
आज (31 मई) ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ यानी ‘वर्ल्ड नो टोबैको डे’ है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, तंबाकू के सेवन से पूरी दुनिया में हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है, इसलिए, एंटी-टोबैको डे डब्लूएचओ द्वारा तंबाकू सेवन के विनाशकारी, जानलेवा प्रभावों पर ज़ोर देने के लिए शुरू किया गया सालाना आयोजन है. तंबाकू का सीधा उपयोग (Active Smoking) या किसी दूसरे द्वारा तंबाकू के सेवन के दौरान उस वातावरण में रहना और (Passive Smoking) या फिर उसके संपर्क में आना, दोनों ही स्थितियां लंग्स से जुड़ी कई बीमारियों को न्योता देती हैं. साधारण भाषा में इसे ऐसे समझा जा सकता है, यदि कोई व्यक्ति स्मोकिंग (धूम्रपान) करता है, उसे तो इससे नुकसान होना ही है, लेकिन उसके साथ खड़ा व्यक्ति भी उस धुएं को अपनी सांस के साथ शरीर में ले रहा होता है. उसे भी इससे उतना ही नुकसान होता है. इसे ही पैसिव स्मोकिंग या सेकेंड हैंड स्मोकिंग कहते हैं. इससे कई बीमारियों के होने का खतरा रहता है.
पैसिव स्मोकंग या सेकेंड हैंड स्मोकिंग जैसी स्थितियां लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Lower Respiratory Tract Infection) और फेफड़ों से जुड़ी पांच बड़ी बीमारियों जैसे, अस्थमा, टीबी, निमोनिया और सीओपीडी के खतरे को बढ़ाती है. इसलिए हमें पैसिव स्मोकिंग को हल्के में नहीं लेना चाहिए. चलिए पता करते हैं पैसिव स्मोकिंग से हमारी सेहत को और क्या खतरे हो सकते हैं.
बच्चों में सेकेंड हैंड स्मोकिंग के खतरे
– पैसिव स्मोकिंग/ सेकेंड हैंड स्मोकिंग बच्चों में रेस्पिरेटरी डिजीज जैसे, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया की संभावना को बढ़ाता है. एक बच्चा जो अपने जीवन के पहले 18 महीने एक्टिव तंबाकू वाले वातावरण में बिताता है, उसे सर्दी, खांसी, घरघराहट, सांस फूलने, अस्थमा के दौरे, ग्लू ईयर, लो इम्युनिटी के साथ-साथ एक्यूट रेस्पिरेटरी डिसऑडर सिंड्रोम का खतरा होता है.
– सेकेंड हैंड स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग के प्रभाव/वातावरण में रहने वाले बच्चों के फेफड़े पूरी क्षमता तक विकसित नहीं होते हैं.
– मेनिंगोकोकल रोग (meningococcal disease) का खतरा अधिक होता है.
– ये शिशुओं में अचानक अप्रत्याशित मौत का कारण बनता है.
वयस्कों में पैसिव स्मोकिंग के खतरे
– स्मोकर के एक साथ घुएं के वातावरण वाले घर में रहने वाले साथियों (नॉन स्मोकर) को भी कोरोनरी हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बना रहता है.
– पैसिव स्मोकिंग ब्लड को अधिक चिपचिपा बनाता है और थक्के और दिल के दौरे की संभावना को बढ़ाता है.
– पैसिव स्मोकंग ब्लड वेसल में ब्लॉकेज को बढ़ती है, इनमें वसायुक्त पदार्थ या प्लाक बनाती है. केवल 30 मिनट के लिए सेकेंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आने से वेसल्स में अनियमित ब्लड फ्लो होता है. लंबे समय तक एक्सपोजर एथेरोस्क्लेरोसिस की ओर ले जाता है.
– पैसिव स्मोकिंग ब्लड में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन के लेवल को कम करता है.
– नेजल साइनस कैंसर, गले, स्तन कैंसर, फेफड़ों के कार्य में कमी, और अन्य श्वसन रोगों (respiratory diseases) का खतरा बढ़ जाता है.