छत्तीसगढ़ में कुकुरमुत्तों की तरह उग आये कई मनी लॉन्ड्रिंग सेंटर ब्यूटी पार्लर की आड़ में धन शोधन का सुनियोजित कारोबार कर रहे है। उनकी मोटी कमाई का जरिया जनता की सेवा के साथ सरकारी विभागों से लूटे गए जन धन को ठिकाने लगाने का है। कई अफसरों की काली कमाई ऐसे ही पार्लर में सज-धज कर ब्यूटीफूल बन रही है। दूसरी ओर जरुरतमंदो से उनका परम्परागत व्यवसाय छिन जाने से नाई समाज की आर्थिक कमर ही टूट गई है, अपना खानदानी धंधा बचाने की सरकार से गुहार लगा रहा यह समुदाय “ब्लैक मनी” के चम-चमाते पार्लर को देख कर हैरान है, नौ जवान सरकार की योजनाओं की सालों से राह तक रहे है, मंजिल कोसो दूर है, वहीं अखिल भारतीय सेवाओं के कई अफसरों के सरकारी ठिकाने तो जस की तस है, लेकिन उनकी क्रांक्रीट की कई मंजिले तन रही है, गगनचुम्बी इमारतों में लटके ब्यूटी पार्लर के बोर्ड केंद्रीय एजेंसियो को मुँह चिढ़ा रहे है।
सूत्र बता रहे है कि रायपुर में ED का दफ्तर अब पूरी तरह से पुरुष संदेहियों और आरोपियों से मुक्त करा लिया गया है। अबकी बारी “राजदुलारी” और उसकी मायावी शक्तियों की है, नई मण्डली यहां दस्तक देने वाली है, बस शुभ मुहूर्त का इंतजार किया जा रहा है। बताते है कि अनर्गल आरोपों से बचने के लिए एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क है, पूछताछ वाले गलियारों को पुरुषों की गंध-सुगंध तक से मुक्त कर दिया गया है। उनके समस्त प्रकार के संक्रमण से भी मायावी टोली को महफूज रखने के लिए कई कीटनाशकों का भरपूर छिड़काव किया गया है। पूछताछ के लिए नौ-जवान युवती, अधिकारी तैनात किये गए है। बताते है कि तेज तर्रार महिला अफसरों की टीम अपने फन में माहिर है। कई पेशेवर महिला गैंगेस्टरो की बाल की खाल उधेड़ने वाली नई टीम के रायपुर दस्तक देते ही ED का गलियारा फिर सुर्खियां बटोर रहा है।
रायपुर: छत्तीसगढ़ में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए कई ब्यूटी पार्लर जहां जरुरत मंदो का चेहरा निखार रहे वही सरकार की बखियां उधेड़ने में पीछे नहीं है, ताजा मामला उस ब्यूटी पार्लर का है जिसकी संचालन का कई चैन नान घोटाले और आबकारी घोटाले की रकम को ठिकाने लगाने के मनसूबो से जुडी हुई बताई जाती है जानकारी के मुताबिक ब्यूटी पार्लर की संचालिका मीनाक्षी टुटेजा प्रवर्तन निर्देशालय की रडार पर है, उनसे पूछताछ जारी है।
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उधर, रायपुर सेंट्रल जेल में मौज मस्ती कर रही अभियुक्त सौम्या चौरसिया से हुई पूछताछ की तमाम अपडेट खंगाली जा रही है। सूत्र बताते है कि रायगढ़ की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू और उसकी माया का सरकारी गवाह बनना मुश्किल है। बताते है कि लबरा राजा और उसकी रानी की तगड़ी घेराबंदी क़ानूनी दायरे में है, उसके विधि संगत दस्तावेजी प्रमाणों की लंबी फेहरिस्त नई जांच टीम को सौप दी गई है।
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मुख्यमंत्री बघेल के प्रभार वाले वित्त विभाग की कई रिपोर्ट का हिसाब-किताब करने के बाद महिला IAS अधिकारी और वित्त सचिव अलरमेलमंगई डी को भी मुख्यालय का रुख करने के लिए कहा गया है।
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आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी की पत्नी मंजुला त्रिपाठी, IAS समीर विश्नोई की पत्नी प्रीति विश्नोई, कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी के कई करोड़पति-पत्नी एवं अन्य महिला सदस्यों के अलावा माता श्रीमती कैलाश डुग्गु जी तिवारी से भी पूछताछ के आसार बढ़ गए है।
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सूर्यकान्त से सम्बद्ध महिला IAS रानू साहू, मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया से भी नए तथ्यों के आधार पर पूछताछ की सम्भावना जताई जा रही है। सौम्या के अलावा उनकी माँ शांति देवी और कोरबा और सिंगापुर में निवासरत माताओं-बहनों को भी अपनी माली हालत के दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए गया है।
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डॉक्टर दारुवाला की बबीता, अर्चना, माया समेत आबकारी विभाग की लगभग आधा दर्जन महिला अधिकारियो से भी गहन पूछताछ की तैयारी जारी बताई जा रही है। सूत्रों पर भरोसा करें तो अबकी बार महिला शक्ति का वो रेला नजर आ सकता है, जो लंबे समय से सुर्खियां बटोर रहा था। उनकी आर्थिक उन्नति के नए आयाम एजेंसियों की फाइल में दर्ज बताये जाते है।
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नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा के समय पूर्व रिटायरमेंट के मंसूबो को देखते हुए एजेंसियों ने उसकी गतिविधियों पर अपनी निगाहें गढ़ा दी है। सूत्र बताते है कि राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन के लंबी छुट्टियों में चले जाने के उपरांत कोल खनन परिवहन और आबकारी घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ शासन दवारा तमाम आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही किये जाने का मुद्दा मंत्रालय स्तर में जस की तस पड़ा है।
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IT-ED ने दो दर्जन से ज्यादा आरोपियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किये जाने को लेकर छत्तीसगढ़ शासन को पत्र भी सौंपा है। ऐसे अधिकारियो के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का मामला अब प्रभारी मुख्य सचिव सुब्रत साहू के कंधो पर आ गया है।
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दस्यु सुंदरियों में कोई IAS-IPS नहीं है )
बताते है कि प्रभारी मुख्य सचिव ने कार्यभार तो ग्रहण कर लिया है लेकिन तमाम घोटालो के आरोपियों से जुड़ी वैधानिक कार्यवाही की फाइल को ही अपने टेबल से दूर रखने के निर्देश दिए है। ताजा जारी किये गए इन मौखिक निर्देशों को लेकर मंत्रालय में गहमा-गहमी देखी जा रही है।
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नाम न छापने की शर्त पर मंत्रालयीन सूत्र दावा कर रहे है कि प्रभावशील आरोपियों पर कार्यवाही के मामलो को क़ानूनी दांव पेचों के आधार पर लंबित रखने की नींव रखी जा रही है। इसके लिए मुख्य सचिव के वापस आने तक की राह तके जाने का आधार बनाया गया है। उधर यह भी बताया जा रहा है कि लंबी छुट्टी में गए चीफ सेक्रेटरी की मंत्रालय में पुनर्वापसी कब होगी यह अभी तय नहीं है ? उनके मुताबिक प्रभारी चीफ सेक्रेटरी के निर्देश मिलते ही फ़ौरन फाइल उनकी टेबल में रखने के लिए विशेष दस्ता मौजूद है, सिर्फ उन्हें इंतजार फरमान का है।
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छत्तीसगढ़ में एक ओर जहां अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन के नाम पर सेवा का धंधा कर रहे है, वही समस्त श्रोतों से उनकी आय माह दर माह उछाल मार रही है। सेवा के धंधे में अफसर पत्नियों का भी कोई सानी नहीं है, उनकी घर बैठे आय, आय ही आय है, ब्यूटी पार्लर से लेकर धन-शोधन के नए-नए उपक्रम खुल रहे है।
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रियल स्टेट का कारोबार फल-फूल रहा है,इन्ही के ठिकानों में रोज होली और दीपावली हो रही है, वहीं सामाजिक आर्थिक आधार पर अपनी जीविका पर आश्रित नाई समाज के हजारों नौ-जवान बेरोजगार घुम रहे है। उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित कर दिया गया है। ये बेरोजगार नौ-जवान अपने अधिकारों की मांग करने लगे है।
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दस्युराज माधव मल्लाह के साथ (दस्युराज-सुंदरियों में कोई IAS-IPS नहीं है )
नाई समुदाय के पीड़ित बताते है कि पीढ़ी दर पीढ़ी वे लोगों की दाढ़ी-मूंछे और बाल काट कर अपना जीवन यापन करते है। राज्य में सैकड़ो सालों से निवासरत नाई समुदाय के गिने-चुने नौ-जवानों के ही पास सालों की सेवा के बावजूद सिर्फ सड़क छाप पार्लर ही स्थापित हो पाए है, जबकि दूसरी ओर अन्य समुदाय के कारोबारियों ने उनके परमपरागत व्यवसाय पर एक-तरफा कब्ज़ा कर लिया है।
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न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ऐसे ही कई नौ-जवानों से रूबरू हुआ। सुनहरे भविष्य को लेकर उनकी योजनाएं और सपनों पर चर्चा की।
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इस समुदाय के ज्यादातर पीड़ितों का दर्द एक ही था, आधुनिकता की चकाचौंध में उनका समाज आर्थिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी पिछड़ता चला गया। गांव-कस्बों से लेकर महानगरों तक गैर-नाई समाज के ब्यूटी पार्लर खुलते चले गए, आर्थिक दौड़ में सरकारों ने उनकी मदद के मामलो से कन्नी काट ली। पुश्तैनी काम धंधो को बचाने के लिए सरकारी संरक्षण नहीं मिलने से उनका सामाजिक कारोबार गैर-नाई समुदाय के हाथों में चला गया है।
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आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते वे मजबूत कारोबारियों का मुकाबला करने में असमर्थ है। उनकी दलील है कि ब्यूटी पार्लर के कारोबार को उनके समाज की आर्थिक उन्नति के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए।
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पीड़ित नौ-जवान बताते है कि उनके समुदाय से न तो कोई बड़ा नेता और अफसर है और न कोई बड़ा कारोबारी, ऐसे में उनकी सामाजिक और आर्थिक सुध लेने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ठोस कदम उठाने होंगे।
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पीड़ित शासन-प्रशासन से अपनी आर्थिक बदहाली दूर करने की गुहार लगा रहे है। छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओ को उनके घरों तक भी पहुंचाने की राह तकी जा रही है। सड़क किनारे मामूली टपरी,दुकानों और ठीहों में अपने पुस्तैनी कारोबार पर निर्भर रह कर जीवन की गाडी खींच रहे,ये नौजवान बताते है कि रोजमर्रा की दिनचर्या में कई ग्राहक दाढ़ी-मूंछ बनवाने और बाल कटवाने के लिए 70-80 रूपए तक देने में कतराते है,ढेरो सवाल-जवाब करते है,लेकिन ब्यूटी पार्लर में उन्ही सेवाओं का भुगतान हजारो में करते है,जबकि वे भी गुणवत्ता वाली सामग्री इस्तेमाल करते है।
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छत्तीसगढ़ में सिर्फ नाई समुदाय ही नहीं बल्कि दर्जनों और ऐसे आर्थिक रूप से कमजोर जातियां और समुदाय है,जिन्हे सामाजिक और आर्थिक स्तर पर मजबूत बनाए जाने का कोई मास्टर प्लान सरकार के पास नहीं है। राजनैतिक रूप से भी अति पिछड़े ऐसे दर्जनों वर्ग को,सरकारी सरंक्षण और प्रोत्साहन की सख्त जरुरत है।
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राज्य में आरक्षण को लेकर विकासशील समुदाय सक्रिय है,लेकिन राज्य में निवासरत अति पिछड़ों का वोट प्रतिशत भी विकसित पिछड़े समाज की तुलना में कम नहीं आंका जा सकता। ऐसे समुदाय की सामाजिक हिस्सेदारी वाली योजनाए सरकारी पटल में हासिए पर है।
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राज्य में विकसित पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़े समुदाय के सामाजिक और आर्थिक स्तर में लगातार खाई खींचती जा रही है। विकसित समुदाय की राजनैतिक मजबूती का फायदा उसके समुदाय को हासिल हो रहा है,लेकिन अति पिछडो की सामाजिक और राजनैतिक हिस्सेदारी निर्वाचित सरकार की प्राथमिकता सूची में नजर नहीं आती। सामाजिक अध्ययन करने वाले इसकी तस्दीक करते है।
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उनके मुताबिक राज्य में जारी आर्थिक-सामाजिक सर्वे के प्रारंभिक आंकड़े ही चौकाने वाले है। इसमें अति पिछडो और संपन्न पिछडो के बीच खाई लगातार गहरी होती जा रही है। सरकार को इस समुदाय को भी अधिकार सम्पन्न बनाना होगा।
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फिलहाल तो राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारी हो या फिर राज्य प्रशासनिक संवर्ग का छटा हुआ हुनरबाज अमला,ऐसे चुनिंदा लोक सेवको की कार्यप्रणाली किसी “डकैत” की हिंसक वारदात से कम नहीं नजर आ रही है।
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बल्कि चम्बल के बीहड़ो में लूटपाट करने वाले डकैत गिरोह परोपकार के कार्य भी दिल खोलकर करते थे। इसके लिए जनधन का बड़ा हिस्सा जनता को ही समर्पित करने की अनूठी परंपरा थी।
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छत्तीसगढ़ की राजनैतिक और प्रशासनिक नब्ज टटोलने वाले बताते है कि इस प्रदेश के कई जिलों के कांक्रीट के जंगलो में सरकारी शक्ति प्राप्त कई छोटे-बड़े गिरोह पनप रहे है,उनकी कार्यप्रणाली से आदिवासी बाहुल्य यह राज्य नक्सलवाद के साथ-साथ सफेदपोश डकैत गिरोह का दंश भी भोग रहा है। इस बीहड़ में दस्यु निवारण समस्या के लिए IT-ED,IB,CBI,NIA,DRI समेत कई जांच आयोग अपनी-अपनी जद्दो-जहद में जुटे है।
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कांग्रेस के भीतर खानो में पिछडो की असल दास्तान सुना कर युवा नेत्री और नौजवान दिलो की धड़कन अर्चना गौतम ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष उन्होंने पिछडो के समुचित प्रतिनिधित्व का मुद्दा भी छेड़ा था, लेकिन सरकार ने अर्चना की भी एक ना सुनी।
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जनता को यह जानने-पहचानने और समझने में यह कठिनाई हो रही है कि प्रजा तंत्र के आखिर असली डकैत कौन है ?