शारदीय नवरात्रि की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है । सभी रूपों में देवी मां को सजाया जा रहा है और उनकी पूजा की जा रही है । भारत में माता के मंदिर आपको हर गली मुहल्ले में मिल जाएंगे इसमें आपको कुछ अचंभा नहीं होगा । लेकिन मुसलमानों के देश में जहां मूर्तियों की पूजा करने वालों को काफिर कहा जाता है उस जगह पर माता का मंदिर होना आपको हैरान जरूर करेगा । इस पर भी जब आप यह जानेंगे कि मंदिर सदियों पुराना है और इनके चमत्कार को मुसलमान भी मानते हैं तो खुद ब खुद कह उठेंगे जय माता दी | जिसकी पूजा मुसलमान भी करते हैं और ये मंदिर पाकिस्तान में स्थित है । ये शक्तिपीठ कई मायनों में खास है। ऐसा इसलिए क्योंकि देवी का यह मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है, जिसका नाम हिंगलाज माता मंदिर है । इस मंदिर को हिंगलाज भवानी मंदिर भी कहा जाता है । बताया जाता है कि ये मंदिर 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है ।
इस मंदिर की कहानी बहुत प्राचीन है । भगवान शिव और देवी सती का विवाह हो चुका था । लेकिन देवी सती के पिता दक्ष ने भगवान शंकर का अपमान किया तो देवी सती ने आत्मदाह कर लिया । जब शंकर जी को अपनी पत्नी की मृत्यु का समाचार मिला तो वो गुस्से में भर उठे । आत्मदाह के बाद देवी के शरीर के 51 हिस्से अलग-अलग स्थानों पर गिरा । हिंगलाज मंदिर वहां स्थित है, जहां देवी सती का सिर गिरा था । इसलिए मंदिर में माता अपने पूरे रूप में नहीं दिखतीं, बल्कि उनका सिर्फ सिर नजर आता है । यहां पर हिंदू-मुसलमान की एकता साफ नजर आती है । यहां मुसलमान भी देवी के सामने सिर झुकाए नजर आते हैं । पाकिस्तानियों के लिए यह मंदिर नानी का मंदिर है । नानी के इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपना सिर झुकाते हैं । यहां पहुंचने का रास्ता जितना मुश्किल है, उतना ही सुन्दर भी । यह मंदिर बहुत बड़ा नहीं है लेकिन प्राचीन बहुत है ।
क्या भारतीय यहां दर्शन के लिए जा सकते हैं ? नहीं । वहां जाने के लिए भारतीयों को पाकिस्तान सरकार से परमिशन लेनी पड़ती है । अगर पासपोर्ट वीजा सबकुछ सही हो तो पाकिस्तान सरकार शायद अनुमति दे दे | यह शक्तिपीठ बहुत सिद्ध है और दुनियाभर के हिन्दुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । यह भी मान्यता है कि जो भी भक्त 10 फीट लंबी अंगारों की एक सड़क पर चलते हुए माता के दर्शन करने पहुंचे, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी । पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के तट पर चंद्रकूप पर्वत पर ये मंदिर बसा हुआ है । इस मंदिर में साल भर भक्त और श्रद्धालु आते हैं लेकिन यहां जाने का रास्ता बहुत मुश्किल है। मगर इसके बाद भी भक्त और श्रद्धालु यहां आते हैं । सबसे खास बाते ये है कि यहां नवरात्रों के दौरान मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में हिंदू भक्त तो आते ही हैं लेकिन मुसलमान भी आते हैं ।


