क्या राजधर्म का पालन करेंगे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ? लॉकडाउन की धज्जियाँ उड़ाने वाले आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ आखिर कितनी धाराओं में दर्ज करेंगे FIR ? रायगढ़ प्रशासन मौन , कार्रवाई करेगा कौन ?

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रायपुर / छत्तीसगढ़ सरकार का प्रशासनिक अमला इस बात को लेकर पसोपेश में है कि आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ FIR दर्ज की जाये या नहीं | यदि दर्ज की जाए तो किस किस एक्ट के तहत | कई अफसरों का मानना है कि रासुका छोड़ महामारी एक्ट ,धारा 144 का उल्लंघन , सरकारी कार्य में बाधा डालने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए | कानून के जानकर तो यह भी कहते है कि लखमा ने अपने पद का दुरूपयोग किया है , इसके तहत भी कार्रवाई होनी चाहिए | लेकिन कार्रवाई छोटी हो या बड़ी , इसकी इजाजत को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशों का इंतजार हो रहा है |

 राज्य की जनता देख रही है कि क्या भूपेश बघेल अपने मंत्री को कानून तोड़ने के लिए वैधानिक कार्रवाई पर जोर देते है या नहीं ? वैसे तो राज्य में लॉकडाउन तोड़ने वालों के खिलाफ पुलिस ने डंडा मारने से लेकर विभिन्न गंभीर धाराओं में अपराध भी पंजीबद्ध किया है | नियम तोड़ने वालों के वाहन जब्त कर न्यायालय में पेश करने के निर्देश भी दिए है | लिहाजा यह भी देखना होगा कि आबकारी मंत्री के खिलाफ सिर्फ सामान्य FIR दर्ज होती है या फिर रायपुर से रायगढ़ तक पहुँचने में इस्तेमाल किये गए तमाम वाहनों को जब्त कर वही कार्रवाई की जाती है , जो आम जनता के साथ की गई थी ? 

कांग्रेस भी हैरत में है कि जानने बुझने के बाद आखिर कैसे कोई मंत्री बगैर किसी ठोस कारण के लॉकडाउन तोड़ रायपुर से रायगढ़ तक का सफर कर सकता है | यह भी सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों विभागीय अफसरों ने मंत्री जी के क़दमों को रोकने की कोशिश नहीं की | यहां तक की मंत्री जी के साथ मौजूद लाव-लश्कर ने भी लॉकडाउन ना तोड़ने को लेकर कोई पहल नहीं की | और तो और प्रोटोकॉल क्या कर रहा था ? सवाल कई है , फ़िलहाल तो आबकारी मंत्री कवासी लखमा लॉकडाउन तोड़ने को लेकर सिर्फ विपक्ष ही नहीं खुद अपनी पार्टी के कई नेताओं के निशाने पर है | नाम ना छापने की शर्त पर कांग्रेस के कई नेता मांग कर रहे है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को खुद संज्ञान लेकर FIR दर्ज करने के निर्देश देने चाहिए | 

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उधर रायगढ़ जिला प्रशासन कार्रवाई को लेकर चुप्पी साधे हुए है | उसे मुख्यमंत्री के निर्देश का इंतजार है | जबकि मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के कई नेता आबकारी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे है | रायगढ़ से सांसद गोमती साय ने कहा कि कवासी लखमा ने ना तो मास्क पहना था और ना ही सोशल डिस्टेंसिग का पालन किया | उन्होंने कहा कि पुलिस ने राज्य में लॉकडाउन तोड़ने वाले कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है | ऐसे में जनता के लिए अलग कानून और मंत्री जी के लिए अलग कानून कैसे हो सकता है | 

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गौरतलब है कि शनिवार को लॉकडाउन तोड़ते हुए राज्य के आबकारी मंत्री कवासी लखमा रातोंरात 266 किलोमीटर का सफर तय कर रायपुर से रायगढ़ पहुँच गए थे | रविवार को सुबह उन्होंने यहां बाबा सत्यनारायण के दर्शन किये और दोबारा लॉकडाउन तोड़ते हुए रायपुर रवाना हो गए | रायगढ़ में उन्होंने बेशर्मी से भरा हुआ जवाब देते हुए पत्रकारों से कहा कि वे रायपुर में बैठे बैठे बोर हो रहे थे , इसलिए यहां आ गए | वे यही नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कोरोना हो गया है | मंत्री जी का यह वक्तव्य भले ही बचकाना हो , हंसी ठिठौली के लहजे में हो , लेकिन लॉकडाउन तोड़ इस तरह की चहलकदमी सरकार की साख पर बट्टा लगाने जैसी है | फ़िलहाल लोगों की निगाहें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर टिकी है | देखना होगा कि वे राजधर्म का पालन करने के लिए सामने आते है या फिर मामले को रफादफा करना ही मुनासिब समझते है |