रायपुर | छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ,पूर्व खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले ,राजनांदगांव के पूर्व विधायक लीलाराम भोजवानी ,रिटायर्ड आईएफएस कौशलेन्द्र सिंह,EOW के पूर्व एडीजी मुकेश गुप्ता ,गिरीश शर्मा और नान के लेखाधिकारी चिंतामणि चंद्राकर समेत एक अन्य प्रभावशील “महिला” के खिलाफ जल्द ही नई FIR दर्ज होगी | “नान घोटाले” में SIT के गठन के बाद EOW की टीम ने नए सिरे से दस्तावेज जुटाए है | इसके अलावा चिंतामणि चंद्राकर से प्राप्त कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों और बयानों ने “नान घोटाले” को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है | बताया जा रहा है कि EOW के पूर्व एडीजी और निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की अपराधिक कार्यप्रणाली के चलते घोटाले के कई ठोस साक्ष्यों को नष्ट किया गया था | यही नहीं कई बेगुनाहो को झूठे अपराधों में फांसकर मामले को रफा -दफा करने का प्रयास किया गया | सूत्रों के मुताबिक मुकेश गुप्ता के निर्देश पर “नान घोटाले” को लेकर अदालत मे प्रस्तुत कई साक्ष्यों को कमजोर किया गया ताकि असलियत पर से पर्दा हटाया जा सके | EOW के हत्थे चढ़े चिंतामणि चंद्राकर ने अपने बयानों में कई ऐसे “राज” खोले है, जो अभी तक “नान घोटाले” की जांच में सिर्फ चर्चा का विषय बनकर रह गए थे | उसने मुकेश गुप्ता के खिलाफ भी कई ऐसे बयान दर्ज कराने के साथ सबूत मुहैया कराए है ,जिससे साफ होता है कि “नान घोटाले ” की असलियत पर से पर्दा हटाने के लिए गैर-क़ानूनी कदम उठाए गए थे |
यह भी बताया जा रहा है कि ” नान घोटाले ” में धान का अतिरिक्त उपराजन कराए जाने से “236” करोड़ की क्षति की वसूली भी आरोपियों से कराई जाएगी | इसकी “जिम्मेदारी” तय करने के लिए जांच अधिकारी पृथक से “विवेचना” कर सरकारी तिजोरी में लगाई गई “चपत” का आंकलन करेंगे | इस बाबत पृथक से प्रकरण तैयार कर “वसूली का ब्यौरा” अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा | 21 लाख फर्जी राशन कार्डो से सालाना होने वाले नुकसान और राशन के “उठाव” का ब्यौरा भी जांच अधिकारी तैयार कर अदालत के समक्ष रखेंगे | इस दौरान अदालत से इस अतिरिक्त नुकसान की “भरपाई” की वसूली के लिए भी गुहार लगाई जाएगी | EOW ने पुराने कम्प्यूटरो ,हार्डडिस्क और अलमारियों में कैद फाइलों को खंगाल कर “नान घोटाले” के लगभग सभी दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया है | इसमें वो दस्तावेज भी शामिल है जिसे निलबिंत डीजी मुकेश गुप्ता ने नष्ट करवाया था | बताया जाता है कि चिंतामणि चंद्राकर से हुई पूछताछ के बाद EOW को बड़ी कामयाबी मिली है | आरोपी की निशानदेही पर EOW की टीम ने उन तमाम मूल दस्तावेजों को पुनः प्राप्त कर लिया है ,जिसका नष्टीकरण कर मुकेश गुप्ता ने घोटाले की जांच को ही भटका दिया था | ये दस्तावेज खुद चिंतामणि चंद्राकर के कब्जे से बरामद हुए है | बताया जाता है कि नागरिक आपूर्ति निगम के इस लेखाधिकारी ने पचास करोड़ से ज्यादा की चल -अचल संपत्ति अर्जित की थी | इसमें छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश ,केरल और तमिलनाडु में खरीदी गई संपत्ति शामिल है | गौरतलब है कि चिंतामणि चंद्राकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज कर EOW ने उसे अपने कब्जे में लिया है |
“नान घोटाले” को लेकर प्रभावशील नेताओ और अफसरों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने से पहले बीजेपी के कई ऐसे नेताओ से भी “पूछताछ” हो सकती है ,जो “घोटाले” की रकम के “लेनदेन” के दौरान “मौके” पर उपस्थित थे | बताया जाता है कि “सरकारी गवाह” शिवशंकर भट्ट ने “बीजेपी मुख्यालय” में “पांच करोड़” और तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के ठिकाने में समय- समय पर सौपी गई “तीन करोड़” से अधिक की रकम के भुगतान के दौरान “मौके” पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियो के नाम भी EOW को सौपे है | उधर EOW की “घोटाले” वाले “डायरी” के पन्नो में दर्ज लेनदेन की “पुष्टि” चिंतामणि चंद्राकर ने भी की है | उसने बताया है कि प्रति माह कितनी रकम किस शख्स के हाथो में जाती थी ? चंद्राकर ने रकम “स्वीकारने” वाले शख्स की “पहचान” भी बाकायदा मोबाईल नंबरों सहित जाहिर की है | इन मोबाईल नंबरों का ब्यौरा भी प्राप्त कर लिया गया है | इस “घोटाले” को लेकर पूर्व में गवाह बनाए गए सभी कर्मियों के आलावा उन आरोपियों से भी पूछताछ की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है ,जो अदालत से जमानत पर रिहा हुए है | सूत्रों का कहना है कि इनमे से कुछ कर्मियों को जानबूझकर “बलि का बकरा” बनाया गया था | ऐसे आरोपियों ने भी “हकीकत” बयां करने के लिए “सरकारी गवाह” बनने की पेशकश की है | बताया जाता है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार और निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के प्रभाव चलते कई गवाह अदालत में अपने बयानों से मुकर गए थे | ऐसे गवाहों से भी नए सिरे से पूछताछ कर “सबूत नष्ट” करने के मामले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने पर विचार किया जा रहा है | फ़िलहाल पथ से भटक चुकी “नान घोटाले” की जांच एक बार फिर अपनी “राह” में आ गई है |


