उपेन्द्र डनसेना
रायगढ़। छत्तीसगढ़ का फोक कल्चर काफी समृद्धशाली है। यहां की फोक कल्चर और शास्त्रीय संगीत को और आगे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की जरूरत है। इसके लिए रायगढ़ में इंटरनेशनल कल्चरल सेंटर होना चाहिए, ताकि छत्तीसगढ़ के फोक को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंच मिल सके। इसे टुरिज्म के साथ जोडऩे की जरूरत है। ओडिशी के कला गुरू गजेन्द्र पंडा ने आज मीडिया से चर्चा के दौरान अपने यह उद्गार रखे। अपने शिष्या आर्या नंदे और समुह के साथ चक्रधर समारोह में शिरकत करने के लिए पहुंचे ओडिशी के कला गुरू ने कहा कि सही साधना के लिए गुरू का सही होना जरूरी है।
ओडिशी नृत्य वास्तव में ओडिशा के फोक कल्चर और शास्त्रीय संगीत का विस्तृत स्वरूप है जो भगवान जगन्नाथ की नृत्य से आराधना पर आधारित है और उन्हीं पर जाकर संपन्न होती है। शास्त्रीय संगीत के किसी भी कलाकार को शास्त्र परंपरा का ध्यान रखना जरूरी है। क्लासिकल ओडिशी में भगवान श्री के षोडस उपचार में से नृत्य ही एक उपचार माना गया है। ओडिशी को और आगे आने के लिए त्रिधारा के रूप में आदिवासी संस्कृति लोकनृत्य और शास्त्रीय संगीत का संगम बनाकर इसे आगे ले जाने की कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में एकमात्र भगवान जगन्नाथ ही हैं जो काष्ट(लकडी) से बनते हैं। शेष सभी भगवान लकड़ी से बनाए जाते हैं। शास्त्रीय संगीत में आम सहभागिता के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत को भी ऑडिशंस को ध्यान में रखकर क्लासिकल संगीत को रचना चाहिए। इसे सरल बनाकर मंच में प्रस्तुत करना चाहिए, तभी एक आम आदमी इस संगीत से दिल से जुड सकता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में इस तरह के संगीत के साधना के लिए लोगों को पेंसेंस कम होता जा रहा है। जबकि संगीत साधना में संयम सबसे जरूरी है। चक्रधर समारोह का और हो प्रचार ओडिशी नृत्य कला के कला गुरू श्री पंडा ने कहा कि रायगढ़ के ऐतिहासिक चक्रधर समारोह में राष्ट्रीय ही नही बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोडी है। पूरे देश में एकमात्र यही समारोह है जो शास्त्रीय संगीत पर आधारित होकर पूरे 10 दिनों तक चलता है। पूरे देश में इतने दिनों का शास्त्रीय संगीत का आयोजन और कहीं नही होता। किंतु उनकी दृष्टि में चक्रधर समारोह का प्रचार उस भांति नही हो पा रहा है। जिस भांति होना चाहिए। उनका सुझाव है कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार को इस पूरे समारोह को डीडी भारत में लाईव टेलिकास्ट करवाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है।
इसी तरह से समारोह का नेशनल मीडिया में भी प्रचार करने की जरूरत है। सेंट्रल और स्टेट का टुरिज्म इसे प्रमोट करे और प्रदेश तथा देश के महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों जैसे एयरपोर्ट, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन आदि में इसके होर्डिग्स लगाए जाएं तो इसे और प्रचार मिलेगा तथा देश विदेश के टुरिस्ट तक इस समारोह की जानकारी पहुंच सकेगी और वे नियत समय पर इस विश्व प्रसिद्ध समारोह को देखने के लिए आ सकेंगे।