बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर में मनाया जाने वाला गणतंत्र दिवस समारोह अनूठा होगा , ध्वजारोहण करने वाले मुख्यमंत्री का राज्य की जनता के नाम जारी संदेश पढ़ नहीं पायेगें ।

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शशिकांत साहू \

गणतंत्र दिवस को उत्साह के साथ मनाने के लिए स्कूलों से लेकर मैदान तक तैयारियां पूरी गई हैं ।  समारोह में बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर में मनाया जाने वाला समारोह अनूठा होगा । अनूठा इसलिए क्योकिं ध्वजारोहण करने वाले मुख्यमंत्री का राज्य की जनता के नाम जारी संदेश पढ़ नहीं पायेगें । हिन्दी में जारी मुख्यमंत्री के संदेश पढ़ नहीं पायेगें ।  मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन मुख्य अतिथि के सहयोगी करेंगे , जो अधिकारी स्तर के होंगे । दरअसल बस्तर जिला मुख्यालय के लाल बाग मैेदान पर आयोजित ध्वजा रोहण की जिम्मेदारी प्रदेश के वाणिज्य कर एंव उद्योग आदि विभागों के मंत्री कवासी लखमा को सौंपी गई है ।

        बता दे कि 2018 में कांग्रेस शानदार जीत के बाद नए मंत्रिमंडल का गठन किया |  सूबे के नए मंत्रिमण्डल में जिन मंत्रियों ने शपथ ली, उनमें से एक नाम कवासी लखमा का भी है |  कवासी लखमा को आबकारी, उद्योग, वाणिज्यकर जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा सौंपा गया है |  मंत्री कवासी लखमा के बारे में बता दें कि प्रदेश की धुर दक्षिण पूर्व की विधान सभा कोंटा से लगातार पांचवीं बार चुनाव जितने वाले वे छत्तीसगढ़ के इकलौते कांग्रेसी हैं । माओवादियों के गण में झीरम घाटी हमले में जीवित बचने वाले भाग्यशाली कवासी लखमा भले ही सफलता पूर्वक हिन्दी पढ़ लिख नहीं पाते हों , पर अपना नाम लखमा अच्छे से पढ़ लिख समझ और पहचान लेतें हैं । बात अगर विपक्ष की करें तो इसमे भी कवासी की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है |  पिछली विधानसभा में लखमा उप नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाग चुके है | 

          कवासी लखमा के गोंड़ी लहजे ही लच्छेदार हिन्दी अच्छे अच्छों की बोलती बंद कर देती है । अपनी सहजता , सरलता और सादगी की पूरे प्रदेश में इकलौते मिसाल कवासी लखमा ने भले ही स्कूल नहीं गये हो । पर अपनी काबिलियत का लोहा उन्होंने राजनीति के अच्छे-अच्छों से मनवा लिया है ।  कवासी लखमा जो ठेकेदार निर्माण और मरम्मत के नाम पर चूना लगाते हैं । या रोजी रोटी कमाने वालों से नाइंसाफी करते हैं । ऐसे लोगों से वे खुली सड़क पर उठक बैठक करवाने से भी नहीं चूकते । कवासी लखमा ने विधायक बनने से पहले ग्राम सरपंच के रूप में भी काम किया है   |  कवासी लखमा को अच्छे कार्य के लिए दो बार सर्वश्रेष्ठ सरपंच का पुरस्कार मिल चुका है |  बता दें कि कवासी लखमा ने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली है |  बावजूद इसके देश और राज्य की राजनीति के अलावा अंतर्राष्ट्रीय पॉलिटिक्स में भी अपनी मजबूत पकड़ रखते है |