छत्तीसगढ़ में भूपे का फंडिंग सेठ रामगोपाल के खिलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की तैयारी में एजेंसियां, कई नेताओं ने किया किनारा

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दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी खदानों पर कब्जे,उद्योगपतियों से उगाही और सरकार को करोड़ों का चूना लगाने वाले फंडिंग सेठ रामगोपाल अग्रवाल की तलाश जोर शोर से जारी है। ईडी के अलावा अन्य और जांच एजेंसियों को उसकी तलाश है। पिछले लगभग डेढ़ माह से रामगोपाल लापता बताया जाता हैं। कांग्रेसी नेताओं के अलावा केंद्रीय एजेंसियों को भी वो ढूंढे नहीं मिल रहा है। लिहाजा एजेंसियां अब रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की तैयारियों में जुटी है। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही उसके खिलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो सकता है। बताया जाता है कि 3 दिसंबर को कांग्रेस की सरकार के सत्ता से हाथ धोने का नजारा देखते ही रामगोपाल भूमिगत हो गया था। उसके महासमुंद, रायपुर और धमतरी के ठिकानों पर एजेंसियों ने दबिश दी थीं। बताते हैं कि गिरफ्तारी की भनक लगते ही रामगोपाल नौ दो ग्यारह हो गया है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के नाम पर उगाही के खेल को अंजाम देने वाले रामगोपाल अग्रवाल को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है।पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उसका नाम सुनते ही अपना पल्ला झाड़ लिया है।वो इस मामले में प्रक्रिया देने से बच रहे हैं। नाम ना छापने की शर्त पर कुछ नेता बताते हैं कि संगठन की आड़ में इस शक्श ने कई ऐसी गंभीर वारदातो को अंजाम दिया है।

जिससे पार्टी की ना केवल छवि ख़राब हुई बल्कि उसे पराजय का सामना भी करना पड़ा है। राज्य में कांग्रेस की हार का ठीकरा भूपे और आरजी पर फोड़ा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक भानुप्रतापपुर की आरी डोंगरी आयरन ओर खदान के एक तरफा आबंटन मामले में उसकी खास भूमिका थी। इसके ऑफलाइन आबंटन से केंद्र और राज्य सरकार दोनो को नीलामी में करोड़ों के नुकसान का सामना करना पड़ा है। वहीं दूसरी ओर आदिवासी समुदाय भी इस मामले में भ्रष्टाचार को लेकर दो चार हो रहा है।

सूत्रों द्वारा यह भी बताया जा रहा है कि अवैध उगाही से छत्तीसगढ़ के कई शहरों में फंडिंग सेठ ने बेशकीमती जमीनों, शॉपिंग मॉल, होटल और बंद पड़े उद्योग धंधों पर अपना कब्जा जमा लिया है। इस मामले में उसके बेटे और दामाद दोनों की भूमिका भी जांच के दायरे में बताई जाती है।यही नहीं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की महत्ती योजना एयरो सिटी भी सवालों के घेरे में है । इसके इर्द गिर्द सैकड़ों एकड़ जमीनों की खरीद फरोख्त के उपरांत ही भूपे ने प्रस्तावित एयरो सिटी को मंजूरी दी थी। इस इलाके में जमीन की खरीद फरोख्त में रामगोपाल अग्रवाल की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है।

नई राजधानी, धरमपुरा और वीआईपी रोड में सरकारी धन से उन इलाकों में सड़कें और अन्य मूलभूत सुविधाओं का विकास किया गया था जहां आरजी एंड कंपनी गैर कानूनी ढंग से आवासीय कॉलोनियों और रियल इस्टेट से जुड़े दूसरे कारोबार कर रहे थे।
यह भी बताया जाता है कि रायपुर और बिलासपुर के कुछ चुनिंदा शॉपिंग मॉल और होटलों की खरीद फरोख्त में भी आरजी द्वारा ब्लैक मनी खपाई गई थीं।भ्रष्टाचार की रकम का एक बड़ा हिस्सा आरजी के स्वामित्व वाले उद्योग धंधों में भी किया गया है। सूत्र यह भी बताते हैं कि भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत हासिल होने के उपरांत ही एजेंसियों को रामगोपाल की तलाश है।

यह भी बताया जाता है कि कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी की स्वामित्व वाली कुछ एक कंपनियों में आरजी भी बड़ा हिस्सेदार था। सूर्यकांत के ईडी के हत्थे चढ़ने के बाद उन कंपनियों पर आरजी गिरोह ने कब्जा कर लिया है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि रामगोपाल अग्रवाल भले ही कांग्रेस का कोषाध्यक्ष था लेकिन पार्टी फंडिंग के साथ साथ वो खुद के कारोबार के लिए भी उगाही किया करता था। उसने कोल खनन और परिवहन घोटाले, शराब और खाद्यान घोटाले की हजारों करोड़ की ब्लैक मनी खपाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उसके लापता होते ही प्रदेश भर से कई राइस मिलर्स उसकी करतूतों पर से पर्दा हटा रहे हैं। वो बताते हैं कि कभी पार्टी फंड तो कभी भूपे को सहयोग के नाम पर उनसे नकदी की मांग की जाती थी। इसकी शिकायत करने पर तत्कालीन अधिकारी दबाव बना कर शिकायत वापस लेने के लिए धमकाते भी थे।

छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार दिन दुगुनी रात चौगुनी प्रगति पर था। नतीजतन जनता ने भूपे सरकार को नकार दिया था। राज्य में विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने समस्त प्रकार के भ्रष्टाचारियों को उनके असल ठिकाने में भेजने का ऐलान किया है। इसके चलते भूपे गिरोह का पलायन लगातार जारी है। एक जानकारी के मुताबिक फंडिंग सेठ झारखंड से अपने गुर्गों से संपर्क साध रहा था। इसकी खबर लगते ही एजेंसियां अलर्ट मोड पर बताई जा रही है। यह जानकारी भी सामने आ रही है कि भूपे गिरोह प्रदेश के अगले डीजीपी की नियुक्ति को लेकर भी ताना बाना बुन रहा है.

दरअसल घोटालों के मामलों में केन्द्रीय जांच एजेंसियों के अलावा राज्य की पुलिस की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। लिहाजा इस गिरोह ने कांग्रेस से सहानुभूति रखने वाले रिटायर्ड पुलिस अफसरो के माध्यम से नए डीजीपी की नियुक्ति को लेकर भी रणनीति तैयार की है। इसके लिए हाथ पैर मारना भी शुरू कर दिया है। बहरहाल आरजी की तलाश जोर शोर से जारी है।