आप जानकर हैरत में पड़ जायेंगे कि सोशल डिस्टेंसिंग न हो तो एक मरीज 30 दिन में 406 लोगों को कर देगा बीमार , केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतीयों को किया आगाह , लॉक डाउन का करे पालन 

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दिल्ली वेब डेस्क / हम तो डूबे सनम तुम्हे भी ले डूबेंगे , ये डॉयलग  आपने गाहे बगाहे सुना होगा | लेकिन यह इन दिनों हकीकत में तब्दील हो रहा है |  एक संक्रमित शख्स जाने अनजाने कई स्वास्थ्य लोगों को संक्रमित बना रहा है | देश में कोरोना से संक्रमित ज्यादातर मरीज ऐसे है , जिन्होंने ना तो विदेश यात्राएं की और ना ही उनके परिजन संक्रमित रहे | ऐसे लोगो को जाने अनजाने में उन लोगों ने संक्रमित कर दिया जो पहले से ही संक्रमित थे | ना तो उन्होंने जांच कराई थी और ना ही संक्रमण के लक्षण दिखने के बाद अस्पताल जाना मुनसिब समझा | नतीजतन कोरोना संक्रमितों की चेन बनने लगी | 

कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से लड़ाई में चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ाने पर कोई फैसला तो अभी नहीं हुआ है. मगर सरकार ने आंकड़ों के सहारे सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन की अहमयित पर आईना ज़रूर दिखाने की कोशिश जरूर की है | सूचना साझा करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि क़ई अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि कोविड19 बीमारी से बचाव में सोशल डिस्टेंसिंग एक बहुत कारगर उपाय है | कोविड19 वायरस की संक्रमण क्षमता पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का आकलन है कि इससे संक्रमित व्यक्ति 1.5 से 4 लोगों को संक्रमण दे सकता है | 


ऐसे में एक ताजा आकलन का हवाला देते हुए अग्रवाल ने कहा कि यदि संक्रमण देने की औसत क्षमता 2.5 मानी जाए तो एक व्यक्ति 30 दिनों में 406 लोगों को यह बीमारी दे सकता है. वहीं यदि लॉकडाउन जैसे उपायों से सोशल एक्सपोजर या मिलने-जुलने के अवसर 75 फीसद तक कम कर दें तो संक्रमित व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति की संक्रमण देने का आंकड़ा केवल 2.5 ही आता है | 

हालांकि 14 अप्रैल तक लगाए गए देश व्यापी लॉकडाउन की अवधि आगे बढ़ाए जाने या उसमें बदलावों पर केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है | इस बीच तेलंगाना समेत क़ई राज्यों ने कोविड19 महामारी से उपजे हालात को देखते हुए लॉकडाउन को आगे बढाने पर विचार किया जाए |