छत्तीसगढ़ में हाल ही मे गठित “फायर सर्विस विंग” को लेकर नया खुलासा हुआ है | मामला फायर सर्विस विंग की “कार्यप्रणाली” से जुड़ा हुआ है | बताया जाता है कि इस फायर सर्विस मुख्यालय में बगैर “लिये-दिये ” कोई भी फ़ाइल इधर से उधर नहीं होती | भले ही वो विधिवत दस्तावेजों से संलग्न हो | आवेदक चाहे कितना भी “जोर” लगा दे, लेकिन नीचे से लेकर ऊपर तक उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है | तमाम दस्तावेजो के पूर्ण होने और वैधानिक प्रक्रिया के तहत आवेदनों पर एक निश्चित समय सीमा के भीतर विचार होकर आवेदकों को अभी तक लाइसेंस मिल जाया करता था, लेकिन फायर विंग के गठन के बाद किसी भी प्रकार के लाइसेंस अथवा अनुज्ञप्ति पाने के लिए आवेदकों को मुख्यालय के कई चक्कर काटने पड़ रहे है | एक जानकारी के मुताबिक फायर सर्विस विंग में आवेदनों का भरमार लग गया है | लेकिन आवेदकों को कब लाईसेंस जारी होगा, इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी जाती |

पीड़ितों के मुताबिक “फायर सर्विस विंग” की कार्यप्रणाली इस तरह की हो गयी है कि बगैर “नगद नारायण ” के कोई कार्य ही नहीं होता | यहाँ तक कि पीड़ितों की शिकायतों के बावजूद आलाधिकारियों के भी कानो में ” जूं ” तक नहीं रेंगती | पीड़ितों ने फायर सर्विस विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर सवालियां निशान लगाया है | उनका खुला आरोप है कि इस विभाग के गठन होने के पूर्व जो कार्य “25 हजार” रूपये में होता था , अब उसके लिए “एक लाख” से ज्यादा की रकम खर्च करनी पड़ रही है | फायर सर्विस मुख्यालय के बाहर अपनी “आपबीती” सुनाते हुए कई पीड़ितों ने फायर सर्विस विभाग में तैनात अमले की कार्यप्रणाली को कटघरे में ला खड़ा किया है | उन्होंने आरोप लगाया कि लाइसेंस के लिए पहले आवेदकों की “जेब” नहीं कटती थी | विभाग के तयशुदा “मापदंड” पूरा करने के बाद उन्हें समय पर लाइसेंस मुहैया हो जाया करता था | लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल चूके है | अफसर, उन्ही आवेदनों पर विचार करते है, जिसके लिए “आवेदक” मुंह मांगी “रिश्वत” देने को तैयार होता है | पीड़ितों ने फायर विंग में तैनात उन अफसरों का नाम भी गिनाया, जिनके जरिये अवैध उगाही की जा रही है |

मध्यप्रदेश की तर्ज पर, हाल ही में, छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में फायर विंग की स्थापना की गयी है | इस विंग में “डीजी” स्तर के अफसर की तैनाती भी की गयी है | ताकि इस नए विंग का काम काज पारदर्शितापूर्ण तरीके से संचालित हो सके | लेकिन इस विंग में कभी टेबल के “नीचे” से तो कभी टेबल के “ऊपर” से जिस तरह से मुँह मांगी रिश्वत मांगी जा रही है, उससे “सरकार” की “मंशा” पर पानी फिर रहा है | ” न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ” ने पीड़ितों के आरोपों को लेकर डीजी फायर सर्विस से बातचीत करनी चाही | लेकिन उनका मोबाइल ” स्विच ऑफ ” मिला |
