कहते है “कलाकार और कलाकृति” को किसी “धर्म या समुदाय” के बंधन में नहीं “बाँधा” जा सकता | यदि “समुद्र मंथन” की यह “कलाकृति “भारत में किसी सार्वजनिक स्थल पर स्थापित होती तो विपक्षी दलों समेत तमाम कॉमरेड सारा देश “आसमान” पर उठा लेते | देखे, बैंकॉक एयरपोर्ट पर “समुद्र मंथन” |