दिल्ली वेब डेस्क / कोरोना वायरस की तेज रफ्तार ने भारत के तमाम राज्यों को डरा दिया है | संक्रमण को रोकने के लिए देश के सभी राज्य लॉकडाउन लागू करने पर मजबूर हो गए हैं | कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है | लगातार लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हो गए हैं | हालांकि इससे उनकी मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है | सेहत के अलावा, लॉकडाउन से लोगों की आजीविका पर भी संकट पैदा हो गया है | ऐसे में तमाम लोगों के मन में ये सवाल उठने लगा है कि आखिर सब कुछ कब सामान्य होगा? कोरोना वायरस की महामारी देश में कहां पर जाकर रुकेगी?
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भारत में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू पाने की कोशिश की जा रही हैं | विदेशों में नजर दौड़ाये तो कुछ दिन पहले यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा था कि उन्हें भरोसा है कि उनका देश 12 हफ्तों में कोरोना वायरस पर काबू पा लेगा | वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में जल्द सब कुछ सामान्य हो जाएगा | जबकि भारत में उम्मीद की जा रही है कि 3 से 15 मई के बीच संक्रमण को लॉकडाउन करने में कामयाबी हासिल हो सकती है | बशर्ते तमाम राज्य गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करे |
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हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस की चुनौती से दुनिया इतनी जल्दी छुटकारा नहीं पा सकेगी | विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष राजदूत डेविड नाबारो ने भी आगाह किया है कि कोरोना वायरस मानव जाति का लंबे वक्त तक पीछा करता रहेगा | उनके मुताबिक जब तक लोग वैक्सीन से खुद को सुरक्षित नहीं कर लेते, कोरोना वायरस का प्रकोप जारी रहेगा | हार्वर्ड चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में ग्लोबल हेल्थ इकोनॉमिस्ट एरिक फिगेल डिंग ने कहा है कि , शायद अभी हमें एक या दो महीने तक लॉकडाउन में रहना पड़े |
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यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में सेल्युलर माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सिमन क्लार्क ने कहा कि कोरोना वायरस के एंडगेम की तारीख बताना असंभव बात है | उन्होंने कहा, अगर कोई आपको कोरोना वायरस के अंत की तारीख बता रहा है तो इसका मतलब है कि वे क्रिस्टल बॉल देखकर भविष्यवाणी कर रहे हैं | सच्चाई तो यह है कि कोरोना वायरस फैल चुका है और अब यह हमारे साथ हमेशा के लिए रहने वाला है | डॉ. क्लार्क ने कहा कि कोरोना वायरस की महामारी बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि लोगों के शरीर में बिना लक्षण नजर आए संक्रमण हो सकता है और वे दूसरे लोगों में भी संक्रमण फैला सकते हैं |
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साउथहैम्पटन यूनिवर्सिटी में ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ता माइकल हेड का कहना है कि कोरोना वायरस के बारे में कोई भी अंदाजा लगाना मुश्किल है | ये बिल्कुल नया वायरस है और दुनिया भर में महामारी का रूप धारण कर चुका है | उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में गिरावट देखने को मिल सकती है | हालांकि, सर्दी के आते ही कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ सकते हैं क्योंकि उस वक्त फ्लू भी दस्तक दे देगा |
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हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन बनने के बाद ही कोरोना वायरस की रोकथाम हो सकेगी | हालांकि, अभी तक कोरोना वायरस के लिए कोई भी वैक्सीन नहीं बन सकी है | इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर नील फार्ग्युसन के मुताबिक, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कदम संक्रमण की धीमी रफ्तार के लिए बहुत जरूरी हैं | जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक बड़े पैमाने पर सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत बनी रहेगी | कॉलेज की ही एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन बनने में करीब 18 महीनों का वक्त लग सकता है | वहीं, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि छह महीनों के भीतर ही वैक्सीन आ सकती है |
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कई विशेषज्ञ ये बात तय मानते है कि कोरोना वायरस अगले तीन हफ्तों में गायब नहीं होने वाला है | उनके मुताबिक भारत इसकी रोकथाम को लेकर वुहान से चाहे जितनी तुलना करने की कोशिश करें लेकिन ये संभव नहीं है | दरअसल भारत में वुहान की तरह कोरोना वायरस का सिर्फ एक केंद्र नहीं है | उनके मुताबिक देश के बाकी हिस्सों से सभी डॉक्टरों और नर्सों को बुलाकर एक जगह पर नहीं ला सकते हैं जैसा चीन ने किया था | इसलिए भारत में इसकी रोकथाम में कम से कम दो महीने या उससे ज्यादा वक्त लग जाएगा | उनका मानना है कि अगर वैक्सीन 12 महीने से पहले आ जाती है तो जल्द से जल्द सभी लोगों को वैक्सीन से सुरक्षित करना शुरू करना होगा |