Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rank-math domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home3/newstoda/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/newstoda/public_html/wp-includes/functions.php:6114) in /home3/newstoda/public_html/wp-content/plugins/tenweb-speed-optimizer/includes/OptimizerMain.php on line 466

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/newstoda/public_html/wp-includes/functions.php:6114) in /home3/newstoda/public_html/wp-content/plugins/tenweb-speed-optimizer/includes/OptimizerMain.php on line 467

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/newstoda/public_html/wp-includes/functions.php:6114) in /home3/newstoda/public_html/wp-content/plugins/tenweb-speed-optimizer/includes/OptimizerMain.php on line 468

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/newstoda/public_html/wp-includes/functions.php:6114) in /home3/newstoda/public_html/wp-content/plugins/tenweb-speed-optimizer/includes/OptimizerMain.php on line 471

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/newstoda/public_html/wp-includes/functions.php:6114) in /home3/newstoda/public_html/wp-content/plugins/tenweb-speed-optimizer/includes/OptimizerMain.php on line 456

Warning: Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home3/newstoda/public_html/wp-includes/functions.php:6114) in /home3/newstoda/public_html/wp-content/plugins/tenweb-speed-optimizer/includes/OptimizerMain.php on line 459
सुपर सीएम के कब्जे से मेरे बच्चों को मुक्त करो कलेक्टर साहब, दाऊ जी, सौरभ के साथ मेरा भी DNA टेस्ट कराओ ? छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के बंगले में जुड़वा बच्चों का हाई प्रोफाइल मामला, महिला बाल विकास विभाग को बच्चे सौंपने की मांग, कलेक्टर को शिकायत... » News Today Chhattisgarh
Site icon News Today Chhattisgarh

सुपर सीएम के कब्जे से मेरे बच्चों को मुक्त करो कलेक्टर साहब, दाऊ जी, सौरभ के साथ मेरा भी DNA टेस्ट कराओ ? छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के बंगले में जुड़वा बच्चों का हाई प्रोफाइल मामला, महिला बाल विकास विभाग को बच्चे सौंपने की मांग, कलेक्टर को शिकायत…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल और उनका कार्यकाल सुर्खियों में हैं। अब भू-पे की भी DNA टेस्ट की मांग की जा रही है। भू-पे के अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया के पति सौरभ का भी DNA टेस्ट कराने की मांग की गई है, ताकि तत्कालीन सुपर सीएम के कब्जे में फल फूल रहे दो जुड़वा बच्चों के नैसर्गिक पिता का पता चल सके। वर्तमान में ये दोनों बच्चे सौम्या और सौरभ के होने का दावा चौरसिया- मोदी दंपत्ति द्वारा किया जा रहा है। जबकि बच्चे अपने असली और जेनेटिक अनुवांशिक माता पिता से दूर हैं।

फिलहाल दोनों बच्चे भिलाई के सूर्या विहार के एक ठिकाने में कैद हैं। उनकी उम्र अब लगभग 4 साल हो चुकी है। जुड़वा बच्चों के जैनेटिक माता – पिता का मामला उलझा हुआ बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि सूर्या विहार से पूर्व मुख्यमंत्री के ठिकाने की दूरी महज 5 किलोमीटर है।”राजपुत्रों” के मालिकाना हक का मामला हाई प्रोफाइल रंग में है।भारत सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से भी मामले की जांच जरूरी बताई जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री कार्यालय से जुडे सरोगेसी के इस मामले को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है।

सूत्र बताते है कि कांग्रेस शासन काल में पीड़ित ने तत्कालीन कलेक्टर से सुपर सीएम सौम्या चौरसिया की शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि सौम्या ने अपने पद और प्रभाव के चलते उनके बच्चे को अपने कब्जे में ले लिया है। मुख्यमंत्री उसके कभी पिता तो कभी संरक्षक के रूप में उन्हे प्रताड़ित कर रहे हैं। इस मामले मे कलेक्टर को की गई शिकायत को ना केवल रफा दफा कर दिया गया था ,बल्कि शिकायत वापस लेने के लिए उसे बुरी तरह से प्रताड़ित भी किया गया था।पुलिस के दबाव में पीड़ित ने अपना मुंह बंद कर लिया था। लेकिन राज्य में अब बीजेपी की सरकार के सत्ता में आने के बाद उसे न्याय की उम्मीद जगी है।

राज्य में यह पहला मौका है जब किसी महिला डिप्टी कलेक्टर की कार्यप्रणाली को लेकर प्रदेश का तत्कालीन मुखिया कई विवादों से घिर गया है।अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की मौजूदा राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी कांड की पुनरावृति होने के आसार बढ़ गए हैं। प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व. एन.डी.तिवारी अभी भी जीवित बताए जाते हैं।इन दिनों उनकी चहल कदमी राजनांदगांव लोकसभा सीट में देखी जा रही है । सेरोगेसी के इस हाई प्रोफाइल मामले में जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भू-पे बघेल की खासम खास सौम्या के कब्जे में वाकई उनके दो जुड़वा बच्चे हैं या फिर किसी और के हैं,अथवा आसमान से टपके हैं।

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ की सुपर सीएम सौम्या ने भू-पे के मुख्यमंत्री बनते ही सचिवालय में उपसचिव के पद पर अपनी नियुक्ती करवाई थी। लेकिन मैडम जी सचिवालय में नही उपस्थित होकर मुख्यमंत्री के बंगले में ही 24सो घंटे चहलकदमी करते दिखाई देती थी। बताते हैं कि यही उनका कार्यालय और निवास भी बन गया था ।उनके बारे में बताया जाता है कि सौम्या को प्रदेश में “राजमाता की तर्ज पर दर्जा प्राप्त था।मुख्यमंत्री के अधिकारिक निवास से ही शासन प्रशासन को नियंत्रित करने के लिए डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया 24×7 डटी रहती थी. उसे मुख्यमंत्री की असीम शक्तियां सौंप दी गई थी।ED ने अपनी चार्जशीट में सौम्या के काले कारनामों का बखान भी किया है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2018 से लेकर 2022 तक सौम्या चौरसिया अपने अधिकृत कार्यस्थल मंत्रालय में उपस्थित ना होकर मुख्यमंत्री आवास में ही काबिज हो गई थी।

यहीं से मुख्यमंत्री के समस्त अधिकारों का उपयोग – दुरूपयोग करते हुए वो कई घोटालों को अंजाम दे रही थी। इस दौर में सौम्या का जलवा किसी महारानी से कम नही बताया जाता है। बताया जाता है कि शासन प्रशासन में कई महत्वपूर्ण फैसले मुख्यमंत्री के बजाय सौम्या चौरसिया लिया करती थी। उसके समक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री भू- पे के निर्णयों की कोई अहमियत नहीं होती थी । छत्तीसगढ़ में ज्यादातर मामलों में माना जाता था कि सिक्का सिर्फ सौम्या का ही चलता है। आईएएस आईपीएस और आईएफएस अफसरों की नियुक्ति और तबादलों में सौम्या का फैसला अंतिम मुहर के रूप में जाना पहचाना जाता था।इसी दौर में वर्ष 2019 2020 में सौम्या चौरसिया ने अचानक मां बनने का एलान कर दिया था। बताते है कि इस चमत्कार से तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय भी सकते में आ गया था।

इस दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय भी आश्चर्य मे था क्योंकि सौम्या न तो गर्भवती हुई थी और न ही उन्होंने मैटरनिटी लीव के लिए शासन प्रशासन से कोई अनुमति प्राप्त की थी।जबकि सौम्या के पति की भी इस मामले में कोई भूमिका नहीं बताई जाती है। शासकीय सेवक को गर्भावस्था और प्रसव की सूचना कार्यालय प्रमुख को सौंपनी होती है ।लेकिन बावजूद इसके सौम्या के अचानक मां बनने की खबर से शासन प्रशासन भी अचरज में था।

सूत्र बताते है कि मैटरनिटी का यह मामला टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया से नहीं बल्कि सेरोगेसी (किराए की कोख) से जुड़ा हुआ था।इसके लिए भारत सरकार के कड़े प्रावधान से बचने के लिए सौम्या और भू पे ने सेरोगेसी के इस मामले को जनता की नजरो से बचाए रखा और गोपनीय तरीके से जच्चा बच्चा को एक मेटरनिटी होम के हवाले कर दिया गया था।

केंद्र सरकार के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी सेरोगेसी के लिए कड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं। अदालत की ओर से केंद्र और राज्य सरकार से इसका पालन सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए गए है।इसमें मनोरंजन और प्यार की निशानी के रूप में बच्चों की पैदावार को हतोत्साहित किया गया है। कुछ खास मामलों में ही सेरोगेसी की इजाजत कानून देता है।लेकिन छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कार्यालय ही इस मामले में विवादों से घिरा रहा।

बताते हैं कि सौम्या ने तमाम कायदे कानून को दरकिनार कर अवैध रूप से सेरोगेसी कराई थी। इसके लिए तय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री भू पे की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। यह भी बताया जाता है कि इस पूरे मामले में कानून की उड़ती धज्जियां देखकर भी मुख्यमंत्री मौन साधे रहा। नतीजतन मेडिकल व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों ने किराए की कोख के जरिए “राजपूत्रो” के जन्म का स्थान और मुहूर्त पूर्व निर्धारित कर सेरोगेसी के जरिए बच्चे उत्पन्न किए।

सूत्र बताते है कि इसमें रायपुर के शंकर नगर और समता कॉलोनी स्थित दो चर्चित मेटरनिटी होम में बच्चों के जन्म से लेकर उनके रख रखाव की जिम्मेदारी पूरी कराई गई थी।ये दोनो मेटरनिटी होम भी कानून की धज्जियां उड़ाने में शामिल बताए जाते हैं।हालाकि यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सौम्या चौरसिया के कब्जे में आखिर जो दो जुड़वा बच्चे है, उनके अनुवांशिकी माता पिता कौन है।आखिर किसकी इजाजत पर सेरोगेसी कराई गई।।

इसे प्रकृति के सिद्धांत के साथ छेड़छाड़ के रूप में भी देखा जा रहा है।बताते है कि अब इन बच्चों का दुरुपयोग कर लाभ उठाने में भी सौम्या पीछे नहीं है। नन्हे मुन्हे बच्चों का लालन पोषण का हवाला देकर सौम्या चौरसिया ने अदालत से जमानत की अपील भी की थी। जबकि न तो वो कभी गर्भवती हुई और न ही जुड़वा बच्चों को गोद लिया। जुडवा बच्चों से उसका कोई खून का रिश्ता भी नहीं बताया जाता है।

ये बच्चे अवैध रूप से सौम्या और भू पे दंपत्ति के संरक्षण में बताए जाते हैं। रायपुर कलेक्टर कार्यालय में पीड़ित ने अपनी दास्तान सुनाते हुए बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री भू पे और सौम्या ने उसके साथ ज्यादतियां की हैं। उन्हे जोर जबरदस्ती और लालच देकर सेरोगेसी कराई गई थी।पीड़ित ने अपनी शिकायत में प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का पालन करते हुए कलेक्टर से इस पूरे मामले की जांच का आग्रह किया है। इसमें कहा गया है कि जब तक मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक सौम्या के कब्जे से बच्चो को मुक्त कर बाल आश्रम में रखा जाए। बच्चों के परिजनों का डीएनए टेस्ट यदि उनके पिता से मेल खाता है तो , उन्हें यह बच्चा कानूनन सौप दिया जाए अन्यथा राज्य सरकार इन्हें अपने कब्जे में ले। महिला एवं बाल विभाग के तय नियम के तहत इन बच्चो को गोद लेने हेतु जनहित में प्रक्रिया पूर्ण कराने की मांग भी की गई है।

Exit mobile version