रायपुर / रायपुर के हृदय स्थल शास्त्री चौक में करोडो की बेशकीमती सरकारी जमीन में एक बड़ा बिजनेस कॉम्प्लेक्स निर्माण करने की तैयारी चल रही है | फर्जीवाड़े , सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर और लीज के नियमों में उल्लंघन कर इस बिजनेस कॉम्प्लेक्स की नीव रखने की तैयारी जोरों पर है | इसके लिए शास्त्री चौक में कई सालों से कब्जाधारी दुकानदारों को कभी मोटी रकम देकर तो कभी दबंगाई दिखाकर उनकी दुकानें खाली करने की धमकी दी जा रही है | बताया जा रहा है कि शास्त्री चौक स्थित नत्थानी बिल्डिंग और उसके आसपास घिरी लगभग दो एकड़ भूमि को जमीन के दलालों ने भू-माफियाओं को सौंपने की तैयारी कर ली है | वर्तमान में इस परिसर में दवा दुकानों , फर्नीचर और मोबाइल शॉप के अलावा निजी कंपनियों के दफ्तर संचालित होते है | इस परिसर का एक बड़ा हिस्सा आज भी खाली पड़ा है | इस पर कोई निर्माण नहीं हुआ है | इस हिस्से का उपयोग गैरेज के रूप में इस्तेमाल होता है | कुछ वर्ष पहले पुराने मंत्रालय डीकेएस भवन और अब डीके हॉस्पिटल की कई गाड़ियां और एम्बुलेंस की यहां पार्किंग होती है | लेकिन अब इस पूरे परिसर को खाली कराकर यहां एक बिजनेस कॉम्प्लेक्स के निर्माण की तैयारी शुरू हो गई है | बताया जाता है कि इस पूरे परिसर को एक दो व्यापारियों ने करोडो की लागत में खरीद लिया है | इस सरकारी जमीन की लीज वर्ष 2022 में खत्म हो रही है | लीज के नवीनकरण को लेकर काफी पेचीदगियां है | दरअसल तीस साल की इस लीज के पूरे दौर में ना तो नियम शर्तों का पालन हुआ और ना ही जमीन का वैधानिक उपयोग | इसके चलते लीज की नवीनीकरण की संभावना बेहद कम है | लिहाजा सरकारी अफसरों के साथ लेनदेन कर इस जमीन पर बड़ा व्यासयिक काम्प्लेक्स निर्मित करने की योजना तैयार की गई है | इस पर लगभग दो सौ करोड़ रूपये खर्च होंगे | बताया जाता है कि इस कॉम्प्लेक्स की नीव ही ब्लैकमनी पर रखी जा रही है | वर्तमान में इस जमीन का कुछ हिस्सा किरायेदारों के कब्जे में है | जबकि बड़ा हिस्सा खाली पड़ा है | इस खाली हिस्से को नगर निगम रायपुर ने अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरु की थी | लेकिन प्रभावशील निवेशकर्ताओं के प्रभाव में आकर निगम के अधिकारीयों ने इस प्रक्रिया को रोक दिया है |
शास्त्री चौक पर नजूल पट्टे की लगभग दो एकड़ सरकारी जमीन को टुकड़े- टुकड़े कर एक दवा कारोबारी के अलग अलग पारिवारिक सदस्यों को 12 से 15 करोड़ रूपये में बेचे जाने का खुलासा हुआ है | जमीन के इस खरीद-फरोख्त में नजरी नक्शा और चौहद्दी को नजर अंदाज कर रजिस्ट्री और स्टाम शुल्क में भी लाखों का गोलमाल किया गया है | जमीन की खरीदी करने वाला कारोबारी परिवार खुद को कलेक्टर रायपुर का करीबी बताकर वहां के कब्जाधारियों को उनकी दुकानें खाली करने की धमकी दे रहा है | बताया जाता है कि सालों पहले 5 फरवरी 1996 को शास्त्री चौक के पास जीई रोड पर कृष्ण कुमार नत्थानी पिता मोहनलाल नत्थानी को रा.म.क्र. 865 अ-20 (1) 94-95 के लीज का नवीनीकरण किया गया था | इस दौरान उन्हें लीज के नियमो का पालन नहीं करने को लेकर फटकार भी लगाई गयी थी | वरना लीज रद्द करने की चेतावनी भी दी गयी थी | लेकिन इतने सालो बाद भी लीज धारक ने नियमो का ना तो पालन किया और ना ही जमीं का उपयोग | उल्टा उस सरकारी जमीन को लीज धारक के परिजनों ने अलग अलग बटवारा कर मोटी कीमत में बेच दिया | लीज की जमीन को बेचने के पहले ना तो जिला प्रशासन से कोई अनुमति ली गयी और ना ही कोई क़ानूनी प्रक्रिया पूरी की गयी | अब इस जमीन की लीज की म्याद मार्च 2022 में खत्म हो रही है | अब इस लीज के रद्द होने की सम्भावनाओ के मद्देनजर लीज धारको के परिवार वालो ने इसे मुँह मांगी कीमत पर बेचना शुरू कर दिया है | बताया जाता है कि कुछ दवा व्यापारियों ने इस जमीन को करोडो की लागत से ख़रीदा है | इस जमीन पर उनकी योजना बिजनेस कॉम्प्लेक्स निर्माण कर ग्राहकों को बेचे जाने की है |
फिलहाल इस जमीन में काबिज दुकानदार दहशत में है | उन्हें कलेक्टर साहब के नाम पर डराया धमकाया जा रहा है और कब्ज़ा छोड़ने के लिए चेतावनी दी जा रही है | पीड़ितों ने कलेक्टर रायपुर से गुहार लगाई है कि दबंग व्यवसाइयों के कहर से उन्हें बचाया जाए |