चल रे कावड़िया ‘शिव’ के धाम , ‘भोले बाबा’ का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों का जत्था हुआ रवाना |

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उपेंद्र डनसेना / 

रायगढ़ /  सावन में भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। श्रद्धालु शिव को जलाभिषेक कर मनचाहा वरदान मिलता है और इसी के चलते भगवान शिव को खुश करने के लिए अकेले रायगढ़ जिला मुख्यालय से सावन सोमवार के दिन हजारों की संख्या में जल अभिषेक करने के लिए यहां के लोग देवघर और पानपोस रवाना होते हैं। ये सभी कांवडिए नाचते-गाते भगवान शिव की अराधना में लीन होकर मिलो दूर तक पैदल चलकर भगवान शिव के ऊपर जल चढ़ाकर अपनी मन्नतों को पूरा करते हैं, इतना ही नही जिनकी मन्नते पूरी होती है वो दोबारा भी जल अभिषेक करने के लिए जाते हैं। बीते कई साल से कांवडियो का जत्था हर सावन सोमवार के एक दिन पहले रवाना होता है। जिससे पूरा रायगढ़ स्टेशन भगवा मय दिखाई देने लगता है।  
 

विश्व प्रसिद्ध मंदिर बाबा बैद्यनाथ जो झारखंड के देवघर में है यहां श्रद्धालु सुल्तानगंज से जल लेकर आते हैं। इसके अलावा कुछ कावंडिये राऊरकेला के पास स्थित पानपोस के प्रसिद्ध मंदिर में भी जल चढ़ाते हैं। देवघर में पवित्र शिव लिंग धार्मिक मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान रामचंद्र ने अयोध्या के राजा बनने के बाद सुल्तानगंज से जल भरकर कांवड़ सहित वैद्यनाथ धाम मंदिर में जलाभिषेक करने गए थे। इसके बाद यहीं से कांवड़ सहित जलाभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई। इसके बाद सबसे पहले रावण कांवड़ लेकर मंदिर गए और शिव की पूजा की। ऐसी मान्यता है कि कांवड़ मेले की परंपरा तभी से शुरू हुई। आपको बता दें कि पूरे सावन भर शिव के जलाभिषेक हेतु भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त सुल्तानगंज से जल लेकर बाबा वैद्यनाथ मंदिर तक जाते हैं। इस रास्ते की लंबाई तकरीबन 105 किलोमीटर है।  कांवड़ यात्रा के दौरान पूरे रास्ते में मेले का नजारा देखने को मिलता है। श्रावणी मेले के दौरान सरकारी और स्थानीय लोगों की मदद से इस रास्ते में तमाम सुविधाएं मुहैया करायी जाती है। भगवा मय कांवडिये रविवार की सुबह से ही अलग-अलग जत्थो में घरो से निकलकर स्टेशन तक पहुंचते हैं और अलग-अलग ट्रेनों से रवाना होकर पूरे दो दिनों तक जलाभिषेक करने के लिए भगवान शिव की उपासना में जुट जाते हैं।