
मथुरा : – भगवान श्री कृष्ण की नगरी में यमुना ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। सैकड़ो सालों बाद एक बार फिर मथुरा -वृन्दावन में चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है। भगवान श्री कृष्ण और उनकी लीला से जुड़े तमाम स्थलों में पानी का सैलाब नजर आता है। प्रसिद्ध गोवर्धन पर्वत भी जलमग्न है। सिर्फ साधु -संत ही नहीं आम भक्त भी हैरत में है, उन्होंने जीते जी कभी यमुना नदी का यह रूप नहीं देखा था। शास्त्रों और बुजुर्गो से यमुना के रौद्र रूप की चर्चा जिन लोगो ने देखी सुनी थी, वही नजारा इन दिनों प्रकृति दोहरा रही है। बीते 24 घंटे में यमुना का जलस्तर 166.40 मीटर से 16 सेंटीमीटर अधिक दर्ज किया गया है, जोकि खतरे के निशान 166 मीटर से 56 सेंटीमीटर अधिक है। अभी जलस्तर में और बढ़ोत्तरी दर्ज की जा सकती है। इसको लेकर हाई अलर्ट है। जबकि शहर से लेकर गाँव तक दर्जनों इलाक़े टापू में तब्दील हो गए है।

पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश होने से यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे जिले में करीब एक दर्जन गांव टापू बन गए हैं, जबकि मथुरा-वृंदावन में यमुना से सटी दर्जनों कॉलोनियों में चार-चार फीट तक पानी भर गया है। कुछ गांवों की देहरी तक भी पानी पहुंच गया है। प्रशासन ने यमुना जलस्तर को लेकर शुक्रवार और शनिवार को हाई अलर्ट जारी किया है और बृहस्पतिवार रात से और जलस्तर बढ़ने की आशंका जताई है। डीएम समेत आला अधिकारी लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील भी की है। अब तक करीब 1500 विस्थापितों को राहत शिविरों में भेजा जा चुका है। नौहझील, मांट, छाता समेत यमुना से सटे अन्य क्षेत्रों के 23 गांव बाढ़ प्रभावित हैं। इनमें से 13 गांव ऐसे हैं, जो पूरी तरह यमुना के पानी की चपेट में हैं। इनमें सबसे अधिक नौहझील क्षेत्र से करीब नौ गांव शामिल हैं। इन्हीं क्षेत्रों के कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां शुक्रवार और शनिवार की रात को पानी घुसने की आशंका जताई जा रही है।

मथुरा-वृंदावन यमुना खादर का भी यही हाल है। दर्जनों कॉलोनियां जलमग्न हो चुकी हैं, तो कई कॉलोनियों में धीरे-धीरे पानी घुस रहा है। बीते दिनों हथिनीकुंड से 3.29 लाख क्यूसेक छोड़े गए पानी की वजह से मथुरा में बाढ़ से हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं। वृंदावन में कालिंदी ने लोगों की नींद उड़ा रखी है। यमुना के बढ़ते कदमों से लोग चिंतित हैं। तेज गति से पंख फैलाती यमुना नदी घाटों से निकलकर कॉलोनियों और सड़कों पर नजर आ रही है। कई घाटों को सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया। वहां पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, ताकि कोई हादसा नहीं हो जाए। अब तक बाढ़ से प्रभावित दर्जनों कॉलोनियों से डेढ़ हजार से अधिक लोगों को नावों के जरिए सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया। वहीं पशुओं को सुरक्षित आसरा दिया है। वृंदावन में यमुना के बढ़ते जलस्तर ने घाटों, कॉलोनियों और संकरी गलियों को जलमग्न कर दिया है। निचले इलाकों में हालात बेहद चिंताजनक हैं। प्रशासन ने कई घाटों पर बैरिकेडिंग की है। पीएसी की तैनाती के साथ राहत एवं बचाव कार्य तेज दिया गया है। पहले तो केसी घाट को बंद किया गया था, लेकिन अब देवराह बाबा घाट को भी कर दिया है। जगन्नाथ घाट और कालिदह मार्ग में सड़कें यमुना के पानी से लबालब हो रही हैं। यहां भी प्रशासन ने बैरियर लगा दिए हैं।

वहीं दो दर्जन कॉलोनियों को बुरा हाल हो रहा है। भक्ति विहार, घनश्याम वाटिका, श्रीजी वाटिका, टटिया स्थान की गौशाला, श्याम नगर, केशव नगर, अक्रूर धाम, मोहिनी नगर आदि क्षेत्रों की हालत खराब हो रहे हैं। पिछले दो दिनों में नावों की मदद से लगभग 1500 लोगों को उनके जलमग्न घरों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। कई घरों में पानी घुस चुका है, लोग छतों पर शरण लिए हुए हैं। वहीं शहर के भीतर की सड़कों पर नावें चल रही हैं, मानो वृंदावन ‘जल-नगरी’ में बदल गया हो। बीते 24 घंटे में यमुना का जलस्तर 166.40 मीटर से 16 सेंटीमीटर अधिक दर्ज किया गया है, जोकि खतरे के निशान 166 मीटर से 56 सेंटीमीटर अधिक है। सिंचाई विभाग अपर खंड एक्सईएन नवीन कुमार ने बताया कि बृहस्पतिवार शाम चार बजे हथिनीकुंड से 1.32 लाख क्यूसेक और ओखला से 2.44 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जबकि गोकुल बैराज से 1.11 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। इधर, प्रशासन राहत और बचाव के कार्य में जोर – शोर से जुटा है। डीएम चंद्रप्रकाश सिंह लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कई क्षेत्रों का हाला जाना। एडीएम एफआर डॉ. पंकज कुमार वर्मा ने बताया कि जिले में कुल 23 गांव बाढ़ प्रभावित हैं। इनमें दो गांव के तो संपर्क मार्ग भी बाधित हैं। वहीं करीब छह गांव ऐसे हैं, जिनकी सिर्फ फसल बर्बाद हुई, लेकिन लोग सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावितों के लिए कई क्षेत्रों में 39 बाढ़ चौकियां बनाई गईं हैं। प्रत्येक बाढ़ चौकी पर क्षेत्रीय एसडीएम निगरानी कर रहे हैं और लेखपाल एवं नायब तहसीलदार को क्षेत्रों में लगातार भ्रमण करने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रशासन की तर्ज पर जनप्रतिनिधि भी सड़को पर नजर आ रहे है। विधायक राजेश चौधरी ने बृहस्पतिवार को क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। विधायक ने नाव की जरिये डांगोली, नगला सुदामा, जहांगीरपुर, बेगमपुर में बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया। उन्होंने यमुना किनारे स्थित देवराहा बाबा आश्रम में साधु संतों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनी। विधायक ने कहा की जो भी गांव बाढ़ प्रभावित हैं वहां ग्रामीणों की आवश्यकता की वस्तुएं प्रशासन की मदद से पहुंचायी जा रही हैं। देवराह आश्रम के बड़े महाराज देवदास ने कहा की आज तक कोई भी विधायक बाढ़ में फंसे लोगों से बात करने के लिए नहीं आया। एसडीएम रितु सिरोही ने बताया की बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। इस मौके पर जसवंत सिंह, लोकेश चौधरी आदि मौजूद रहे।