मुंबई:- एक सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि कोरोना काल में अस्तित्व में आया वर्क फ्राम होम इतना लोकप्रिय हो गया है कि 82 प्रतिशत लोगों को घर से काम करना अच्छा लगने लगा है. कोरोना के चलते वर्क फोर्म होम की हुई शुरुआत अब नया चलन बनता जा रहा है. इस शोध में इसका खुलासा होने पर नियोक्ता हैरत में है. उनकी प्रतिक्रिया है कि अच्छा है, उन्हें तो काम से मतलब. हालांकि कई ने इसे जायज नहीं ठहराया है. बहरहाल शोध बड़ा दिलचस्प है.
दरअसल वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण कामकाजी जीवन में आए अभूतपूर्व परिवर्तनों के बीच एक अध्ययन बताता है कि अब लोग दफ्तर जाने के बजाए घर पर रहते हुए ही काम करने को प्राथमिकता दे रहे हैं. रोजगार संबंधी वेबसाइट साइकी के ‘टेक टैलेंट आउटलुक’ रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के कारण पहले तो कर्मचारियों पर दूर रहकर दफ्तर का काम करने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अब दो साल बाद ‘वर्क फ्रॉम होम’ ‘नया चलन’ बन गया है. नई आदतें लोगों की जिंदगी में अपनी जगह बना चुकी हैं. इसने एक दिनचर्या का रूप ले लिया है. इस अध्ययन में शामिल लोगों में से 82 फीसदी दफ्तर नहीं जाना चाहते. वे घर से ही काम करना चाहते हैं.
टैलेंट टेक आउटलुक 2022 में चार महाद्वीपों में 100 से अधिक कार्यकारी अधिकारियों एवं मानव संसाधन अधिकारियों के बीच शोध किया गया. इससे प्राप्त प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया गया है. बताया जाता है कि यह सर्वेक्षण सोशल मीडिया, साक्षात्कार और पैनल चर्चा के जरिये किया गया. अध्ययन में शामिल 64 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि घर से काम करने पर उनकी उत्पादन क्षमता अधिक रहती है और तनाव भी कम रहता है. इस बीच 80 फीसदी से अधिक मानव संसाधन प्रबंधकों ने कहा कि पूर्णकालिक रूप से दफ्तर जाकर काम करने वाले कर्मचारी खोजना अब उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है. वहीं 67 फीसदी से अधिक कंपनियों ने भी कहा कि दफ्तर जाकर काम करने वाले लोग खोजना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है.
कोरोना काल में बदले हुए माहौल में घर से काम करना अब विकल्प न रहकर नया चलन बन गया है. प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाले लोग अपने नियोक्ता से इसकी उम्मीद भी रखते हैं. जो नियोक्ता इस व्यवस्था को अपनाने को तैयार नहीं हैं उन्हें अच्छी प्रतिभाओं को साथ जोड़ने और पहले से काम कर रहे लोगों को अपने साथ बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. साइकी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी करूणजीत कुमार धीर ने कहा कि, ‘दूरस्थ काम की दुनिया में स्वागत है.’ अध्ययन में कहा गया कि दूरस्थ काम करते हुए दो साल बीत जाने पर एक नए तरह का लचीलापन मिला है. यह कर्मचारियों और नियोक्ता दोनों के ही लिए लाभदायक है.