छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सरकारी टीकाकरण के बाद 2 बच्चों की मौत, 5 गंभीर, इलाज जारी, वैक्सीन की गुणवत्ता सवालों के घेरे में, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का आरोप- सरकार कुछ छिपा रही है…..  

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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सरकारी टीकाकरण अभियान के दौरान दो बच्चों की मौत और 5 के गंभीर रूप से बीमार होने की खबर सामने आई है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने फौरी कार्यवाही करते हुए वैक्सीन को प्रतिबंधित कर स्थानीय स्तर पर जांच के निर्देश दिए है। बीमार बच्चों की जान बचाने के लिए डॉक्टरों की एक टीम जुटी हुई है। इन बच्चों को इंटेसिव केयर यूनिट में रखा गया है।

उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है। बताया जाता है कि शनिवार को टीकाकरण अभियान के तहत 7 बच्चों को बीसीजी और पेंटावैलेंट के टीके लगाए गए थे। टीकाकरण के कुछ घंटों बाद 2 बच्चों की मौत हो गई। जबकि शेष 5 बच्चों की तबीयत भी बुरी तरह से बिगड़ गई है। घटना संज्ञान में आते ही डॉक्टरों ने मोर्चा संभाला और 5 बच्चों की जीवन रक्षा के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। फ़िलहाल बच्चों की हालत स्थिर बताई जा रही है। 

जानकारी के मुताबिक बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड के कोरीपारा में आंगनबाड़ी केंद्र में टीकाकरण अभियान के तहत 30 अगस्त को दोपहर 12 बजे 7 बच्चों को वैक्सीन का टीका लगाया गया था। इसके बाद दो दिन के एक नवजात शिशु की मौत हो गई। बताते है कि इसी दिन शाम लगभग 7.30 बजे पीड़ित बच्चे ने दम तोड़ दिया। उसकी मौत के 30 घंटे के बाद 31 अगस्त रात 8 बजे दो महीने के सारांश नामक बच्चे की मौत हो गई। यही नहीं एक साथ टीका लगाने वाले शेष 5 बच्चों के भी बीमार होने की घटना सामने आई। परिजनों के बवाल मचाते ही सभी 5 बच्चों को इलाज के लिए जिला अस्पताल बिलासपुर रेफर किया गया।यह भी बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन ने फ़ौरन वैक्सीन को प्रतिबंधित कर दिया है। जबकि पीड़ित बच्चों का इलाज जारी है।

पेंटावैलेंट टीका बच्चों को पांच घातक रोगों से बचाता है। इनमें गलघोंटू, परटूसिस (काली खांसी), टेटनेस, हेपेटाइटिस बी और हिमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (हिब) शामिल है। बीसीजी का टीका हर बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। इससे बच्चे का इम्यून सिस्टम उन कीटाणु से लड़ने में मदद करता है, जिनसे टीबी (Tuberculosis) होती है। बीसीजी का टीका दिए जाने के समय से लेकर 15 वर्ष बाद तक टीबी और अन्य गंभीर बीमारियों से बचाता है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने घटना पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि, 6 बच्चे सुरक्षित हैं। उसी बैच की वैक्सीन से 9000 टीकाकरण पहले भी हुआ, इसमें किसी प्रकार की शिकायत नहीं आई थी। जांच का विषय है कि, 2 बच्चों की मौत क्यों हुई, इसके लिए राज्य स्तरीय दल का गठन किया है।

उधर घटना सामने आते ही पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने रविवार को पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और हालात का जायजा लेने जिला हॉस्पिटल पहुंचे थे। यहां उन्होंने पीड़ित बच्चों के स्वास्थ्य का हाल जाना और उनके परिजन से टीकाकरण के पूर्व और बाद में बच्चों की स्थिति को लेकर लम्बी चर्चा की। सिंहदेव ने अंदेशा जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि इस टीके की सप्लाई को लेकर सरकार कुछ छिपा रही है।

उन्होंने घटना की जांच की मांग करते हुए कई सवाल उठाए है। टीएस सिंहदेव ने कहा कि अगर टीके, दवाइयां अमानक थी तो उसका स्टॉक तत्काल क्यों नहीं रोका गया। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि, नसबंदी, गर्भाशय कांड, आंखफोड़वा वाली बीजेपी सरकार में कुछ भी हो सकता है। सिंहदेव के साथ पूर्व विधायक शैलेश पांडेय और कांग्रेस नेता पंकज सिंह भी मौजूद थे।

सिंहदेव ने कहा कि टीके क्या अमानक तो नहीं थे?, आखिर मृत बच्चों का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं करवाया गया?, क्या सरकार का दायित्व नहीं था कि वह सारे मामले की जांच कराती?, क्या सरकार इस संवेदनशील मामले में कुछ छुपा रही है? उधर घटना के बाद हरकत में आये CMHO डॉ प्रभात श्रीवास्तव ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है, बच्चों का पोस्टमॉर्टम कराने के निर्देश दिए गए हैं। उनके मुताबिक जिले में संबंधित बैच के वैक्सीन की सप्लाई पर रोक लगा दी गई है।  CMHO ने कहा कि मौत का कारण स्पष्ट हो सके इसके लिए मृत बच्चों का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की कोई चूक पाई जाती है, तो कार्रवाई की जाएगी।