मुश्किल में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनका दामाद डॉक्टर पुनीत गुप्ता | दामाद बाबू ने घोटाले के लिए सरकारी अस्पताल को रख दिया बैंक को गिरवी | प्रोजेक्ट रिपोर्ट में चाटर्ड एकाउंटेंट के हस्ताक्षर फर्जी पाए गए | आरोपी दामाद बाबू के कई ठिकानों में दबिश के बावजूद पुलिस के हाथ खाली |

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रायपुर / छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद डॉ पुनीत गुप्ता के भ्रष्टाचार के मामले परत दर परत खुलते जा रहे है | दामाद बाबू के करतूतों के चलते जहां बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह पशोपेश में है|  वही राज्य में बीजेपी के प्रदेश इकाई की बोलती बंद है | जबकि कांग्रेस पुरे मामले में चुटकी ले रही है | दामाद बाबू के खिलाफ एक के बाद एक FIR दर्ज होने के बाद कांग्रेस ने हमलावर रुख अपनाया हुआ है | कांग्रेस यह कहने से नहीं चूक रही है कि रमन सिंह के दामाद ने सरकारी संपत्ति और धन का उपयोग निजी कामो और अपनी विलासिता पर खर्च किया था | ताज़ा प्रकरण में खुलासा हुआ है कि डॉ पुनीत गुप्ता ने  रायपुर के सरकारी अस्पताल को ही गिरवी रख दिया था , उसके बदले पंजाब नेशनल बैंक से लोन ले लिया | यह भी बात सामने आई कि बैंक से मिले लोन को दामाद बाबू ने अपने निजी कार्यो में भी उपयोग किया था | इस मामले के खुलासे के बाद बीजेपी और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह बैक फुट पर है |  

मामले की प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि डॉक्टर पुनीत गुप्ता ने रायपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल ‘डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल ‘ को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में तब्दील करने के लिए 99 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया था | यह प्रोजेक्ट वर्ष 2016-17 में जिस समय तैयार किया गया उस वक्त राज्य सरकार के पास बजट नहीं था | लिहाजा अस्पताल के लिए मशीनों और उपकरण की खरीदी के लिए बैंक से लोन लेने का फैसला लिया गया | लोन के लिए पूरी प्रक्रिया डॉक्टर पुनीत गुप्ता के निर्देश पर संपन्न हुई थी | बैंक से रकम जारी होने के बाद डॉक्टर पुनीत गुप्ता ने मनमाने तरीके से मेडिकल मशीने और उपकरण खरीदे | इसकी खरीदी के लिए उन्ही कंपनियों को टेंडर में प्राथमिकता दी गई , जिसे डॉक्टर पुनीत गुप्ता ने तय किया था | प्रारंभिक जांच में ही पुलिस ने टेंडर प्रक्रिया में भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा पाया है |     

डॉक्टर पुनीत गुप्ता ने 99 करोड़ की फर्जी ऑडिट रिपोर्ट से 64 करोड़ का लोन रायपुर की पंजाब नेशनल बैंक से लिया था | नियमानुसार किसी भी प्रोजेक्ट के लिये लोन जारी करने से पहले बैंक आवेदन पत्र के साथ उस संस्थान की ऑडिट रिपोर्ट अनिवार्य रूप से जमा करवाता है | यह इसलिए जरुरी होती है , क्योकि बैंक ये जानना चाहता है कि अगर वो लोन दे रहा है तो लोन लेने वाला व्यक्ति या संस्थान रकम को किस तरह और कैसे अदा करेगा |इस ऑडिट रिपोर्ट में लोन लेने वाला व्यक्ति बैंक को बताता है कि किस तरह से संस्थान की आमदनी होगी और लोन की रकम मय ब्याज अदा की जाएगी | इस मामले में जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि ऑडिट रिपोर्ट में जिस चाटर्ड एकाउंटेंट प्रकाश देशमुख के हवाले से ऑडिट रिपोर्ट जमा की गई है , उस शख्स ने अपने फर्जी हस्ताक्षर होने का बयान पुलिस में दर्ज कराया है | सीए प्रकाश देशमुख ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि पीएनबी को भेजी गई ऑडिट रिपोर्ट में उनके फर्जी हस्ताक्षर  है | सीए के इस बयान के बाद रायपुर के एसएसपी आरिफ शेख ने इस घोटाले से जुड़े सभी  दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच कराने के निर्देश दिए है |    
   

उधर इस मामले को लेकर  छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है | अस्पताल में अनियमितता और गड़बड़ी के दो अलग अलग मामलों में पुलिस ने डॉ. पुनीत गुप्ता को आरोपी बनाया है | राज्य में लोकसभा चुनाव का प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है | फरार डॉक्टर पुनीत गुप्ता और लोन के लिए अस्पताल तक को गिरवी रखने के मामले में कांग्रेस ने बीजेपी और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को घेरना शुरू कर दिया है | इस मामले में किसी भी तरह की प्रतिक्रिया जाहिर करने में रमन सिंह और बीजेपी दोनों ही कन्नी काट रहे है | 

दरअसल रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल के निर्माण के लिए सालों पहले सन् 1944 में दाऊ कल्याण सिंह नामक समाज सेवक ने तत्कालीन  सरकार को 1.25 लाख रुपए और कई एकड़ जमीन दान में दी थी | इस जमीन के एक बड़े हिस्से में राज्य सरकार द्वारा स्वर्गीय दाऊ कल्याण सिंह  के नाम पर डीकेएस पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीटयूट एंड रिसर्च सेंटर का संचालन किया जा रहा था | इस अस्पताल में डॉक्टर पुनीत गुप्ता काफी पहले से अपनी सेवाएं दे रहे थे | इस बीच उनकी शादी तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह की पुत्री से हो गई | शादी के बाद डॉक्टर पुनीत गुप्ता इस अस्पताल और रिसर्च सेंटर के स्वमेव सर्वे सर्वा बन गए | उन्होंने अस्पताल की आड़ में मोटी रकम इक्कठा करने की योजना तैयार की | यह योजना डीकेएस पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीटयूट एंड रिसर्च सेंटर को आधुनिक बनाने की थी | डॉक्टर पुनीत गुप्ता के इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के अवर सचिव सुनील विजयवर्गीय को गारंटर बनाकर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से 64 करोड़ रुपए के टर्म लोन और 5 करोड़ रुपए के कैश क्रेडिट की मंजूरी कराई थी। बताया जाता है कि इस लोन को लेने के लिए कोई सरकारी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। ना तो मामले को कैबिनेट में लाया गया , और ना ही लोन के लिए कोई नोटिफिकेशन हुआ | राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन अवर सचिव सुनील विजयवर्गीय को छत्तीसगढ़ की पूर्वव्रती रमन सिंह  सरकार ने बतौर गारंटर बैंक के सामने प्रस्तुत किया था | जबकि डॉक्टर पुनीत गुप्ता ने लोन के दस्तावेजों में बतौर अस्पताल के अधीक्षक के रूप में हस्ताक्षर किये थे | इस घोटाले को स्वास्थ्य विभाग के अलावा मुख्यमंत्री सचिवालय के आला अफसरों के संरक्षण में अंजाम दिया गया था | जांच में यह बात सामने आई है कि तत्कालीन प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं हेल्थ कमिश्नर को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया | लोन के लिए बैंक को सौंपी गई प्रोजेक्ट रिपोर्ट में स्वर्गीय दाऊ कल्याण सिंह द्वारा दान  में दी गई जमीन और उस पर डीकेएस पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीटयूट एंड रिसर्च सेंटर को बैंक में गिरवी रख दिया गया | बताया जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को इस मामले की पूरी जानकारी थी | इसी के आधार पर स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन अवर सचिव सुनील विजयवर्गीय को लोन संबंधी प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश मुख्यमंत्री सचिवालय से प्राप्त हुए थे | इन्ही  निर्देशों के आधार पर पीएनबी और स्वास्थ्य विभाग ने लोन संबंधी सारी प्रक्रियाएं पूरी कर 64 करोड़ का लोन मंजूर कर लिया था |मामले के खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग के जिस तत्कालीन अवर सचिव सुनील विजयवर्गीय को छत्तीसगढ़ की पूर्व सरकार ने बतौर गारंटर बैंक के सामने प्रस्तुत किया था, उनका स्थानांतरण सहकारिता विभाग में कर दिया गया है।                
 

डॉ. पुनीत गुप्ता के खिलाफ लगभग 50 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े को लेकर डीकेएस अस्पताल के मौजूदा अधीक्षक के.के सहारे ने FIR दर्ज कराई है |  अस्पताल की तीन सदस्यीय कमेटी की प्राथमिक जांच के बाद इस FIR की सिफारिश की गई थी | फ़िलहाल आरोपी डॉक्टर पुनीत गुप्ता पुलिस को ढूंढे नहीं मिल रहे है | पुलिस की दो टीम उनके कई ठिकानों पर दबिश दे चुकी है | बताया जाता है कि पिछले दो हप्तों से आरोपी ना तो छत्तीसगढ़ में दिखाई दिया और ना ही राज्य के बाहर उसके ठिकानों में | लिहाजा अंदेशा यह भी जाहिर किया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर पुनीत गुप्ता अपनी गिरफ्तारी के भय से कहीं विदेश तो नहीं भाग गया |