
छत्तीसगढ़ के 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले का मुख्य आरोपी आखिर कब गिरफ्तार होगा ? इस सिलसिले में सीबीआई ने कई रसूखदार नेताओं और आईपीएस अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। लेकिन इनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही सिर्फ छापेमारी तक सीमित रह गई। इस बीच महादेव ऐप सट्टा घोटाले के आरोपियों की जमानत की झड़ी लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रकरण में महत्त्वपूर्ण शख्स और पुलिस अधिकारी चंद्र भूषण वर्मा समेत दर्जन भर आरोपियों की जमानत स्वीकृत कर दी है। जिस तर्ज पर आरोपियों को जमानत प्राप्त हो रही है। उससे सवाल उठ रहा है, कि सैकड़ों करोड़ की रिश्वत खाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनकी टोली में शामिल आईपीएस अधिकारियों की गिरफ्तारी होगी की नहीं या फिर वे भी सस्ते में छूट जायेगे।

छत्तीसगढ़ के 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप घोटाले में बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट से आ रही है। इसके मुताबिक महादेव ऑनलाइन घोटाले से जुड़े अब लगभग सभी आरोपियों को जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने ASI चंद्र भूषण वर्मा समेत 12 आरोपियों को जमानत दे दी है. इसमें रितेश कुमार यादव, भारत ज्योति, विश्वजीत राय, राहुल वकटे, नीतीश दीवान समेत अन्य आरोपी शामिल है। ये सभी 12 आरोपी पिछले लगभग ढाई साल से रायपुर सेंट्रल जेल की हवा खा रहे थे। इन आरोपियों में सबसे कारगर गवाह के रूप में चंद्र भूषण वर्मा का नाम बताया जाता है। ED और ACB EOW की पड़ताल के दौरान चंद्र भूषण वर्मा ने तस्दीक की थी, कि महादेव ऐप्प सट्टा कारोबार को संरक्षण देने के एवज में रायपुर के तत्कालीन एसएसपी प्रशांत अग्रवाल, आईजी शेख आरिफ और आईजी इंटेलिजेंट आनंद छाबड़ा को उनके द्वारा हर माह लाखो की नगदी सौंपी जाती थी। यही नहीं लाखों रुपए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके सलाहकार विनोद वर्मा के हाथों तक भी पहुंचाई जाती थी। जमानत प्राप्त होने के बाद सुर्ख़ियों में आये ASI चंद्र भूषण वर्मा अब सीबीआई के लिए भी महत्त्वपूर्ण गवाह साबित हो सकते है। उनकी रिहाई से महादेव ऐप्प सट्टा घोटाले की नई परतें खुलने के आसार है। यह भी बताया जा रहा है,कि ASI चंद्र भूषण वर्मा की तस्दीक मात्रा से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर गिरफ्तारी की तलवार लटक सकती है।

महादेव ऐप्प सट्टा घोटाले में 26 मार्च 2025 को सीबीआई ने बड़ी कार्यवाही करते हुए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई स्थित पदुमनगरआवास और रायपुर स्थित सरकारी बंगले पर दबिश दी थी । उनके राजनीतिक सलाहकार रहे विनोद वर्मा, तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के दो ओएसडी और उनकी उप सचिव रही सौम्या चौरसिया के ठिकानों पर भी दबिश दी गई थी। भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव के सेक्टर पांच स्थित आवास समेत केपीएस स्कूल के संचालक निशांत त्रिपाठी के ठिकानों पर भी सीबीआई ने दस्तक दी थी। यही नहीं सीबीआई की टीम ने 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा, 2005 बैच के शेख आरिफ, 2007 बैच के आईपीएस प्रशांत अग्रवाल, के अलावा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय ध्रुव,अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक महेश्वरी, प्रमोटी रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा, ओएसडी मनीष बंछोर के ठिकानों पर भी दबिश दी थी। उसने आईपीएस अफसरों के कैश हैंडलर आरक्षक भीम यादव, सहदेव यादव और अर्जुन यादव के घर पर छापेमारी कर कई डिजिटल और दस्तावेजी सबूत भी जब्त किए थे। पुलिस अधिकारियों की सट्टा कारोबार में संलिप्तत होने के बावजूद उनकी गिरफ़्तारी से बच निकलने का मामला जाँच एजेंसियों की नरमी की ओर रुख कर रहा है। आखिर आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ केंद्र ओर राज्य सरकार मुक्कमल कार्यवाही कब करेगी ? प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। वही छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने कहा है, कि “हमारी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के प्रति प्रतिबद्ध है। आपने देखा है कि जो लोग किसी भी गलत गतिविधि में शामिल रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।