Thursday, September 19, 2024
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World Ozone Day 2024: दिल्ली-NCR में रात के वक्त ओजोन का लेवल बढ़ा, प्रदूषण से हेल्दी लोगों को भी है खतरा

World Ozone Day: ओजोन ऐसी गैस है जो भले ही बहुत कम मात्रा में पाई जाती हो, लेकिन पृथ्‍वी पर जीवन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है. यह तीखी गंध वाली बेहद विषैली गैस है. लेकिन इसी ओजोन गैस की एक परत जो हमारे वायुमंडल में मौजूद है, हमें सूर्य की घातक अल्ट्रावायलेट किरणों के रेडिएशन से बचाती है. विश्व ओजोन दिवस (16 सितंबर) हमें याद दिलाता है कि ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन के लिए कितनी जरूरी है. यह दिन हमें भावी पीढ़ियों के लिए इसे सुरक्षित रखने के लिए जलवायु से जुड़े कदम उठाने को प्रेरित करता है.

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 13 सितंबर को नई दिल्ली में 30वें विश्व ओजोन दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था. विश्व ओजोन दिवस 2024 का थीम है ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाना’. भारत, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में पार्टी है. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसका मकसद ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को कम करके ओजोन परत की रक्षा करना है.

अधिकांश ओजोन, ओजोन परत में ही पाई जाती है लेकिन जमीन के पास इसकी मौजूदगी जीवन के लिए घातक है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली-NCR में ग्राउंड-लेवल ओजोन खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है. स्टडी के मुताबिक, 1 जनवरी से 18 जुलाई के बीच – 200 दिनों के दौरान – दिल्ली-एनसीआर में ग्राउंड-लेवल ओजोन की अधिकता के 176 दिन दर्ज किए गए.

रिसर्च के अनुसार, रात के समय हवा में ग्राउंड-लेवल ओजोन बहुत कम होनी चाहिए. जब किसी भी जगह पर ओजोन की प्रति घंटे सांद्रता रात 10 बजे से सुबह 2 बजे के बीच 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक हो जाती है, तो रिसर्च में इसे ओजोन की अधिकता माना गया. CSE ने कहा कि वैसे तो रात में जमीन पर ओजोन का स्तर कायदे से नगण्य हो जाना चाहिए, लेकिन 10 शहरों में दुर्लभ घटना देखने को मिल रही है. वहां पर ओजोन लेवल्स देखे गए. दिल्ली-एनसीआर में इस गर्मी में 109 दिनों में से 103 दिनों में ओजोन का स्तर अधिक दर्ज किया गया.

ग्राउंड-लेवल ओजोन सीधे उत्सर्जित नहीं होती, बल्कि वाहनों, पावर प्लांट्स, फैक्ट्रियों और अन्य दहन स्रोतों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) के बीच एक जटिल अंतःक्रिया से उत्पन्न होती है. यह इसे अत्यधिक वाष्पशील गैस बनाता है जिसका एक घंटे और आठ घंटे का मानक है, जबकि PM (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 का 24 घंटे का मानक है.

CSE की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा, ‘ग्राउंड-लेवल ओजोन बेहद प्रतिक्रियाशील गैस है, जिसके गंभीर स्वास्थ्‍य परिणाम हो सकते हैं. जिन्हें सांस संबंधी बीमारियां हैं जैसे अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) से पीड़ित लोगों को गंभीर खतरा है. प्रीमैच्योर लंग्स वाले बच्चों और बुजुर्गों को भी ओजोन से खतरा है. इससे एयरवे में सूजन और नुकसान हो सकता है, फेफड़े संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं. यह गैस अस्थमा, एम्फीसीमा और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस को बढ़ा सकती है. ओजोन प्रदूषण के संपर्क में आने पर, स्वस्थ व्यक्तियों को भी सांस लेने में कठिनाई हो सकती है.

Bureau Report
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PUBLISHER/DIRECTOR/EDITOR – SUNIL NAMDEO, ADDERESS – NEAR SHWETA SCHOOL,NEW RAJENDRA NAGAR , RAIPUR CG 492001 , MOBILE NO.- 9993938461
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