दिल्ली: CHHATTISGARH के बहुचर्चित जग्गी हत्यकांड में शामिल लगभग 4 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जानकारी के मुताबिक NCP नेता राम अवतार जग्गी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 4 दोषियों को जमानत दी है। इनमे हत्याकांड में दोषी करार दिए गए सूर्यकान्त तिवारी, पूर्व पुलिस अधिकारी ए.एस गिल, वीके पांडेय और आरसी त्रिवेदी शामिल है।
जग्गी हत्याकांड में अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर दोषी करार दिए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने आज सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। बताया जाता है कि ये सभी 6 दोषी पांच साल से अधिक समय जेल में गुजार चुके हैं। 7 महीने पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए जग्गी हत्याकांड के सभी दोषियों की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद दोषियों ने कोर्ट में सरेंडर किया था।
गौरतलब है कि 4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे। इनमे से बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बनाये गए थे। जबकि मुख्य आरोपी अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा सुनाई गई थी। हालांकि, बाद में अमित जोगी इस मामले में अदालत से बरी हो गए थे। रामअवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अमित जोगी को बरी करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। बताते है कि अमित को लेकर उनके पक्ष में स्थगन है।
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कारोबारी बैकग्राउंड वाले रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। जब शुक्ल कांग्रेस छोड़कर NCP में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष बना दिया था।