मध्यप्रदेश में अब खिलेगा कमल या फिर जमे रहेंगे कमलनाथ ? फ्लोर टेस्ट में जाने से पहले शिवराज मोदी-शाह के दरबार में, जोर आजमाईश से पहले कांग्रेस ने बिछाई बिसात

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भोपाल / मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के फ्लोर टेस्ट में जाने से पहले सत्ता की बिसात बिछ चुकी है | पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने साथी सचेतक नरोत्तम मिश्रा के साथ दिल्ली दरबार में मत्था टेक आये है | उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से लेकर कई दिग्गज नेताओं के दरबार में अपनी हाजरी लगाई है | उन्हें अचानक सक्रिय देखकर बीजेपी महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के भी अरमान जाग गए है | दोनों ही नेता राज्य में फिर से कमल खिलाने की तैयारी में है | सूत्र बता रहे है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के लिए अपने समीकरण बैठाने में लगे है | हालांकि उन्हें कामयाबी कितनी मिलती है , यह तो वक्त ही बताएगा | 

उधर बीजेपी खेमे में राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर और गोपाल भार्गव की दावेदारी पुख्ता मानी जा रही है | सूत्र बता रहे है कि पश्चिम बंगाल चुनाव के मद्देनजर कैलाश विजयवर्गीय की मध्यप्रदेश वापसी पर धुंधलका छाया हुआ है | सूत्र तो यह भी बता रहे है कि भले ही मामा कितनी तिकड़म कर ले , लेकिन दिल्ली दरबार में अब उनका रुतबा पहले जैसे नहीं रहा | पार्टी के भीतर ही नहीं बल्कि जनता के बीच उनके खिलाफ माहौल लगातार जोर पकड़ता जा रहा है | राज्य में बीजेपी के लिए नए चेहरे के तलाश में आलाकमान नजर आ रहा है | 

फाइल फोटो 

उधर मुख्यमंत्री कमलनाथ भले ही बहुमत का दावा कर रहे हो , लेकिन बीजेपी विधायकों की एकजुटता बता रही है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान उनकी दाल ज्यादा देर तक नहीं गलने वाली | यही नहीं आखिरी वक्त सरकार का बीच बचाव करने से ज्यादा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राज्यसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने की कवायत में जुट गए है | कमलनाथ के बहुमत के दावे पर खुद कांग्रेसी विधायक यकीन नहीं कर पा रहे है | यही नहीं पार्टी को समर्थन दे रहे निर्दलीय और बसपा , सपा के विधायक भी अपने राजनैतिक भविष्य की तलाश में जुट गए है | जयपुर से लौटे इन विधायकों ने अब मुख्यमंत्री कमलनाथ खेमे से किनारा करना शुरू कर दिया है | 

मध्यप्रदेश में सियासी संकट कांग्रेस के लिए उस समय और भारी पड़ सकता है जब कमलनाथ सरकार फ्लोर पर ही औंधे मुंह गिर जाए ? अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि इस दौरान निर्दलीय और अन्य नहीं बल्कि कांग्रेस के कई और विधायक पाला बदल सकते है | दरअसल ज्यादातर विधायक मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है | लिहाजा वो अगली सरकार को मुद्दों पर आधारित समर्थन के लिए रणनीति बनाने में जुटे है | 

दरअसल मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता तीन ध्रुवों पर टिकी थी | इसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ , पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आधार स्तंभ थे | लेकिन सिंधिया के पाला बदलने के बाद ज्यादातर विधायक अपने राजनैतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए नए समीकरणों पर जोर दे रहे है | इसमें कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से सामान दूरियां तय कर नए नेता की तलाश भी शुरू हो गई है | फ़िलहाल देखना होगा कि सोमवार को ऊंट किस करवट बैठता है |