छत्तीसगढ़ में ऑयरन ओर खदान की लूट में ”RG” के काले कारनामों का हिसाब -किताब शुरू,सूर्यकान्त की तर्ज पर रोजाना करोडो की उगाही,दो नेता पुत्रों को तस्तरी में परोसकर भेट की गई आरी डोंगरी खदान,जाँच में जुटी ED

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रायपुर /दिल्ली : छत्तीसगढ़ में IT -ED की पड़ताल जारी है। उसकी अलग -अलग टीम संदेही अफसरों,कारोबारियों, उद्योगपतियों, चार्टेड अकउंटेंट, जमीनों की खरीद फरोख्त के दलालो और गवाहों से पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि बिलासपुर के एक बैंक कर्मी कमलेश के काले चिटठे की पड़ताल के बाद वैधानिक प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बीच खबर आ रही है कि कौड़ियों के दाम ”RG” नामक शख्स के कुनबे को आवंटित की गई, आरी डोंगरी ऑयरन ओर खदान आवंटन मामले में FIR दर्ज करने की तैयारी की जा रही है। सूत्र बताते है कि IAS JP मौर्य और IAS समीर विश्नोई से हुई पूछताछ के बाद इस खदान का काला चिट्टा एजेंसियों के सामने है। 

प्रदेश में खनिजों की लूटपाट का ये वो मामला बताया जा रहा है, जिसका सच हैरान करने वाला है। बताते है कि सूर्यकान्त की तर्ज पर RG की रोजाना वसूली करोडो में है। इस खदान समेत अन्य प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए भारत सरकार की तय ऑनलाइन प्रक्रिया को ऑफलाइन करने के मामले की पूछताछ में दोनों अफसरों ने कुछ खास तथ्यों से एजेंसियों को अवगत कराया है। सूत्र बताते है कि अब खदान लूटने वालो पर ED का शिकंजा कस सकता है। 

जानकारी के मुताबिक इस मामले में ED की निगाहें बीजेपी के एक पूर्व विधान सभा नेता के पुत्र के कारनामों और कारोबार पर भी टिकी है। दरअसल, विपक्षी के इस नेता का पुत्र उसी कम्पनी का डायरेक्टर बताया जा रहा है, जिनके हाथो में आरी डोंगरी खदान तस्तरी में रखकर पेश कर दी गई थी। कांग्रेस से जुड़े RG के पुत्र के साथ बीजेपी से जुड़े इस नेता पुत्र की कारोबारी दास्तान एजंसियों की जाँच का हिस्सा बताया जा रहा है। 5 साल पूर्व इस गठजोड़ की माली हालत का आकलन भी किया गया है।

बताया जाता है कि आरी डोंगरी खदान आवंटन प्रक्रिया में तीन आईएएस अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। सूत्र बताते है कि जल्द ही इस मामले की FIR ”रायपुर” में नहीं बल्कि दिल्ली में दर्ज करने की तैयारी की जा रही है। छत्तीसगढ़ माइनिंग विभाग में बड़े पैमाने पर गौण खनिजों से लेकर राष्ट्रीयकृत खनिजों की खदानों के आवंटन का मामला विवादों में है। इससे जुडी शिकायतों में कहा गया है कि कई खदानों को मिटटी मोल आवंटित करने से केंद्र और राज्य सरकार को करोडो का चूना लगाया गया है। बताते है कि कई खदानों की आवंटन प्रक्रिया में क़ानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। राजनैतिक दबाव के चलते आनन -फानन में आवंटन प्रक्रिया पूरी कराई गई थी। 

सूत्र बताते है कि कुछ मामलो में तो आधे -अधूरे दस्तावेजों और अपूर्ण प्रक्रिया के बावजूद चहेतों को बेशकीमती खदाने आवंटित कर दी गई। इसमें प्रतियोगिता के अवसर ख़त्म या बेहद सीमित कर दिए गए थे। ताकि ग्लोबल टेंडर शामिल ना हो सके। यही नहीं आरी डोंगरी खदान आवंटन के फार्म सिर्फ चुनिंदा लोगो को जारी किये गए थे। इस दौरान मशल पावर की घटनाओं की तस्दीक कुछ अफसरों ने अपने बयानों में की है। इसके चलते ”फ्री एंड फेयर” प्रतियोगिता का अवसर बोली बोलने वालो को नहीं मिल पाया था।

बताते है कि कई ”बिडर” को कानो -कान खबर भी नहीं हुई और आरी डोंगरी खदान आवंटित कर दी गई। इसी तर्ज पर राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र वाले गौण खनिजों के आवंटन की प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई। एजेंसी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक झारखण्ड की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी आवंटन प्रक्रिया अपनाई गई है। इस तरह के मामले बस्तर संभाग से लेकर सरगुजा और रायपुर संभाग तक दर्जनों की संख्या में सामने आये है। बताया जाता है कि सिर्फ खदाने ही नहीं बल्कि बेशकीमती सरकारी जमीनों का भी आवंटन भी RG के पक्ष में किया गया है। इसमें नई राजधानी और उसके आस -पास के इलाकों की सरकारी जमीन का आवंटन जाँच में है। यह भी बताया जा रहा है कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रमुखों और प्रभारियों के साथ RG का सीधा लेना -देना है। 

सूत्र बताते है कि आरी डोंगरी खदान आवंटन की पड़ताल में जुटी एजेंसिया RG और उसकी कंपनियों की समस्त श्रोतों से होने वाली आय का आकलन कर रही है। बताते है कि सूर्यकान्त की तर्ज पर RG की तिजोरी में भी रोजाना करोडो की ब्लैकमनी की आवक हो रही है। राज्य में खदान घोटाले और आवंटन से जुड़े तमाम दस्तावेजों की गहन पड़ताल से साफ़ हो रहा है कि सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल गैर कानूनी कारोबार के विस्तार के लिए किया जा रहा था। 

सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय एजेंसियां राजनैतिक संरक्षण में प्राकृतिक संसाधनों की लूटपाट का सिलसिलेवार ब्यौरा तैयार कर रही है। इसकी रिपोर्ट से भारत सरकार को भी अवगत कराने की खबरे आ रही है। सूत्र बताते है कि खदान घोटाले मामले की सीबीआई जाँच के लिए यह रिपोर्ट काफी अहम है। फिलहाल खदान आवंटन मामले में आरोपों और शिकायतों को लेकर राज्य सरकार और माइनिंग विभाग की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।