बस्तर में निकलने वाली सल्फी ने लोगो को व्यवसाय का नया रास्ता दिखाया है , सल्फी को लोग एनर्जी ड्रिंक के रूप में भी इतेमाल करते है |

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 छत्तीसगढ़ के बस्तर के सैकड़ो गाँवो में ‘सल्फी ‘ ने ग्रामीणो की रोजमर्रा की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा कर दिया है । खासतौर पर महिलाओ को जेब खर्च के लिए भरपूर रकम मिल जाया करती है । सल्फी पेड़ो से निकलने वाला एक ऐसा द्रव्य है जिसे एनर्जी ड्रिंक के रूप में पिया जाता है । इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेड होता है । लोग सॉफ्ट ड्रिंक के बजाए सल्फी पीना ज्यादा पसंद करते है ।  क्योकि इस प्राकृतिक द्रव्य में मिलावट  की कोई गुंजाइश नहीं । बस्तर में निकलने वाली सल्फी ने लोगो को व्यवसाय का ऐसा रास्ता दिखाया है कि आदिवासी इसे अपनी स्वरोजगार का बेहतर विकल्प मान रहे है । 


आयुर्वेदक दवाओ  में होता है इस्तेमाल

  
छत्तीसगढ़ के बस्तर में सैकड़ो गांव की सुबह यहाँ के बाशिंदों के लिए दिनदहाड़े मालामाल बनने का संदेसा लेकर आती है । शहरी बस्तियों से लेकर ग्रामीण इलाको के हाट बाजारों में सल्फी बेचने वालो का हुजूम  लग जाता है । इन इलाको में रहने वाली महिलाये सल्फी को मिटटी के बर्तनो में सहेज कर इन हाट बाजारों में बेचने के लिए निकल पड़ती है । चंद घंटो में सल्फी का सौदा हो जाता है । और इन महिलाओ को नगद रकम के रूप में अच्छी खासी आमदनी हो जाया  करती है ।  पहले लोग इसका इस्तेमाल अपने घर परिवार में ही किया करते थे । लेकिन इसकी प्राकृतिक गुणों और आयुर्वेदक दवाओ में इस्तेमाल होने के चलते इसका उपभोग बढ़ गया । लोग इसे खरीदने में रूचि दिखाने लगे । देखते ही देखते आम बाजारों का एक हिस्से में सल्फी बेचने वालो की कतार  लग गयी । और तो और इसके ग्राहक भी बड़ी तादाद में आने लगे । 

सल्फी का पौधा एक अनुकूल वातावरण में ही फलता फूलता है । ना तो इसे ज्यादा गर्मी चाहिए और ना ही ज्यादा ठंडक । बस्तर की आबो हवा इस पौधे के लिए अच्छी मानी गयी है । लिहाजा घर घर में सल्फी का पेड़ लगाने को लोग फायदे का धंधा मान रहे है । ग्रामीण इलाको में तो  ज्यादा धनी माने जा रहे है जिनके घर जितने ज्यादा सल्फी के पेड़ लहलहा रहे है । पौ फटते ही सल्फी निकालने के लिए ग्रामीण पेड़ो पर चढ़ जाते है । ऐसा माना जाता है कि सूर्य की किरण पढ़ते ही पेड़ो से सल्फी का द्रव्य अपने आप निकलने लगता है । लिहाजा ये लोग मिटटी के हांडियां और बर्तनो को पेड़ो पर बाँध देते है । ताकि सल्फी उन बर्तनो में इकट्ठी हो सके । पच्चीस से तीस फीट ऊँचे  पेड़ो पर चढ़ के सल्फी के बर्तनो को सही सलामत उतारने में ये ग्रामीण माहिर हो गए है । सल्फी निकालने के बाद बगैर देर किये ये लोग सीधे हाट बाजारों में आ जाते है । ताकि लोगो को तरो ताजा सल्फी का स्वाद चखा सके । सुबह होते ही सल्फी के ग्राहक भी हाट बाजारों में दौड़े चले आते है । क्योकि ताज़ी सल्फी का स्वाद ही उन्हें यहाँ तक खीच लाता है । ताज़ी सल्फी स्वाद में खट्टी मीठी होती है । लेकिन जैसे जैसे वक्त बीतता चला जाता है उसका स्वाद पूरी तरह से खट्टा होता चला जाता है । फर्मन्टेशन के चलते सल्फी का द्रव्य अपने आप प्राकृतिक एल्कोहोल के रूप में तब्दील हो जाता है । ऐसा माना जाता है कि इसमें उतपन्न होने वाला खमीर पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में सहायक होता है । लिहाजा पेट की बीमारी , बदहजमी , और एसिडिटी  तकलीफ से जूझने वाले लोग भरपूर मात्रा में सल्फी का सेवन करते है । यह सल्फी उन्हें राहत देती है ।  इस इलाके में बतौर एनर्जी ड्रिंक सल्फी का इस्तेमाल जिस तेजी से बढ़ा है उससे इसका एक नया बाजार बन गया है । ग्रामीण मानते है कि  सल्फी को बढ़ावा देने के लिए यदि इस इलाके में प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिट स्थापित कर दी जाए तो लोगो को घर बैठे बैठे अच्छा ख़ासा व्यवसाय मुहैया हो जाएगा ।