बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान और ED की कार्यवाही के बीच बिलासपुर हाई कोर्ट ने 2 IAS अधिकारियों को तलब किया है। इसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव शामिल है। ACS साहब उस समय चर्चा में आये थे, जब मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया और कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी के ठिकानो में ED की छापेमारी हुई थी। बताते है कि छापेमारी के दौरान सौम्या चौरसिया के साथ उगाही के मामलो में करीबी रिश्तेदारी निभाने वाले कई अफसरो ने रातों रात इधर से उधर खिसक लेने में ही अपनी भलाई समझी थी।
बताते है कि कई अफसरों ने सौम्या और ED से किनारा करने के लिए छुट्टी पर जाना ही मुनासिब समझा था। इसके लिए उन्होंने सरकार से भी फ़ौरन दूरियां बना ली थी। बताते है कि ED की छापेमारी और पकड़ धकड़ के दौरान लम्बी छुट्टी पर जाने वालो में साहब का नाम भी शामिल है। बताते है कि सौम्या के साथ कारोबारी रिश्तों वाली जांच की फाइल में साहब का नंबर प्रविष्टि के साथ 19वे स्थान पर दर्ज है। जानकारी के मुताबिक नेता जी की कई मिन्नतों और राहत भरे पैकेज के बाद ही बड़ी मुश्किल से साहब, अपनी पुरानी गद्दी सँभालने के लिए राजी हुए थे। फ़िलहाल साहब अदालत में सुर्खियां बटोर रहे है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ACS सुब्रत साहू और सचिव आर प्रसन्ना को तलब किया है। हाई कोर्ट की एकलपीठ न्यायमूर्ति एन. के व्यास ने जनपद पंचायत धरसींवा के मु्ख्य कार्यपालन अधिकारी विरेंद्र जायसवाल एवम मुख्य कार्यपालन अधिकारी रूही टेंबुलकर की अवमानना याचिका में सुनवाई की है। इसके बाद विकास आयुक्त पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सुब्रत साहू तथा आर प्रसन्ना सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को अदालत की अवमानना के मामले में हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया है।
मामले इस प्रकार है, याचिकाकर्ताओं की मुख्य कार्यपालन अधिकारी से उपायुक्त की विभागीय पदोन्नति हेतु DPC वर्ष 2016 से नहीं हुई थी। इस पर पूर्व में दायर एक याचिका क्रमांक 4201/2022 में चार माह के भीतर DPC करने का निर्देश माननीय अदालत ने दिया था। यह आदेश एकल पीठ के न्यायमूर्ति एन के व्यास द्वारा 28/08/2022 को शासन के लिए जारी किया गया था I याचिकाकर्ताओं ने उपरोक्त आदेश की जानकारी 29/08/2022 को विभाग को दी थी। इस पर दोनों IAS अफसरों ने कोई संज्ञान नहीं लिया। पीड़ितों ने पुनः 23/12/2022 को स्मरण पत्र भी अफसरों को दिया। इस बार भी दोनों अधिकारियो ने एक कान से सुना और दूसरे से बाहर निकालने में देरी नहीं की।
बताते है कि पीड़ितों के कई चक्कर काटने के बावजूद विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई थी। न्यायायलय के आदेश को भी अफसरों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया था। आख़िरकार याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय का दोबारा रुख किया।
इस बार अवमानना याचिका दायर की गई। इसकी सुनवाई के बाद अदालत ने सुब्रत साहू एवं आर प्रसन्ना को अवमानना नोटिस जारी किया गया है। दोनों अधिकारियों को 14/03/2023 को न्यायालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। इस प्रकरण में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हमदस्त नोटिस देने हेतु भी अधिकृत किया है। मामले की पैरवी अधिवक्ता ए वही श्रीधर,आशुतोष पांडेय एवं हिमांशु सिंह ने की।