छत्तीसगढ़ कांग्रेस के 2 सालों से फरार कोषाध्यक्ष रामगोपाल होंगे गिरफ्तार ? अदालत से गैर जमानती वॉरेंट जारी,  ED के बाद EOW भी ठन-ठन गोपाल की तलाश में, हैरत में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल….

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल की लगभग 2 सालों बाद एक बार फिर जोर-शोर से तलाश शुरू हो गई है। ED के लिए ‘वांटेड’ बन चुके रामगोपाल की तलाश अब EOW को भी है। दरअसल, 2200 करोड़ के शराब और 700 करोड़ के कोयला घोटाले में रामगोपाल का नाम भी संदेहियों-आरोपियों की फेहरिस्त में शामिल बताया जाता है। राज्य आर्थिक अपराध और एंटी करप्शन ब्यूरो को रामगोपाल समेत अन्य 3 आरोपियों की तलाश है। ACB/EOW ने रायपुर के स्पेशल कोर्ट में रामगोपाल अग्रवाल समेत अन्य के ख़िलाफ़ दर्ज प्रकरणों का हवाला देते हुए उनके अपराधों का ब्यौरा पेश किया था।

अदालत ने आरोपियों के खिलाफ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किया है, वारंट जारी होने के बाद उनकी खोजबीन भी शुरू हो गई है। राज्य में बीजेपी की सत्ता में पुनर्वापसी की खबर लगते ही विगत 3 दिसंबर 2023 से रामगोपाल नदारद बताये जाते है, प्रदेश में कांग्रेस की राजनैतिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले खजांची के गायब हुए लगभग 2 साल पूरे होने पर है, लेकिन उनका अब तक कोई पता ठिकाना नहीं चल पाया है। राम गोपाल के ठिकानों पर ED की छापेमारी के महीनों बाद भी उनका सुराग तक लगाने में एजेंसियों को कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है।

ED को तो रामगोपाल ना तो जमीन पर दिखाई दिए और ना ही आसमान पर। उन्हें जमीन खा गई या फिर आसमान निगल गया, अब इसकी खोजबीन में ACB/EOW ने हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया है। हालांकि उन्हें भी रामगोपाल ढूंढे नहीं मिल रहे है। रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर नेताओं की तीमारदारी में मात्र 3 दिनों के भीतर 50 करोड़ से ज्यादा की रकम पानी की तरह बहाये जाने को लेकर राम गोपाल ने कांग्रेसी खेमों में खूब सुर्ख़ियां बटोरी थी। पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी लोगो में शुमार रामगोपाल को राजनीति में भूपे बघेल का दांया-बांया हाथ माना जाता है।

बताया जाता है कि कई घोटालों में हिस्सेदारी तय होने के चलते राम गोपाल का खजाना कुबेर के खजाने से कम नहीं आँका जाता था। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके गिरोह की गैर क़ानूनी कृत्यों-गतिविधियों के माध्यम से अवैध वसूली की कमान रामगोपाल के कंधों पर टिकी बताई जाती है, चंदा-चकोरी और भयदोहन कर रातों-रात करोड़ों की नगद रकम इकठ्ठा करने के मामलों में रामगोपाल माहिर बताये जाते है। 

कांग्रेसी सूत्र रामगोपाल के क्रियाकलापों को लेकर यह भी तस्दीक करते है कि एक बार जो इनकी चपेट में आ जाता है, वो ठन-ठन गोपाल बनकर ही मुक्त होता है। उनके मुताबिक, कई ठेकेदार, अफसर और प्राइवेट कंपनियों के कर्ता-धर्ता नगदी लुटाने के बाद ठन-ठन करते हुए ही पाए गए है, इसलिए स्नेहवश वे पार्टी में ठनठन गोपाल के नाम से भी जाने-पहचाने जाते है। भूपे गिरोह उनकी काबिलियत का लोहा भी मानता है, उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने से गिरोह के सरगना बघेल के होश फाख्ता बताये जा रहे है। 

जानकारी के मुताबिक के मुताबिक कोल खनन परिवहन घोटाले में रामगोपाल अग्रवाल की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। ACB/EOW तफ्तीश में जुटी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के बेहद करीबी लोगों ने कोल खनन परिवहन कारोबार से 25 रुपये टन अवैध वसूली के लिए ऑनलाइन सिस्टम को ऑफ़लाइन कर दिया था। एक सरकारी आदेश के तहत ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन करने के बाद प्रदेश भर में ट्रक संचालकों और परिवहन कारोबारियों से अवैध वसूली शुरू कर दी गई थी। इस कार्य में मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया और कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी ने सरकारी अधिकारियों के साथ नियम-कायदों में ढिलाई कर अवैध वसूली की रूपरेखा तय की थी।

भूपे गिरोह में शामिल डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर विश्नोई, आईएएस रानू साहू और कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी ने एक नेटवर्क तैयार कर हर माह सरकारी तिजोरी से करोड़ों उड़ाए थे। ये सभी आरोपी भी लगभग 2 साल से जेल की हवा खा रहे है। कांग्रेस के चर्चित कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल से पूछताछ के लिए ED समेत अन्य जांच एजेंसियां कई महीनों से इंतजार में है, आखिरकार उनकी पता-साजी के लिए ACB/EOW ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेसी गलियारों से मिली जानकारी के मुताबिक पहले लोकसभा चुनाव और फिर नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव के अलावा पार्टी की दैनिक गतिविधियों से रामगोपाल ने अपनी दूरियां बना ली है, बैठकों तक में वे अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कर रहे है।

कांग्रेस के कई कार्यकर्ता तस्दीक करते है कि एकाएक खजांची के गायब हो जाने से पार्टी को तंगहाली का सामना करना पड़ रहा है। चर्चा आम है कि नगदी का जखीरा कोषाध्यक्ष के तय ठिकानों में 24X7 उपलब्ध होता था। लेकिन उनके नदारद होने के बाद पार्टी और कई नेता भी ठन-ठन गोपाल हो गए है, वही आम कार्यकर्ताओं की रोजाना जेबें ढीली हो रही है। कई कार्यकर्ताओं का यह भी मानना है कि रामगोपाल की कृपा कांग्रेस पर नहीं बल्कि सिर्फ भूपे गिरोह पर आज भी बरस रही है, उन्हें आईटी-ईडी और सीबीआई के खिलाफ राजनैतिक गतिविधियां आयोजित करने के लिए रामगोपाल कभी लोकल कारोबारियों से तो कभी मुंबई-कोलकाता और दुबई से संचालित हवाला कारोबार के माध्यम से नगदी उपलब्ध करा रहे है।

फ़िलहाल, कोल खनन परिवहन घोटाले के अलावा शराब एवं खनिज घोटालों में भी रामगोपाल का नाम चर्चा में है। ACB/EOW ने आरोपी के खिलाफ अन्वेषण के दौरान ही चालान/चार्जशीट पेश होने से पहले कोर्ट से ग़ैरज़मानती वारंट जारी करा कर जेल से बाहर कदमताल कर रहे कई घोटालेबाजों की नींद उड़ा दी है।