दर्ज होगा दफा 302 ? कांग्रेस सरकार से मेहता परिवार को न्याय की उम्मीद |
रायपुर / छत्तीसगढ़ में मौजूदा कांग्रेस सरकार का “अब होगा न्याय” का नारा साकार होते नजर आ रहा है | छत्तीसगढ़ प्रदेश के डीजी जेल गिरधारी नायक ने 14 सौ पन्नों की एक जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है | इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार तरीके से 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता के गुनाहो का पूरा लेखा-जोखा दर्ज है | इस जांच रिपोर्ट में कई गंभीर मामलों के आरोपी मुकेश गुप्ता की कार्यप्रणाली से लेकर आपराधिक आचरण के बिंदुओं को तथ्यात्मक रूप से दर्शाया गया है | हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मिक्की मेहता के परिजनों को आश्वस्त किया था कि , उनके साथ न्याय होगा | 7 सितंबर 2001 को डॉक्टर मिक्की मेहता मुकेश गुप्ता के सरकारी बंगले में मृत पाई गई थी | स्वर्गीय मिक्की मेहता के परिजनो ने तत्कालीन सरकार से लेकर निर्वतमान बीजेपी सरकार और उसके सभी नेताओं से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी | लेकिन मुकेश गुप्ता को मिले राजनैतिक संरक्षण के चलते यह संभव नहीं हो सका | छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज होने के बाद “अब होगा न्याय” का नारा काफी प्रभावशील रहा | डॉक्टर मिक्की मेहता हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच का जिम्मा उन्होंने डीजी जेल गिरधारी नायक को सौंपा था | करीब तीन माह की कड़ी मशक्क्त के बाद गिरधारी नायक ने विस्तृत जांच रिपोर्ट छत्तीसगढ़ सरकार को सौंप दी है | इस जांच रिपोर्ट में आरोपी मुकेश गुप्ता के गुनाहों का पूरा लेखा-जोखा है | इस कुख्यात अफसर के खिलाफ अभी दो अलग-अलग मामलों में अवैध रूप से राज्य के नागरिकों के फोन टेपिंग और नान घोटाले में सबूत नष्ट करने और सरकारी दस्तावेजों की कूटरचना करने संबंधी FIR दर्ज है | लेकिन अब डॉक्टर मिक्की मेहता हत्याकांड की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद दफा 302 और आपराधिक षड्यंत्र 120 बी के अलावा अन्य धाराओं में भी तीसरी FIR दर्ज हो सकती है | फ़िलहाल राज्य सरकार जांच रिपोर्ट के अध्ययन में जुटी है |
जांच रिपोर्ट में डॉक्टर मिक्की मेहता की मौत से पहले और मौत के बाद के तमाम तथ्यों को कानूनसंगत रूप प्रमाणित किया गया है | बताया जाता है कि डॉक्टर मिक्की मेहता की मौत तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता के सरकारी आवास में हो गई थी | लेकिन षड्यंत्र के तहत इसे स्वाभाविक मौत दर्शाने के लिए मुकेश गुप्ता और उसके गिरोह ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी | मुकेश गुप्ता और उसके साथियों ने सबसे पहले डॉक्टर मिक्की मेहता की बॉडी को उसके सरकारी आवास से रायपुर के कटोरा तालाब स्थित डॉक्टर सलीम के अस्पताल में स्थानांतरित किया था | उस वक्त डॉक्टर सलीम के अस्पताल में ना तो गहन चिकित्सा कक्ष था और ना ही लाइफ सपोर्ट सिस्टम जैसी उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा | डॉक्टर सलीम ने इस दौरान बयान दिया था कि डॉक्टर मिक्की मेहता अपने लिए वेंटिलेटर की मांग कर रही है | उनका यह बयान सरकारी दस्तावेजों में लिपिबद्ध है | इस बयान पर गौर करे तो , डॉक्टर मिक्की मेहता को इस अस्तपाल से बेहद करीब रायपुर के ही डीके अस्पताल में भर्ती करने के बजाए काफी दूर भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल में दाखिल कराया गया | यह भी बताया जाता है कि सेक्टर-9 अस्पताल में डॉक्टर मिक्की मेहता को दाखिल कराने के कुछ देर बाद ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था | इस दौरान मुकेश गुप्ता दुर्ग के एसपी हुआ करते थे | यह भी तथ्य सामने आया है कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मुकेश गुप्ता ने सेक्टर-9 अस्पताल को छावनी में तब्दील कर दिया था | यही नहीं डॉक्टर मिक्की मेहता के परिजनों को ना तो अस्पताल में दाखिल होने दिया गया और ना ही उन्हें उसकी लाश सौंपी गई | जांच रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि डॉक्टर मिक्की मेहता की मौत के बाद भी उसे ” जिंदा दर्शाए जाने ” को लेकर कवायत होते रही | रायपुर से लेकर भिलाई तक उसे ” जिंदा बताए रखने ” के लिए सुनियोजित रूप से षड्यंत्र भी रचा गया |
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के तहत संदेहास्पद मौत के मामले में लाश का पोस्टमार्टम मृतक के परिजनों की मौजूदगी , महिला डॉक्टर की उपस्थिति और पोस्टमार्टम की वीडियोंग्राफी की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी | लेकिन दुर्ग के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश गुप्ता ने अपनी पोल खुल जाने के भय से “सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन” को दरकिनार कर दिया था | उसने पोस्टमार्टम के उपरांत फौरी तौर पर डॉक्टर मिक्की मेहता की लाश अपने कब्जे में ली और उसका अंतिम संस्कार कर दिया था | आखिर किस भय के चलते उसने मृतक के परिजनों को ना तो उनकी बेटी की लाश तक देखने दी और ना ही अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका दिया था | जांच रिपोर्ट में पोस्टमार्टम प्रक्रिया और डॉक्टर मिक्की मेहता की लाश को रायपुर से भिलाई ले जाये जाने को लेकर भी सवाल उठाये गए है |

रायपुर की नेत्र विशेषज्ञ डॉ. मिक्की मेहता के साथ 1988 बेच के आईपीएस मुकेश गुप्ता ने 1999 में कथित तौर पर गंधर्व विवाह किया था। उनकी एक बेटी मुक्ता भी है , जो मुकेश गुप्ता के कब्जे में दिल्ली में रहती है | मिक्की मेहता की मां के मुताबिक जब मिक्की हैदराबाद में रहती थी । उस दौरान तिरूपती बालाजी में मुकेश गुप्ता ने मिक्की से गंधर्व विवाह किया था । जबकि मुकेश गुप्ता पहले से ही शादीशुदा थाॉ । 7 सितम्बर 2001 को डॉ. मेहता आईपीएस मुकेश गुप्ता के सरकारी बंगले में मृत पाई गई थी। मिक्की मेहता की मॉ श्यामा मेहता और भाई मानिक मेहता ने इस घटना को स्वभाविक मौत नहीं मानते हुए सुनियोजित हत्या बताया था | उन्होंने केन्द्रीय गृह मत्रालय को पत्र लिखकर इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी | लेकिन मुकेश गुप्ता के राजनैतिक रसूख के चलते उसके खिलाफ कोई विशेष कार्रवाई नहीं हुई। यही नहीं सरकारी नौकरी में रहते हुए “दो शादी” करने के मामले में भी मुकेश गुप्ता के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई | जबकि पुलिस महकमे के कई आईपीएस अधिकारियों को सरकारी नौकरी में रहते “हिंदू विवाह अधिनियम” के उल्लंघन का दोषी मानते हुए नौकरी से हाथ धोना पड़ा है |
डीजी जेल गिरधारी नायक की 14 सौ पन्नों की जांच रिपोर्ट में मुकेश गुप्ता के खिलाफ लगे सभी आरोप सिद्ध पाए गए है | इस रिपोर्ट में यह भी साफ़ किया गया है कि अपने प्रभाव और वर्दी का दुरूपयोग करते हुए इस आईपीएस अधिकारी ने आखिर किस तरह से कानून की धज्जियां उड़ाई थी | उसकी कार्यप्रणाली से “पुलिस महकमे” की छवि भी आम जनता के बीच तार-तार हुई थी | फ़िलहाल पीड़ित परिवार को उम्मीद जगी है कि वो अपनी लाड़ली बेटी डॉक्टर मिक्की मेहता को न्याय दिला पाएंगे | मेहता परिवार न्याय पाने के लिए पिछले बीस वर्षों से सरकारी दफ्तरों से लेकर अदालत के चक्कर काट रहा है | दूसरी ओर उन्हें प्रताड़ित करने के लिए मुकेश गुप्ता ने कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है | उनके खिलाफ कई झूठे मुकदमे दर्ज कराए और इस परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया | ताकि वो डॉक्टर मिक्की मेहता की मौत की जांच की मांग ना करे | बहरहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की “न्याय यात्रा” से जनता को उम्मीद जगी है कि देर से ही सही , लेकिन “न्याय” होकर रहेगा |