
एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी X ने कर्नाटक हाईकोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ अपील करने का ऐलान किया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के सहयोग पोर्टल को वैध ठहराया, जो पुलिस और सरकारी एजेंसियों को ऑनलाइन कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने की सुविधा देता है। X का कहना है कि यह सिस्टम बिना न्यायिक जांच के सेंसरशिप को बढ़ावा देगा और यूजर्स के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 24 सितंबर 2025 को X की याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि सोशल मीडिया को ‘अराजक स्वतंत्रता’ की स्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता। सहयोग पोर्टल को ‘सार्वजनिक हित का साधन’ करार देते हुए कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 79(3)(ब) के तहत साइबर अपराध से निपटने में मदद बताया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी फ्री स्पीच मानक भारत में सीधे लागू नहीं होते।
सहयोग पोर्टल 2024 में लॉन्च किया गया था और यह सरकारी नोटिसों को ऑटोमेट करने का काम करता है। RTI डेटा के अनुसार अक्टूबर 2024 से अप्रैल 2025 तक 130 से अधिक नोटिस प्लेटफॉर्म्स को भेजे गए, जिनमें गूगल और यूट्यूब प्रमुख हैं। X ने इसे सेंसरशिप पोर्टल बताया क्योंकि यह श्रेया सिंघल जजमेंट (2015) में निर्धारित सेफगार्ड्स को बायपास करता है।
X ने स्टेटमेंट में कहा, “यह आदेश चिंताजनक है, जो लाखों पुलिस अधिकारियों को मनमाने टेकडाउन आदेश जारी करने की शक्ति देता है। हम फ्री एक्सप्रेशन की रक्षा के लिए अपील करेंगे।” मार्च 2025 में X ने सहयोग पोर्टल को चुनौती दी थी और दावा किया था कि यह आईटी एक्ट का उल्लंघन करता है।