रायपुर : – छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय सिर्फ नौकरी में कार्यरत आईपीएस अधिकारियों के कारनामों से मुश्किल में नहीं है, बल्कि रिटायर हो चुके कई आईपीएस अधिकारियो की कार गुजारियों से भी पुलिस की बेचैनी बढ़ी हुई है। ताजा मामला पूर्व ADG मुकेश गुप्ता के एक बार फिर रायता फ़ैलाने से जुड़ा बताया जाता है। जानकारी के मुताबिक राज्य में बीजेपी सरकार की ताजपोशी के बाद रिटायर और विवादित छवि के मुकेश गुप्ता ने एक बार फिर आसमान सिर में उठा लिया है। रायपुर की एक पॉश कॉलोनी में सपनो का महल खड़ा करने में जुटे पूर्व ADG ने अचानक दो कारीगरों की पिटाई कर दी है। लात – घूंसो से पीटने के बाद पीड़ितों ने शहर के तेलीबांधा थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराई है। हालांकि FIR दर्ज किये जाने की कोई सूचना सामने नहीं आई है। जबकि थाने के सम्बंधित अधिकारियों ने प्रकरण की विवेचना का हवाला देते हुए अभी कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। उधर पीड़ितों के समर्थन में कई श्रमिक संगठनों ने सड़क पर उतरने का एलान किया है।

छत्तीसगढ़ में वर्तमान और पूर्व कतिपय आईपीएस अधिकारियों की कथनी और करनी को लेकर बवाल मचा है इस बीच रायपुर के तेलीबांधा थाने में दो पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई है। उनके मुताबिक राजधानी रायपुर स्थित एक पॉश कॉलोनी में निर्माणाधीन ताजमहल नुमा आलीशान बंगले में वे प्लंबिंग कार्य करते है, मूलतः छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने वाले इन मजदूरों ने पूर्व पुलिस अधिकारी पर गाली-गलौज और मारपीट करने के गंभीर आरोप लगाए है। पीड़ित – मजदूरों ने बताया कि काम के दौरान कुछ तकनीकी दिक्कतों से जब पूर्व पुलिस अधिकारी को अवगत कराया गया तो वे अचानक भड़क गए और उनके साथ अभद्र व्यवहार एवं मारपीट तक करने लगे। उनकी जूतों से भी पिटाई की गई। पीड़ित प्लंबर हरीश पटेल ने पुलिस को अपनी आपबीती सुनाई है। उसके साथ वो प्रत्यक्षदर्शी भी तेलीबांधा थाने पहुंचे थे जिन्होंने पूरा घटनाक्रम करीब से देखा था। चूँकि मामला पूर्व पुलिस अधिकारी का है, लिहाजा शिकायत पर मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

छत्तीसगढ़ में पुलिस और उसके अधिकारियो का आतंक कोई नई बात नहीं है। इसके पूर्व भी कई पीड़ित लोग पुलिस के आला अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की मांग को लेकर चपल्ले तक घिस चुके है, लेकिन प्रभावशील अफसरों के घुटनों में आते तक क़ानूनी कार्यवाही अपना दम तोड़ देती है। इस प्रकरण में भी पीड़ितों को हमलावर के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही के आसार सीमित नजर आ रहे है। लोगों की निगाहें इस ओर टिकी हैं कि गरीब मजदूरों के साथ मारपीट करने के मामले की समय पर सख्त कार्रवाई होती है या फिर मामला रफा – दफा कर दिया जाता है। छत्तीसगढ़ क्रांति सेना समेत स्थानीय श्रमिक संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए न्याय की मांग की है।

राजनीतिक गलियारों से लेकर प्रशासनिक हलकों तक पूर्व पुलिस अधिकारी के प्रकरण को लेकर माथापच्ची का दौर देखा जा रहा है। रायपुर में पूर्व पुलिस अधिकारी ने MGM अस्पताल नामक बड़ा कारोबार स्थापित किया गया है। लेकिन “अगस्त सिल्वर मून महल” के निर्माण को लेकर अटकलों का बाजार गर्म बताया जाता है। निर्माणाधीन ताजमहल में शाहजहां की तर्ज पर मजदूरों पर जुल्म ढहाए जा रहे है, यदि प्रताड़ना नहीं रोको गई तो जानकार तस्दीक करते है, कि हालात मजदूरों के हाथ पैर काटे जाने तक के निर्मित हो सकते है ..? पीड़ितों के मुताबिक , विशेष रासायनिक क्रियाओं के बाद साहब खुद को शाहजहां समझने लगते है और मुमताज समझ कर मजदूरों पर अपनी भड़ास निकालने से बाज़ नहीं आते है। गाहे – बगाहे मजदूरों के हाथ काटने की धमकी भी दी जाती है । हालांकि इन आरोपों को लेकर पूर्व पुलिस अधिकारी मुकेश गुप्ता की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है ।

छत्तीसगढ़ में बीजेपी की पूर्व सरकार की रवानगी के पीछे तत्कालीन ADG मुकेश गुप्ता की कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराया जाता है। तस्दीक की जाती है कि उनके क्रिया कलापों से पुलिस मुख्यालय में राजनीति की नीव रखी गई थी। नतीजतन कई अधिकारियों को कामकाज़ और ट्रांसफर – पोस्टिंग के मामले में असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था। पूर्व पुलिस अधिकारी ने दर्जनों ऐसे गैरकानूनी कार्यो को अंजाम दिया था, जिसका खामियाजा तत्कालीन बीजेपी सरकार को भुगतना पड़ा था। वर्ष 2018 में सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार ने मुकेश गुप्ता को वर्ष 2019 में निलंबित कर पुलिस मुख्यालय से चलता कर दिया था। हालांकि कुछ महीनों में ही केंद्र सरकार ने 1998 बैच के आईपीएस मुकेश गुप्ता ( IPS Mukesh Gupta News ) का सस्पेंशन रद्द कर दिया था। उनके रिटायरमेंट से ठीक पखवाड़े भर पहले गृह मंत्रालय ने उनका आदेश जारी किया था। लेकिन मुकेश गुप्ता को दोबारा पुलिस मुख्यालय में कोई तरजीह नहीं मिली थी। फ़िलहाल, श्रमिकों के साथ मारपीट का मामला पूर्व पुलिस अधिकारी के रसूख से जोड़ कर देखा जा रहा है।
