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तमिलनाडु में क्यों नहीं दिखाई जा रही ‘द केरल स्टोरी’? राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया असल कारण

नई दिल्ली: ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म की स्क्रीनिंग पर तमिलनाडु में पर रोक लगाए जाने के मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि राज्य में ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म दिखाने जाने पर ‘रोक जैसे हालात’ होने की फिल्म निर्माता की दलील गलत है. तमिलनाडु सरकार ने हलफनामे में कहा है कि फिल्म की रिलीज पर कोई बैन नहीं लगाया गया है. 5 मई को ये फिल्म 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज भी हुई, लेकिन फिल्म में जाने पहचाने कलाकारों के न होने, कलाकारों के घटिया प्रदर्शन और फिल्म देखने आ रहे दर्शकों की संख्या में कमी के चलते सिनेमाघर मालिकों ने खुद ही फिल्म की स्क्रीनिंग को बंद करने का फैसला लिया है.

तमिलनाडु सरकार का कहना है कि फिल्म निर्माताओं ने झूठा बयान दिया है कि राज्य सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाया है. राज्य सरकार की दलील है कि फिल्म की स्क्रीनिंग करने वाले सभी सिनेमाघरों के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा 5 मई को पुलिस महानिदेशक ने राज्य के सभी पुलिस आयुक्तों और जिला पुलिस अधीक्षकों को फिल्म दिखाने वाले प्रत्येक सिनेमा हॉल को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश जारी किए थे.

सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए
राज्य ने फिल्म की स्क्रीनिंग की सुविधा के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए और यह सुनिश्चित किया है कि थिएटर मालिक और दर्शक सुरक्षित रहें. इसके लिए 965 से अधिक पुलिसकर्मी, 25 डीएसपी उन 21 थिएटरों की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए थे, जिन्होंने फिल्म की स्क्रीनिंग की थी.

इस फिल्म के खिलाफ 5 मई को विभिन्न मुस्लिम संगठनों द्वारा 19 स्थानों पर प्रदर्शन, आंदोलन एवं धरना दिया गया. 6 मई को चेन्नई और कोयम्बटूर में 7 जगहों पर प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुल नौ मामले दर्ज किए गए जिसमें चेन्नई में पांच और कोयम्बटूर में चार मामले दर्ज किए गए.

फिल्म को नहीं मिला अच्छा रिस्पॉन्स
तमिलनाडु सरकार ने हलफनामे मे कहा है कि राज्य द्वारा प्रदान की गई पर्याप्त पुलिस सुरक्षा ने थिएटर मालिक कुछ मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद 5 मई और 6 मई को पूरे राज्य में फिल्म की स्क्रीनिंग करने मे कामयाब रहे. लेकिन आम जनता में इस फिल्म को लेकर अच्छे रिस्पॉन्स की कमी के कारण, राज्य के थिएटर और मल्टीप्लेक्स मालिकों ने 7 मई से फिल्म का प्रदर्शन बंद करने का फैसला किया.

रिलीज के बाद हुई फिल्म की भारी आलोचना
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मद्देनजर स्टेट इंटेलिजेंस ने 26 अप्रैल और 3 मई को जिलों के पुलिस अधीक्षकों और शहरों के पुलिस आयुक्तों को कानून व्यवस्था की स्थिति पर पैनी नजर रखने के लिए अलर्ट जारी किया था. रिलीज होने के बाद इस फिल्म की भारी आलोचना हुई, कुछ मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया कि फिल्म आम जनता के बीच “मुस्लिम विरोधी नफरत” और “इस्लामोफोबिया” फैलाती है, और केवल मुसलमानों के खिलाफ अन्य धर्मों का ध्रुवीकरण करने के इरादे से बनाई गई है.

दुर्भावना से प्रेरित और प्रचार पाने के लिए याचिकाकर्ताओं ने तमिलनाडु सरकार के खिलाफ झूठे और भ्रामक आरोप लगाए हैं, इसके बावजूद राज्य सरकार ने अपने कार्यों का निर्वहन करता रहा है. तमिलनाडु सरकार ने हलफनामे में आरोप लगाया है कि निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अनुचित लाभ लेने की कोशिश की है. इसलिए फिल्म निर्माता के भ्रामक बयान वाली ये याचिका खारिज की जानी चाहिए.

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