर द्वारा उन्हें भी पीएचडी की उपाधि तोहफे में प्रदान की गई है।
जानकारी के मुताबिक कठिन परिश्रम कर श्रीमती त्रिपाठी ने यह पीएचडी की उपाधि डॉ. आर. पी. दूबे कुलपति, डॉ. सी. वी. रमन यूनिवर्सिटी बिलासपुर, डॉ. ए. के.दुबे, एसोसिएट प्रोफेसर, भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दुर्ग के मार्गदर्शन में संपन्न की गई। फ़िलहाल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और तमाम मंत्री नौजवानो का भविष्य गढ़ने का दावा करने में कभी पीछे नजर नहीं आते। लेकिन उच्च शिक्षा संस्थानों में थोक के भाव बट रही फर्जी डिग्री वितरण को लेकर मुँह मोड़ने के मामलो में सबसे सामने नजर आते है।
फ़िलहाल तो उच्च शिक्षा के नाम पर चल रहा उपाधियों का कारोबार नौजवानो के भविष्य के साथ खिलवाड़ करता नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि प्रदेश भर में बघेलखंड में शामिल कई शराब माफिया, लठैत और प्रेस मीडिया कर्मी घर बैठे-बैठे शिक्षा एवं कारोबार से जुडी कई बड़ी उपाधियाँ हासिल कर “सरकार का गुणगान” करने में जुटे है। राजनीति के मुन्ना भाइयों से सावधान